कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI एक ऐसा रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पेश कर सकता है, जहां IPO लाना चाह रही कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होने से पहले ट्रेड कर सकेंगी। लेकिन इसके लिए उन्हें पहले कुछ खुलासे करने होंगे। यह बात SEBI के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कही है। उन्होंने कहा कि इस पहले को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पेश किया जाएगा।
FICCI (Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry) के एक कार्यक्रम में पांडेय ने कहा कि निवेशकों के लिए निवेश से जुड़े फैसले लेने के लिए किसी कंपनी के लिस्ट होने से पहले की जानकारी अक्सर काफी नहीं होती है। उन्होंने संकेत दिया कि एक रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पायलट बेसिस पर लाया जा सकता है। इस प्लेटफॉर्म पर IPO लाने की तैयारी कर रही कंपनियां कुछ खुलासों के बाद ट्रेड करने का विकल्प चुन सकती हैं।’’
इस पहल से उन गैरजरूरी प्रक्रियाओं और समस्याओं के खत्म होने की उम्मीद है, जो फंड जुटाने, डिस्क्लोजर और इनवेस्टर ऑनबोर्डिंग में परेशानी पैदा करती हैं। इसके अलावा इसमें उन उभरते क्षेत्रों, प्रोडक्ट्स और एसेट क्लास का पता लगाया जाएगा, जो पूंजी की डिमांड और सप्लाई दोनों को क्रिएट करते हैं।
नया प्लेटफॉर्म निवेशकों को IPO अलॉटमेंट और लिस्टिंग के बीच के 3 दिन के वक्त में रेगुलेटेड तरीके से शेयर का ट्रेड करने की इजाजत दे सकता है। यह पहल मौजूदा अनरेगुलेटेड ‘ग्रे मार्केट’ की जगह ले सकती है। अभी ग्रे मार्केट में किसी कंपनी के शेयर उसकी लिस्टिंग तक ट्रेड करते हैं।
इक्विटी डेरिवेटिव्स प्रोडक्ट्स की अवधि और मैच्योरिटी में किया जाएगा सुधार
तुहिन कांत पांडेय ने यह भी कहा है कि SEBI इक्विटी डेरिवेटिव्स प्रोडक्ट्स की अवधि और मैच्योरिटी में सुधार लाने पर विचार कर रहा है। कैश मार्केट में वॉल्यूम तेजी से बढ़ा है और 3 साल की अवधि में डेली ट्रेड दोगुना हो गया है। पांडेय ने कहा कि SEBI फ्यूचर-ऑप्शंस प्रोडक्ट्स की मैच्योरिटी प्रोफाइल और सुधार के तरीकों पर स्टेकहोल्डर्स के साथ कंसल्ट करेगा, ताकि वे हेजिंग और लॉन्ग टर्म निवेश के लिए बेहतर सर्विस दे सकें।’’