इतिहास रचने के करीब सेंसेक्स-निफ्टी, एक्सपर्ट्स बोले- बस इन 5 बातों का है इंतजार

Share Markets: भारतीय शेयर बाजारों में आज 26 नंवबर को बंपर तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों अपने लाइफटाइम हाई लेवल के करीब बंद हुए। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार अब अपने नए रिकॉर्ड हाई तक जाने के लिए कुछ शॉर्ट-टर्म ट्रिगर का इंतजार कर रहा है

अपडेटेड Nov 26, 2025 पर 7:18 PM
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Share Markets: RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक 3 दिसंबर से 5 दिसंबर के बीच होने वाली है।

Share Markets: भारतीय शेयर बाजारों में आज 26 नंवबर को बंपर तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों अपने लाइफटाइम हाई लेवल के करीब बंद हुए। सेंसेक्स अब अपने रिकॉर्ड हाई करीब 400 अंक दूर है। वहीं निफ्टी अपने ऑलटाइम हाई से महज 75 अंक पीछे है। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार अब अपने नए रिकॉर्ड हाई तक जाने के लिए कुछ शॉर्ट-टर्म ट्रिगर का इंतजार कर रहा है।

बोनान्जा के रिसर्च एनालिस्ट अभिनव तिवारी ने कहा, "मार्केट पहले से ही अपने पिछले पीक के करीब है, इसलिए छोटे पॉजिटिव ट्रिगर भी यहां सेंसेक्स और निफ्टी को नए रिकॉर्ड तक ले जाने के लिए काफी हो सकते हैं, बशर्ते शॉर्ट टर्म में कोई बड़ा ग्लोबल शॉक न आए।"

एक्सपर्ट्स ने कुल पांच ऐसे ट्रिगर बताए हैं, जिनका मार्केट अभी इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि ये ट्रिगर बाजार की अगली रैली की शुरुआत कर सकते हैं और मार्केट को नए रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा सकते हैं।


1. RBI की ओर से दिसंबर में ब्याज दरें कटौती की संभावना

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक 3 दिसंबर से 5 दिसंबर के बीच होने वाली है। RBI ने इस साल की पहली छमाही में ब्याज दरों में कुल 1 प्रतिशत की कटौती की थी, लेकिन अगस्त के बाद से कटौती पर विराम लग गया।

हालांकि शुरुआती अनुमान यह थे कि दिसंबर में कोई कटौती नहीं होगी, लेकिन अब माहौल बदल रहा है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के हालिया बयान से भी उम्मीदें बढ़ी हैं।

गवर्नर मल्होत्रा ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अक्टूबर की पिछली MPC बैठक में साफ कहा गया था कि दरों में आगे कटौती की गुंजाइश बनी हुई है। तब से अब तक जो मैक्रो-इकोनॉमिक डेटा आया है, उससे यह गुंजाइश कम होती नहीं दिखी है।”

उन्होंने आगे कहा, “ब्याज दरें घटाने की गुंजाइश है, लेकिन अगली बैठक में MPC इस पर क्या फैसला लेती है, यह उस पर निर्भर करता है।”

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर RBI दिसंबर में ब्याज दरें घटाता है तो बैंकिंग, रियल एस्टेट, ऑटो और कंज्यूमर जैसे कई रेट-सेंसिटिव सेक्टरों में तेजी देखी जा सकती है, जो मार्केट को नए रिकॉर्ड ऊंचाई तक ले जा सकता है।

2. भारत–अमेरिका व्यापार समझौता

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील लंबे समय से अटका हुआ है। हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि अमेरिका भारत के साथ एक व्यापार समझौते के करीब है। लेकिन अभी तक इस डील के पूरा होने की कोई स्पष्ट टाइमलाइन सामने नहीं आई है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह डील होता है, तो यह शेयर बाजार के लिए पॉजिटिव साबित हो सकता है। साथ ही इससे आईटी, टेक्सटाइल, डिफेंस और मैन्युफैक्चरिंग जैसे एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड सेक्टर को सीधा लाभ मिल सकता है।

बोनान्जा के रिसर्च एनालिस्ट अभिनव तिवारी ने बताया, “भारत–अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर कोई भी अच्छी खबर निवेशक के भरोसे को और मजबूत कर सकती है।”

Wealth1 के CEO नरेंद्र अग्रवाल भी इसे बाजार के लिए अहम ट्रिगर मानते हैं। उन्होंने कहा, "कोई भी भी ऐसा समझौता जो दोनों देशों में बाइलेटरल ट्रेड को मजबूत करे, टैरिफ की चिंताओं को कम करे, या टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग पार्टनरशिप को मजबूत, उसे मार्केट पॉजिटिव नजरिए से देखगा। भारत अभी भी एक स्ट्रक्चरल बुल फेज में है, लेकिन इसकी शॉर्ट-टर्म चाल इन्हीं फैक्टर्स से तय होगी।"

3. रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 4 सालों से जारी जंग को खत्म करने के लिए अमेरिका एक नई शांति योजना पर काम कर रहा है। मंगलवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने संकेत दिया कि वे अमेरिका के शांति योजना पर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं और कुछ विवादित बिंदुओं पर ट्रंप से चर्चा करने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत में यूरोपीय सहयोगियों को शामिल किया जाना चाहिए। हालांकि यूक्रेन के कई लोग इन शर्तें को लगभग आत्मसमर्पण मान रहे हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस और यूक्रेन के अधिकारी जल्द ही एक बैठक कर सकते हैं ताकि शांति समझौते की शर्तों पर चर्चा आगे बढ़ाई जा सके। हालांकि यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इससे पहले भी कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।

इसके बावजूद, अगर किसी तरह दोनों पक्ष एक समझौते पर सहमत हो जाते हैं और युद्ध खत्म होता है, तो इसका ग्लोबल बाजारों पर काफी पॉजिटिव असर हो सकता है। शांति की इन कोशिशों का अभी से असर भी दिखना शुरू हो गया है। ब्रेंट क्रूड ऑयल का दाम $63 के नीचे आ गया है।

4. अमेरिका में दरें घटने की संभावना

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए हैं, जिससे पूरे ग्लोबल मार्केट में बुधवार को तेजी छाई रही। शुरुआत में यह माना जा रहा था कि फेडरल रिजर्व महंगाई से जुड़ीं चिंताओं के कारण किसी तरह की कटौती नहीं करेगा, लेकिन अब तस्वीर पलट चुकी है।

फेडरल रिजर्व के दो अधिकारियों ने ब्याज दरों में कटौती के समर्थन में बयान दिया है। इन बयानों से निवेशकों की उम्मीदें और मजबूत हुई हैं। बाजार अब दिसंबर की बैठक में ब्याज दरों में 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद जता रहा है, जो कुछ हफ्ते पहले लगभग असंभव मानी जा रही थी।

ब्याज दरों में इस कटौती का सीधा प्रभाव अमेरिका के कंज्यूमर स्पेडिंग पर पड़ेगा, जो भारत की आईटी कंपनियों के लिए फायदे की बात हो सकती है। चूंकि भारतीय IT सेक्टर का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार पर निर्भर है, ऐसे IT स्टॉक्स में तेजी, सेंसेक्स और निफ्टी को नए रिकॉर्ड हाई की ओर ले जा सकती है।

5. FIIs की लगातार खरीदारी

भारतीय बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII/FPI) की गतिविधियों पर निवेशकों की पैनी नजर रहती है, क्योंकि उनका मूवमेंट अक्सर बाजार की दिशा तय करता है। विदेशी निवेशकों ने एक दिन पहले 25 नवंबर को 785 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। हालांकि 2025 में अब तक एफआईआई ने कुल ₹2.57 लाख करोड़ की नेट बिकवाली की है, जबकि डीआईआई ने इसके मुकाबले ₹6.91 लाख करोड़ की भारी खरीदारी की है, जिससे बाजार को सपोर्ट मिला है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर विदेशी निवेशकों ने आगे भी खरीदारी जारी रखी, तो बाजार को नए ऑल-टाइम हाई तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।

विभवंगल अनुकूलकरा के सिद्धार्थ मौर्या ने बताया, "FII फ्लो अब स्थिर हो रहा है और घरेलू मोर्चे पर लिक्विडिटी मजबूत है। यही सेंटिमेंट बाजार को सपोर्ट दे रहा है। अगर निफ्टी मौजूदा रेजिस्टेंस जोन के ऊपर स्थिर होकर बंद होता है, तो नए हाई दूर नहीं। बीच-बीच में उतार-चढ़ाव आएगा, लेकिन जब तक आर्थिक फंडामेंटल मजबूत है, ट्रेंड पॉजिटिव ही दिखता है।”

Bonanza के रिसर्च एनालिस्ट अभिनव तिवारी कहते हैं, “अगर अमेरिकी बॉन्ड यील्ड स्थिर रहती है या और नीचे जाती है, और ग्लोबल स्तर पर कोई नया बैंकिंग या भू-राजनीतिक झटका नहीं आता, तो भारतीय शेयरों में FIIs की खरीदारी आगे भी जारी रह सकती है।”

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