Share Market: शेयर बाजार में इन 6 कारणों से भारी उठापटक, सेंसेक्स पहले 600 अंक टूटा, फिर हुआ पूरा रिकवर

Share Market: शेयर बाजार में बुधवार 8 जनवरी को एक बार फिर तेज उठापटक देखने को मिली। सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 600 अंकों तक टूट गया। वहीं निफ्टी गिरकर 23,500 के नीचे चला गया। ब्रॉडर मार्केट में तो और भी बुरा हाल रहा। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स दोनों करीब 1.4 फीसदी तक टूट गए। सबसे अधिक गिरावट कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, पावर, बैकिंग, फाइनेंशियल्स, यूटिलिटी और कैपिटल गुड्स शेयरों में देखने को मिली

अपडेटेड Jan 08, 2025 पर 2:24 PM
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Share Market Today: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने एक बार फिर बिकवाली तेज कर दी है

Share Market Today: शेयर बाजार में बुधवार 8 जनवरी को एक बार फिर तेज उठापटक देखने को मिली। सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 600 अंकों तक टूट गया। वहीं निफ्टी गिरकर 23,500 के नीचे चला गया। हालांकि दोपहर के बाद बाजार ने कुछ वापसी की, लेकिन फिर भी दोनों इंडेक्स मामूली गिरावट के लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। सबसे अधिक बिकवाली ब्रॉडर मार्केट में देखने को मिली। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स दोनों करीब 1.4 फीसदी तक टूट गए। सबसे अधिक गिरावट कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, पावर, बैकिंग, फाइनेंशियल्स, यूटिलिटी और कैपिटल गुड्स शेयरों में देखने को मिली।

दोपहर 2.15 बजे के करीब, बीएसई सेंसेक्स 29.08 अंक गिरकर 78,170.03 पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी 21 अंक नीचे आकर 23,686 के स्तर पर गिर रहा था।

मार्केट एक्सपर्ट्स ने बताया कि शेयर बाजार में आज की भारी उठापटक के पीछे 6 प्रमुख कारण रहे-


1. GDP ग्रोथ से जुड़ी चिंता

भारत की GDP ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष में पिछले 4 सालों के सबसे निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर सकती है। भारत सरकार की ओर से मंगलवार को जारी GDP के शुरुआती अनुमानों से यह जानकारी मिली है। इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी ग्रोथ में 5.8 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली थी। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर में मंदी ने आर्थिक आउटलुक को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

स्टॉक्सबॉक्स के रिसर्च हेड, मनीष चौधरी ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 की GDP ग्रोथ को लेकर आए सरकार के शुरुआती अनुमानों ने आज बाजार के सेंटीमेंट को बिगाड़ दिया। हालांकि यह RBI की ओर से दिसंबर 2024 में दिए गए आर्थिक पूर्वानुमान के मुताबिक है। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि सरकार 1 फरवरी को पेश होने बजट में निवेश और खपत को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय करती है।

2. फेड की ओर ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें कम हुई

अमेरिका में जॉब मार्केट का हालिया आंकड़ा उम्मीद से बेहतर रहा है। इसने फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में जल्द कटौती की उम्मीदों को कम कर दिया है। नवंबर में अमेरिका में नौकरियों के मौके छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। इस बीच 10 साल की अवधि वाले यूएस ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड भी बढ़कर 4.67 प्रतिशत पर पहुंच गई। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ वी के विजयकुमार ने कहा, "अमेरिका के सर्विस सेक्टर और लेबर मार्केट में लचीलापन दिखाता है कि फेडरल रिजर्व जनवरी में ब्याज दरों को बरकरार रख सकता है, जिससे डॉलर मजबूत होगा और बॉन्ड पर यील्ड बढ़ेगी।"

3. क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें

इंटरनेशल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम बढ़ रहे हैं। रूस और ईरान की ओर से सप्लाई में कमी और चीन में बढ़ती मांग के चलते ब्रेंट क्रूड का भाव आज 0.38 प्रतिशत बढ़कर 77.34 डॉलर प्रति बैरल हो गया। तेल की ऊंची कीमतों का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है क्योंकि हम कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक हैं।

4. FIIs की ओर से लगातार बिकवाली

क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों से लौटने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने एक बार फिर बिकवाली तेज कर दी है। मंगलवार को उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में 1,491.46 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। जनवरी महीने में अब तक वह भारत से करीब 8,569.73 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। यह शेयर बाजार की गिरावट का एक सबसे बड़ा कारण बना हुआ है।

5. तीसरी तिमाही के नतीजों से जुड़ी चिंताएं

भारतीय कंपनियों के नतीजे इस तिमाही भी खराब रहने के अनुमान जताए रहे हैं। कंपनियां कल 9 जनवरी से अपने तीसरी तिमाही के नतीजे जारी करनी शुरू कर देंगी। पहला बड़ा नतीजा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का आने वाला है। इससे पहले सितंबर तिमाही में भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन निराशाजनक रखा था, जिसने न सिर्फ मार्केट के सेंटीमेंट को कमजोर किया, बल्कि ब्रोकरेज फर्मों को अधिकतर शेयरों की रेटिंग और टारगेट प्राइस भी घटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रुचित जैन ने कहा, "बाजार लगातार FIIs की बिकवाली के कारण तीन महीने से करेक्शन के दौर में है, जिसकी शुरुआत दूसरी तिमाही के अर्निंग्स सेशन के दौरान हुई थी। तब से हमने खरीदारी में कोई खास दिलचस्पी नहीं देखी है।"

6. कमजोर ग्लोबल संकेत

ग्लोबल मार्केट में गिरावट से भी शेयर बाजार का आज सेंटीमेंट प्रभावित हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार कल रात जॉब मार्केट के मजूबत आंकड़ों और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कमजोर होने से गिरावट के साथ बंद हुए। एशियाई बाजारों में भी टोक्यो, शंघाई और हांगकांग अधिकतर प्रमुख मार्केट्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।

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