किडनैपिंग, फिरौती और स्टॉक क्रैश... SEBI ने प्रमोटरों की 'फिल्मी कहानी' का किया पर्दाफाश; ₹48 करोड़ की होगी वसूली
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने सीकोस्ट शिपिंग सर्विसेज लिमिटेड (Seacoast Shipping Services Ltd) और उसके प्रमोटरों पर कड़ी कार्रवाई की है। कंपनी पर आरोप था कि उसने निवेशकों से राइट्स इश्यू से जुटाई गई रकम का गलत इस्तेमाल किया। इसके जवाब में कंपनी ने दावा किया यह रकम प्रमोटर मनीष शाह के बेटे के अपहरण के बाद कथित तौर पर ‘फिरौती’ के रूप में दी गई
SEBI की जांच के दौरान प्रमोटरों और डायरेक्टरों ने लगातार अलग-अलग और विरोधाभासी बयान दिए
शेयर बाजार का यह मामला आपको किसी फिल्म की कहानी जैसा लग सकता है। मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI ) ने एक चौंकाने वाले में लॉजिस्टिक्स कंपनी सीकोस्ट शिपिंग सर्विसेज लिमिटेड (Seacoast Shipping Services Ltd) और उसके प्रमोटरों पर कड़ी कार्रवाई की है। इस कंपनी का स्टॉक पिछले 1 साल में 70% से ज्यादा क्रैश हो चुका है।
कंपनी पर आरोप था कि उसने निवेशकों से राइट्स इश्यू से जुटाई गई रकम का गलत इस्तेमाल किया। इसके जवाब में कंपनी ने एक अजीबोगरीब स्पष्टीकरण दिया। कंपनी ने दावा किया यह रकम प्रमोटर मनीष शाह के बेटे के अपहरण के बाद कथित तौर पर ‘फिरौती’ के रूप में दी गई।
सेबी ने जांच में फर्जी पाया पूरा मामला
SEBI ने जब इसकी पड़ताल की तो उसने इस पूरे मामले को फर्जी पाया। SEBI ने कंपनी की सफाई को खारिज करते हुए 24 सितंबर को एक आदेश जारी किया। इस आदेश में सेबी ने विस्तार से बताया कि कैसे सीकोस्ट शिपिंग सर्विसेज ने करोड़ों रुपये की हेराफेरी की, फर्जी खाते बनाए और सालों तक निवेशकों को गुमराह किया।
सेबी ने अब कंपनी और उसके प्रमुख अधिकारियों को शेयर मार्केट में 1 से 5 साल के लिए बैन कर दिया है, ₹1.97 करोड़ का जुर्माना और ₹47.89 करोड़ की अवैध कमाई की वसूली का आदेश दिया गया है।
अपहरण की अजीबोगरीब कहानी
SEBI की जांच में सामने आया कि SSSL ने राइट्स इश्यू के पैसे के इस्तेमाल से जुड़े कोई भी ठोस डॉक्यूमेंट पेश कर पाने में फेल रही। जैसे परचेज इनवॉइस, एग्रीमेंट या लेजर। इसकी जगह कंपनी ने 20 जून 2025 को दिए गए एक लिखित एप्लिकेशन में एक सनसनीखेज दावा किया।
SEBI के आदेश के मुताबिक, कंपनी ने अपने बयान में कहा, "दुर्भाग्यवश, इस राशि का इस्तेमाल पहले से तय बिजनेस कार्यों के लिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि दुर्भाग्य से उस दौरान प्रमोटर मनीष शाह के बेटे का अपहरण कर लिया गया था। ऐसे में राइट्स इश्यू से मिली राशि श्री उत्सव पटेल और श्री अक्षय पटेल को ट्रांसफर कर दी गई थी।"
SEBI ने कहा कि इस दावे के समर्थन में ना तो पुलिस में शिकायत दर्ज हुई और ना ही कोई सबूत दिया गया। इससे कंपनी का यह दावा “असामान्य और भरोसे के लायक नहीं” लगता है।
प्रमोटर्स के उलझे बयान
SEBI की जांच के दौरान प्रमोटरों और डायरेक्टरों ने लगातार अलग-अलग और विरोधाभासी बयान दिए। फरवरी 2024 में खुद मनीष शाह ने शपथपत्र में स्वीकार किया था कि राइट्स इश्यू से जुटाए गए पैसे फिरौती में नहीं बल्कि फर्जी खरीदारी में इस्तेमाल किए गए। वहीं कंपनी के दूसरे डायरेक्टर का दावा था कि यह रकम किडनैपिंग के बाद ली गई थी। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि परिवार ने कभी पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई और शहर छोड़ दिया।
इसके उलट इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने कहा कि उन्हें तो राइट्स इश्यू की जानकारी ही नहीं थी। इतनी उलझी और विरोधाभासी बयानों को देखते हुए SEBI ने किडनैपिंग वाली कहानी को पूरी तरह से नकार दिया। SEBI के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया, "राइट्स इश्यू से मिला राशि का कंपनी ने इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि कंपनी से ही दूसरी जगह भेज दी गई।"
जांच में यह भी सामने आया कि कंपनी लंबे समय से बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी कर रही थी। SEBI के अनुसार, SSSL ने अपने वित्तीय नतीजों को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, फर्जी शेयर अलॉटमेंट किए और स्टॉक एक्सचेंजों को गुमराह करने वाली सूचनाएं भेजी। इसमें मनीष शाह को 22.72 करोड़ रुपये के 1.50 करोड़ शेयर बिना किसी असली भुगतान के जारी करना, राइट्स इश्यू से 43.42 करोड़ रुपये का फंड डायवर्जन करना और बैंक लोन से 10.83 करोड़ रुपये का फंड डायवर्जन के आरोप शामिल हैं। SEBI ने कहा कि कंपनी ने लगातार चार सालों (FY21-24) तक गलत वित्तीय नतीजे पेश किए।
सेबी को यह भी पता चला कि कंपनी की 85% से ज्यादा बिक्री और 98% संपत्तियां सिर्फ कागजों पर थीं। इसके बावजूद कंपनी ने झूठा रेवेन्यू दिखाया, जिससे रिटेल निवेशक गुमराह हुए और इसके शेयरों में भारी गतिविधियां देखी गईं।
सेबी के फुलटाइम मेंबर कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के गलत और भ्रामक वित्तीय नतीजों ने निवेशकों को यह सोचने पर मजबूर किया कि कंपनी वित्तीय रूप से मजबूत है, जबकि असलियत इसके बिल्कुल उलट थी। इन फर्जी आंकड़ों का असर न केवल पब्लिक शेयरधारकों की संख्या पर पड़ा बल्कि शेयर की कीमत पर भी। SEBI ने यह भी जोड़ा कि कंपनी के एक्सचेंज को दिए गए खुलासे बिना किसी ठोस आधार के थे, जिससे निवेशक गुमराह हुए और यह सब कंपनी के मैनेजमेंट की बेहद गैरजिम्मेदाराना रवैये को दिखाता है।
पूरा मामला कैसे सामने आया?
शुरुआत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने अप्रैल 2020 से दिसंबर 2023 के बीच कंपनी के संदिग्ध रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन पर रिपोर्ट बनाई। यह रिपोर्ट एक सामान्य जांच के तौर पर शुरू हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे इसमें बड़े खुलासे होने लगे। जांच में पता चला कि इस स्मॉलकैप शिपिंग कंपनी ने अपने फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स को झूठे आंकड़ों से सजाया, नकली कहानियां गढ़ीं और यहां तक कि फंड डायवर्जन को सही ठहराने के लिए अपने प्रमोटर के बेटे की किडनैपिंग जैसी अजीब कहानी भी पेश कर दी।
जैसे-जैसे सबूत सामने आते गए, मामला गंभीर होता चला गया। आखिरकार सितंबर 2024 में सेबी के फुल टाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने इस मामले में अंतरिम आदेश पास किया और आगे की कार्रवाई शुरू हुई।
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