Share Market Crash: शेयर बाजार इन 10 कारणों से हुआ क्रैश, सेंसेक्स 941 अंक लुढ़का... ₹7 लाख करोड़ डूबे
Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजार आज 4 नवंबर को भरभराकर गिर गए। बीएसई सेंसेक्स आज 941 अंक गिरकर बंद हुआ। कारोबार के दौरान तो एक समय यह 1400 अंक से अधिक गिर चुका था। बीएसई के सभी सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए। यहां तक कि मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 1.5 फीसदी से अधिक टूट गए
Share Market Crash: बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 1.5 फीसदी से अधिक टूट गए थे
Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजार आज 4 नवंबर को भरभराकर गिर गए। बीएसई सेंसेक्स आज 941 अंक गिरकर बंद हुआ। कारोबार के दौरान तो एक समय यह 1400 अंक से अधिक गिर चुका था। बीएसई के सभी सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए। यहां तक कि मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 1.5 फीसदी से अधिक टूट गए। इस गिरावट से निवेशकों में अफरातफरी मच गई। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 4 लाख करोड़ रुपये घटकर 442 लाख करोड़ पर आ गया।
कारोबार के अंत में, बीएसई सेंसेक्स 941.88 अंक या 1,18 फीसदी की गिरावट के साथ 78,782.24 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं एनएसई निफ्टी 309 अंक या 1.27 फीसदी की लुढ़ककर 23,995.35 के स्तर पर बंद हुआ। । आइए जानते हैं कि इस गिरावट के पीछे 10 सबसे अहम कारण क्या रहे-
1. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव
एक्सपर्ट्स का कहना है शेयर बाजार में आज की गिरावट के पीछे मुख्य वजह अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता है। चुनाव के नतीजे मंगलवार 5 नवंबर को आएंगे। डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा कॉम्पिटीशन बताया जा रहा है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इन नतीजों का असर भारतीय इकोनॉमी पर भी देखने को मिल सकता है। कमला हैरिस की जीत से अमेरिका की ओर से अधिक उदार रुख अपनाया जा सकता है। इसके RBI भी जल्द ब्याज दरें घटाने के प्रेरित हो सकता है।
इसके उलट ट्रंप की जीत से अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची बनी रह सकती है, जिससे RBI भी दरों में कटौती के फैससे में देरी कर सकता है। इन अनिश्चितताओं के चलते निवेशकों ने इंतजार करो और देखो की रणनीति अपनाई हुई है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट, डॉ वीके विजयकुमार ने कहा, "बाजार में अगले कुछ दिनों तक अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का असर दिखेगा और निकट अवधि में अस्थिरता हो सकती है। हालांकि यह अस्थिरता शॉर्ट-टर्म होगी। लॉन्ग टर्म में अमेरिकी इकोनॉमी की ग्रोथ, महंगाई दर और फेडरल रिजर्व के फैसले जैसे फंडामेंटल कारण बाजार के के रुझान को प्रभावित करेंगे।"
2. यूएस फेड की बैठक के नतीजे
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के ठीक बाद 7 नवंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मॉनिटरी पॉलिसी के नतीजे आएंगे। उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है। इस बार 0.25 फीसदी कटौती के अनुमान लगाए जा रहे हैं। HDFC सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, "इस हफ्ते बाजार के लिए दो-दो अहम खबर आने वाले हैं। पहले अमेरिकी लोग अपने अगले राष्ट्रपति के लिए मतदान करेंगे और फिर फेडरल रिजर्व अपनी मॉनिटरी पॉलिसी बैठक ने नतीजों का ऐलान करेगा।" बाजार की इन दोनों ही इवेंट्स पर करीबी से नजर है।
3. कमजोर नतीजे
भारतीय कॉरपोरेट्स जगत के सितंबर तिमाही के नतीजे अभी तक निराशाजनर रहे हैं। इसके साथ ही विदेशी निवेशकों (FIIs) की ओर से बिकवाली ने निवेशकों के सेटीमेंट को और कमजोर कर दिया है। विजयकुमार ने कहा, "शेयर बाजार को कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ में गिरावट के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तिमाही के नतीजों से संकेत मिलता है कि निफ्टी की EPS ग्रोथ वित्त वर्ष 2025 में 10% से नीचे गिर सकती है, जिससे वित्त वर्ष 2025 की अनुमानित आय का लगभग 24 गुना मौजूदा वैल्यूएशन को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा। FIIs की ओर से भी बिकवाली रुकने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है, जो दबाव को और बढ़ा रहा है।"
4. क्रूड के दाम में तेजी
तेल उत्पादन करने वाले देशों के संगठन OPEC+ ने कहा है कि उसने मांग में नरमी और संगठन के बाहर वाले देशों से क्रूड की सप्लाई को बढ़ता देखकर अपने उत्पादन बढ़ोतरी को एक महीने तक टालने का फैसला किया है। इस बयान के बाद क्रूड ऑयल की कीमतें 2 लगभग प्रतिशत अधिक हो गईं।
5. चीन के प्रोत्साहन पैकेज पर नजर
चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी कमेटी की बैठक 4 नवंबर से 8 नवंबर के बीच होगी। बैठक के बाद कमेटी पहले घोषिए किए गए प्रोत्साहन उपायों की विस्तृत जानकारी दे सकती है, जिसपर ग्लोबल निवेशकों की नजर रहेगी। साथ ही कमेटी चीन की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कोविड के बाद के सबसे बड़े वित्तीय पैकेज का भी ऐलान कर सकती है।
6. निवेशकों की ओर से मुनाफावसूली
निवेशकों की ओर से मुनाफावसूली ने भी आज बाजार की गिरावट में योगदान दिया। निवेशक आने वाले दिनों में कई बड़ी घटनाओं को देखते निवेश निकाल रहे हैं। मास्टर कैपिटल सर्विसेज के डायरेक्टर, पल्का अरोड़ा चोपड़ा ने कहा, "निवेशक 'किसी भी बढ़त पर बिकवाली' का रुख अपना रहे हैं। बाजार मंगलवार को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व सहित दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों पर आने वाले फैसले का इंतजार कर रहा है।"
7. FII की ओर से लगातार बिकवाली
शेयर बाजार में पिछले कुछ समय से जारी गिरावट के पीछे एक बड़ा कारण FII की बिकवाली रही है। अक्टूबर महीने में उन्होंने इतिहास की सबसे बड़ी बिकवाली की और और इंडेक्स फ्यूचर्स शॉर्ट पोजीशन को नवंबर सीरीज में भी रोलओवर किया है। वी के विजयकुमार ने कहा ने कहा कि कमजोर अर्निंग्स माहौल को देखते हुए FII आगे भी बिकवाली जारी रख सकते हैं, जिससे बाजार में किसी भी तरह की तेजी पर रोक लग सकती है। इस कठिन परिस्थिति में निवेशकों के लिए वाजिब वैल्यूएशन वाले लार्जकैप में निवेश करना सुरक्षित विकल्प है।
8. वोलैटिलिटी इंडेक्स में उछाल
शेयर बाजार में डर का पैमाना बताने वाला इंडेक्स इंडिया VIX सोमवार को आठ प्रतिशत से अधिक बढ़कर 17.19 के स्तर पर पहुंच गया। यह बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ कारोबार जारी रहने का संकेत देर हा है।
9. OMC शेयरों में गिरावट
गोल्डमैन सैक्स ने एक हालिया रिपोर्ट में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) को लेकर बेयरिश नजरिया अपना है। इस रिपोर्ट के बाद OMC के शेयर आज 5 प्रतिशत तक गिए गए। गोल्डमैन सैक्स ने इंडियन ऑयल कॉर्प पर अपनी 'Sell' रेटिंग बरकरार रखी है, और 105 रुपये का टारगेट प्राइस पेश किया है। यह इसमें 1 नवंबर के मुहूर्त ट्रेडिंग क्लोजिंग भाव से 27.5% गिरावट का अनुमान जताता है।
10. निफ्टी का टेक्निकल आउटलुक
मास्टर कैपिटल सर्विसेज की डायरेक्टर पलक अरोड़ा के मुताबिक, निफ्टी इंडेक्स के लिए 24,500 का स्तर एक मजबूत रेजिस्टेंस है। इस स्तर से ऊपर ब्रेकआउट के बाद भी 24,800 की ओर रैली देखने को मिल सकती है। अरोड़ा ने कहा कि इसके उलट अगर निफ्टी 24,100 से नीचे टूटता है, तो इसे और बिकवाली का सामना करना पड़ सकता है और यह संभवत: 23,800 के स्तर तक जा सकता है। उन्होंने कहा, "बाजार दबाव में बना हुआ है, जो सतर्क रुख का सुझाव देता है। मौजूदा रणनीति किसी भी बढ़त पर बेचने की है जब तक कि रेजिस्टेंस के ऊपर एक निर्णायक ब्रेकआउट एक तेजी से उलटफेर की पुष्टि नहीं करता है।"
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