सेबी के इतिहास की सबसे बड़ी रेड! ₹300 करोड़ का ‘पंप एंड डंप’ स्कैम पकड़ा, तीन शहरों में एक साथ छापेमारी

Pump and Dump Scam: सेबी ने ₹300 करोड़ के पंप एंड डंप स्कैम का भंडाफोड़ किया, जो अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। अहमदाबाद, मुंबई और गुरुग्राम में छापों में शेल कंपनियों और टेलीग्राम चैनलों की भूमिका उजागर हुई।

अपडेटेड Jun 19, 2025 पर 10:03 PM
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सेबी ने छापेमारी में कंपनी से जुड़े दस्तावेज, रबड़ स्टैम्प्स और अन्य अहम रिकॉर्ड जब्त किए हैं।

Pump and Dump Scam: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने बुधवार (19 जून) को अहमदाबाद, मुंबई और गुरुग्राम में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए ₹300 करोड़ के ‘पंप एंड डंप’ घोटाले का भंडाफोड़ किया। इस मामले से जुड़े दो सूत्रों ने बताया कि ये सेबी की अब तक की सबसे बड़ी रेड्स में से एक है, खासकर रकम के लिहाज से।

आम तौर पर पंप और डंप स्कैम के मामलों में सेबी संस्थाओं के खिलाफ आदेश जारी करता है। बहुत कम मामलों में सेबी सीधे संस्थाओं के खिलाफ तलाशी और जब्ती शक्तियां भी रखता है, जैसा कि मौजूदा मामले में है।

क्या है पूरा मामला?


सेबी की यह कार्रवाई करीब 15–20 शेल कंपनियों पर केंद्रित थी, जो कुछ लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटर्स ने खुद के शेयरों में हेरफेर करने के लिए बनाई थीं। इन कंपनियों को "प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स" के रूप में पंजीकृत किया गया था और इन्हीं के जरिए शेयर खरीदे-बेचे जाते थे। सूत्रों के अनुसार, दो लिस्टेड एग्रो-टेक कंपनियों और उनके प्रमोटर्स इस नेटवर्क के केंद्र में हैं।

रेड में सेबी को क्या मिला ?

सेबी ने इस छापेमारी में कंपनी से जुड़े दस्तावेज, रबड़ स्टैम्प्स और अन्य अहम रिकॉर्ड जब्त किए हैं। शुरुआती जांच के मुताबिकस घोटाले की रकम कम से कम ₹300 करोड़ आंकी जा रही है। हालांकि, जब्त दस्तावेजों के एनालिसिस के बाद तस्वीर और साफ होगी।

क्या है 'पंप एंड डंप' स्कीम?

'पंप एंड डंप' स्कीम में शामिल लोग पहले अपने करीबी निवेशकों के जरिए शेयर खरीदकर किसी कंपनी के स्टॉक को ऊपर चढ़ाते हैं। जब शेयर का भाव काफी ऊपर चला जाता है और आम निवेशकों की नजर इस पर पड़ती है, तब ये लोग अपने शेयर ऊंचे भाव पर बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं। इसके बाद शेयर की कीमत धड़ाम से गिरती है और रिटेल निवेशक फंस जाते हैं। सेबी ने पहले भी पंप एंड स्कैम के मामले में कई स्मॉल और मिड कैप कंपनियों के खिलाफ एक्शन लिया है।

एक सूत्र ने बताया, 'एक आरोपी कंपनी का शेयर एक साल से भी कम समय में ₹1 से ₹40 तक पहुंच गया और फिर ₹2-3 पर वापस गिर गया, जबकि कंपनी के बिजनेस या कमाई में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।' ये पैटर्न स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी को बताता है।

टेलीग्राम चैनल्स की भी जांच

सेबी इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या कुछ टेलीग्राम चैनल्स भी इस घोटाले में शामिल थे, जहां इन कंपनियों के शेयर को प्रमोट किया जा रहा था। खास बात यह है कि ये प्रमोशन नॉन-सेबी रजिस्टर्ड एनालिस्ट्स कर रहे थे। सेबी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या ये टेलीग्राम ग्रुप्स भी हेरफेर की इस पूरी साजिश का हिस्सा थे।

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