स्टॉक मार्केट रेगुलेटर सेबी ने तमाम अनुमानों को झुठलाते हुए 30 सितंबर की बैठक में इंडेक्स-डेरिवेटिव नियमों में कोई बदलाव नहीं किया। बाजार से जुड़े खिलाड़ियों की इस बैठक पर खास नजर थी। दरअसल, लोगों की नजरें इस बात पर थीं कि क्या मार्केट रेगुलेटर उन प्रस्तावों को लागू करेगा, जो उसने कुछ महीने पहले कंसल्टेशन पेपर के जरिये जारी किया है।
हालांकि, सेबी की बैठक के बाद इस सिलसिले में कोई ऐलान नहीं किया गया। मार्केट रेगुलेटर ने शेयर बाजार में स्थिरता को बढ़ाने और छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए 30 जुलाई को सख्त डेरिवेटिव नियमों का प्रस्ताव किया था, जिसमें कॉन्ट्रैक्ट साइज को कम से कम 4 गुना बढ़ाने, ऑप्शंस प्रीमियम तत्काल इकट्ठा करने और वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या घटाने की बात है।
फिलहाल, इंडेक्स आधारित कॉन्ट्रैक्ट्स का प्रावधान है, जो रोज एक्सपायर होते हैं। रेगुलेटर ने किसी एक्सचेंज के एक इंडेक्स के वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो एक हफ्ते में दो एक्सपायरी होगी। मनीकंट्रोल ने 9 जुलाई को खबर दी थी कि रेगुलेटर फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस से जुड़ी वर्किंग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर नए फ्रेमवर्क पर विचार कर रही है।
सेबी ने हाल के वर्षों में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के बढ़ते प्रचलन और इसमें रिटेल इनवेस्टर्स की भागीदारी में जबरदस्त बढ़ोतरी की चुनौती से निपटने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। सेबी ने कंसल्टेंशन पेपर में वीकली ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स को भी कम करने का सुझाव दिया था। इसके अलावा, मार्केट रेगुलेटर ने कॉन्ट्रैक्ट साइज को भी कई गुना बढ़ाने का प्रस्ताव किया था, ताकि रिटेल इनवेस्टर्स के लिए इसमें शामिल होना मुश्किल हो जाए। ॉ