मार्केट रेगुलेटर सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कैंसिल कर दिया है। सेबी ने 31 दिसंबर को इस मामले में एक आदेश जारी कर दिया है। सेबी ने 28 अप्रैल 2023 को कार्वी के प्रमोटर्स को सात साल तक मार्केट में एंट्री करने पर पाबंदी लगाने का फैसला सुनाया था। दरअसल, कंपनी ने कई स्कैम और गड़बड़ियां की थीं जिसके बाद सेबी को यह फैसला लेना पड़ा। कार्वी ब्रोकिंग फर्म ने ग्राहकों को धोखा देते हुए उनके शेयर गिरवी रखकर फंड जुटाए थे। सेबी इस मामले की भी जांच कर रही थी कि कार्वी ने नियमों का जो उल्लंघन किया है उसमें रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेशन रद्द या खारिज हो सकता है या नहीं।
कार्वी अपनी सभी जिम्मेदारियां निभाएगा
किसी भी तरह के बकाए की जिम्मेदारी कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड की होगी। सेबी ने 31 मई को जारी अपने ऑर्डर में कहा है, "रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द होने के बावजूद किसी ब्रोकरेज फर्म बीच में छोड़े गए किसी भी काम के लिए जिम्मेदार रहेगा। इसके साथ ही सेबी का जो भी बकाया है उसे भी चुकाना होगा।"
सेबी ने बताया कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इस मामले में 27 मई, 2022 को कार्वी ब्रोकिंग फर्म को नोटिस भेजा गया था। कार्वी ब्रोकिंग को पिछले साल नवंबर में ही डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया था। साथ ही कंपनी को शेयर मार्केट से भी बाहर कर दिया गया है।
सेबी के होल टाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने अपने आदेश में कहा है, "मैं DA रिपोर्ट की सिफारिशें स्वीकार करता हूं और कार्वी का सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन कैंसिल करता हूं।"
पिछले महीने ही सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग और उसके प्रमोटर कमांडर पार्थसार्थी को 7 साल तक मार्केट से दूर रहने का फैसला सुनाया था। इसके साथ ही क्लाइंट्स के पावर ऑफ अटॉर्नी का गलत इस्तेमाल करके शेयर गिरवी रखने पर 21 करोड़ रुपए का जुर्माना भी ठोका था।
कार्वी ब्रोकिंग ने कैसे किया स्कैम?
ब्रोकरेज फर्मों के पास क्लाइंट्स की पावर ऑफर अटॉर्नी होती है। इसी का इस्तेमाल करते हुए ब्रोकरेज फर्म ने क्लाइंट्स की जानकारी के बिना उनके शेयर गिरवी रखकर फंड जुटाए और अपनी ग्रुप की कंपनियों को दिया। ग्रुप की जिन कंपनियों को इसका फायदा हुआ उनमें कार्वी रियल्टी (इंडिया) लिमिटेड और कार्वी कैपिटल लिमिटेड है।
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने कार्वी रियल्टी और कार्वी कैपिटल को 1442.95 करोड़ रुपए लौटाने को कहा है जो ब्रोकरेज फर्म ने इन्हें दिया था।
इन दोनों कंपनियों को अगले तीन महीने में पूरा फंड लौटाना है। अगर ये बकाया रकम लौटाने में नाकाम रहती हैं तो NSE इनके एसेट्स जब्त कर लेगी।
कार्वी ब्रोकिंग फर्म के घोटाले का खुलासा 2019 में हुआ था। यह भारतीय शेयर बाजार के सबसे बड़े स्केम में से एक है जिसके बाद सेबी ने सख्ती बढ़ाई है।