BSE-500 के 75% शेयरों ने पिछले एक साल में नहीं दिया रिटर्न, कई 74% तक टूटे, एक्सपर्ट्स ने बताए ये कारण

बीएसई 500 इंडेक्स के करीब 75% शेयरों ने या तो पिछले एक साल में फ्लैट रिटर्न दिया है या निवेशकों को नुकसान कराया है। बीएसई 500 इंडेक्स में कुल 500 कंपनियां हैं। इनमें से लगभग 370 कंपनियों के शेयरों ने पिछले एक साल में सपाट या नेगेटिव रिटर्न दिया है। वहीं सिर्फ करीब 50 शेयर ही इस दौरान मामूली रिटर्न दे पाने में कामयाब रही है

अपडेटेड Sep 17, 2025 पर 12:18 PM
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पिछले एक साल में बीएसई-500 इंडेक्स करीब 3% टूटा है, वहीं सेंसेक्स और निफ्टी ने लगभग सपाट रिटर्न दिया है

भारतीय शेयर बाजार ने पिछले एक साल में निवेशकों का निराश किया है। सेंसेक्स और निफ्टी का रिटर्न इस दौरान लगभग सपाट रहा है। वहीं बीएसई 500 इंडेक्स के करीब 75% शेयरों ने या तो पिछले एक साल में फ्लैट रिटर्न दिया है या निवेशकों को नुकसान कराया है। बीएसई 500 इंडेक्स में कुल 500 कंपनियां हैं। इनमें से लगभग 370 कंपनियों के शेयरों ने पिछले एक साल में सपाट या नेगेटिव रिटर्न दिया है। वहीं सिर्फ करीब 50 शेयर ही इस दौरान मामूली रिटर्न दे पाने में कामयाब रहे हैं।

पिछले एक साल में बीएसई-500 इंडेक्स करीब 3% टूटा है। वहीं सेंसेक्स और निफ्टी 50 ने लगभग 1% की गिरावट दर्ज की है। दिलचस्प बात यह है कि इस करेक्शन के बावजूद, कमजोर प्रदर्शन करने वाले लगभग आधे शेयर अब भी अपने लॉन्ग-टर्म P/E मल्टीपल्स से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं।

इन शेयरों में दिखा सबसे अधिक उतार-चढ़ाव

ट्रेंडलाइन पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, बीएसई-500 इंडेक्स में सबसे अधिक गिरावट आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल के शेयरों में दिखी, जो पिछले एक साल में 74% लुढ़का। वहीं स्टर्लिंग एंड विल्सन रिन्यूएबल एनर्जी और तेजस नेटवर्क्स के शेयरों में इस दौरान क्रमशः 64% और 54% की गिरावट देखने को मिली। इसके अलावा HFCL, सीमेंस, इंडसइंड बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, नैटको फार्मा, प्राज इंडस्ट्रीज, ओला इलेक्ट्रिक और अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में भी 45 फीसदी से अधिक की गिरावट देखने को मिली।


वहीं दूसरी ओर तेजी कुछ चुनिंदा फाइनेंशियल और PSU शेयरों तक सीमित रही। इनमें बजाज फाइनेंस, ICICI बैंक, चुनिंदा सरकारी बैंक और कुछ एनर्जी कंपनियां शामिल हैं।

गिरावट की वजह

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2023-24 के दौरान शेयर बाजार में आई जोरदार तेजी के बाद कई मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का वैल्यूएशन ऊपर चला गया है। इसके अलावा रुरल इंडिया में कमजोर मांग, इंपोर्ट और एक्सपोर्ट जुड़ी बढ़ता चुनौतियों ने इन कंपनियों की अर्निंग्स पर दबाव बनाया है। इसका असर लार्जकैप स्टॉक्स पर भी देखने को मिला, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी का प्रदर्शन कमजोर हुआ।

इस सबके अलावा जियोपॉलिटिकल चिंताओं और अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ के चलते विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से पैसे खींचे, जिससे सेंटीमेंट और कमजोर हुआ।

हालांकि अच्छी बात यह है कि सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती का जो ऐलान किया है, उससे 2 से 2.4 लाख करोड़ रुपये तक का कंज्म्पशन बढ़ने की उम्मीद है। इससे जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार तेज हो सकती है। एनालिस्ट्स का कहना है कि सितंबर तिमाही की बेहतर अर्निंग्स और बेहतर होते मैक्रो संकेतों से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की भागीदारी फिर से बढ़ सकती है।

आगे की राह

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर सितंबर तिमाही के नतीजे बेहतर आए और मैक्रो संकेत सुधरे तो विदेशी निवेशकों की वापसी संभव है। हालांकि, निवेशकों की नजर अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मीटिंग पर है। अगर उम्मीद से कम ब्याज दर कटौती हुई या फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने सख्त रुख अपनाया, तो बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।

चॉइस ब्रोकिंग के डेरिवेटिव एनालिस्ट हार्दिक मतालिया ने कहा, "निवेशकों को इस समय ब्रॉड-बेस्ड खरीदारी करने के बजाय, मजबूत फंडामेंटल्स वाली कंपनियों और लीडरशिप सेक्टर्स में टेक्निकल ब्रेकआउट दिखाने वाले शेयरों पर ध्यान देना चाहिए।"

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Vikrant singh

Vikrant singh

First Published: Sep 17, 2025 12:14 PM

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