Share Market Rise: शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन तेजी, सेंसेक्स 350 अंक उछला, जानिए 3 बड़े कारण
बीएसई 500 इंडेक्स के करीब 75% शेयरों ने या तो पिछले एक साल में फ्लैट रिटर्न दिया है या निवेशकों को नुकसान कराया है। बीएसई 500 इंडेक्स में कुल 500 कंपनियां हैं। इनमें से लगभग 370 कंपनियों के शेयरों ने पिछले एक साल में सपाट या नेगेटिव रिटर्न दिया है। वहीं सिर्फ करीब 50 शेयर ही इस दौरान मामूली रिटर्न दे पाने में कामयाब रही है
Share Market Rise: भारत और अमेरिका के बीच तनाव घटने से निवेशकों की चिंताएं कम हुई हैं
Share Market Rise: भारतीय शेयर बाजार में आज 17 सितंबर को लगातार दूसरे दिन तेजी देखने को मिली। भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में नरमी और फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावना से बाजार का सेंटीमेंट मजबूत हुआ। कारोबार के दौरान, सेंसेक्स 350 अंक या 0.42 फीसदी उछलकर 82,741.93 के स्तर पर पहुंच गया। वहीं निफ्टी 105 अंक या 0.41 फीसदी उछलकर 25,346 के स्तर पर पहुंच गया।
सबसे अधिक तेजी PSU बैंक, आईटी, रियल्टी और ऑटो शेयरों में देखने को मिली। हालांकि दूसरी ओर FMCG, मेटल और फार्मा शेयरों में बिकवाली देखने को मिली।
शेयर बाजार में आज की इस तेजी के पीछे 3 बड़े कारण रहे-
1. भारत-अमेरिका व्यापार तनाव में कमी
भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों में पिछले कुछ दिनों में आई नरमी ने शेयर बाजार के मनोबल को ऊंचा किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत के बाद अब दोनों देशों में व्यापार समझौते को लेकर बातचीत फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है। अमेरिकी के मुख्य ट्रेड नेगोशिएटर, ब्रेंडन लिंच इसी सिलसिले में सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे। ब्रेंडन लिंच भारतीय अधिकारियों के साथ टैरिफ से जुड़े मसलों पर चर्चा करेंगे।
इस बीच ट्रंप ने पीएम मोदी को एक बार फिर से अपना "प्रिय मित्र" बताया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, "मोदी जी के साथ मेरी शानदार बातचीत हुई। मैंने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। वे जबरदस्त काम कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन जंग खत्म करने में मोदी ने जो समर्थन दिया है, उसके लिए भी मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।"
इसके जवाब में पीएम मोदी ने भी ट्रंप को धन्यवाद दिया और दोनों देशों को "करीबी मित्र और स्वाभाविक साझेदार" बताया।
भारत और अमेरिका के बीच तनाव घटने से निवेशकों की चिंताएं कम हुई हैं। मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच हाल ही में हुई फोन पर बातचीत यह दिखाती है कि दोनों देश तनाव कम करने के तैयार हैं। इससे निवेशकों का सेंटीमेंट बेहतर हुआ है।"
जियोजित इनवेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा, "शेयर बाजार में जारी हालिया तेजी को पॉजिटिव सेंटीमेंट और फंडामेंटल्स, दोनों से सपोर्ट मिल रहा है। निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि नए व्यापार समझौते से भारत पर लगाए गए 25% के पेनाल्टी टैरिफ हट सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह शेयर बाजार के लिए बड़ा पॉजिटिव होगा।"
2. फेडरल रिजर्व की ओर से दरों में कटौती की उम्मीद
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक कल 16 सितंबर से शुरू हो चुकी है और आज 17 सितंबर को इसके नतीजे आने की उम्मीद है। शेयर बाजार उम्मीद कर रहा है कि फेडरल रिजर्व इस बैठक के दौरान ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है।
ब्याज दरों में इस कटौती का भारतीय शेयर बाजारों पर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि निवेशक इस उम्मीद में रहेंगे कि अमेरिका में दरों में कटौती से भारत में दरों में कटौती का रास्ता भी साफ होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी (MPC) की बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच होने वाली है।
इसके अलावा ब्याज दरों में कटौती से अमेरिकी कंपनियों के पास खर्च के लिए अधिक पैसे बचेंगे। इससे आईटी कंपनियों को फायदा हो सकता है, जिनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी से आता है।
3. अमेरिकी डॉलर में कमजोरी
भारतीय रुपये में बुधवार 17 सितंबर को पिछले तीन हफ्तों की सबसे मजबूत शुरुआत देखने को मिली। रुपया 88 के स्तर से नीचे खुला और कारोबार के दौरान इसने 87.81 के स्तर को छू लिया। कमजोर डॉलर इंडेक्स और फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसले से पहले अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में कमी के चलते रुपया 29 अगस्त के बाद अपने उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है।
रुपये ने तीन हफ़्तों में अपनी सबसे अच्छी शुरुआत दर्ज की, 17 सितंबर को 88 के स्तर से नीचे खुला। पिछले सत्र में 88.05 पर बंद होने के बाद, रुपया डॉलर के मुकाबले 87.82 पर खुला। यह ऐसे समय में हुआ है जब निवेशक फेड की एफओएमसी बैठक के नतीजों का इंतज़ार कर रहे थे और डॉलर सूचकांक कमज़ोर बना हुआ था।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज़ ने कहा, "अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावना और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स के 3.5 महीने के निचले स्तर पर आने से बाजार के सेंटीमेंट को मजबूती मिली है।"
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