Shoonya में तकनीकी गड़बड़ी के मामले पर अलर्ट होने की जरूरत, तेजी से बढ़ती ऑप्शंस ट्रेडिंग SEBI के लिए भी सिरदर्द

डिस्काउंट ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म Shoonya के सिस्टम में 13 अप्रैल को हुई तकनीकी गड़बड़ी की वजह से कई क्लाइंट्स को काफी लॉस उठाना पड़ा। हालांकि, यह किसी ब्रोकरेज फर्म के सिस्टम में पहली तकनीकी गड़बड़ी नहीं थी, लेकिन इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है

अपडेटेड Apr 17, 2023 पर 1:47 PM
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ऑप्शंस का मतलब ऐसे इंस्ट्रूमेंट से है जिसका इस्तेमाल रिस्क को घटाने (hedge) के लिए होता है। लेकिन, अब इसका इस्तेमाल कोरोना की महामारी के बाद मार्केट में दाखिल नए निवेशकों की तरफ से लॉटरी टिकट के रूप में किया जा रहा है।

डिस्काउंट ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म Shoonya के क्लाइंट्स 13 अप्रैल को तब घबरा गए जब उन्होंने पाया कि वे ट्रेडिंग नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह ब्रोकर के सिस्टम में एक तकनीकी गड़बड़ी थी। कुछ क्लाइंट्स की चिंता तब और बढ़ गई, जब Shoonya app के यूजर्स ने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में ऐसे ट्रेड देखें जो उन्होंने किए ही नहीं थे। गुरुवार Bank Nifty और Nifty में वीकली एक्सपायरी का दिन था, जिससे ये ट्रेडर्स किसी तरह का चांस नहीं लेना चाहते थे। Shoonya पर अपने पॉजिशंस स्कावयर ऑफ नहीं कर पाने की वजह से उन्होंने अपने संभावित लॉस को कम से कम करने के लिए दूसरे ब्रोकर्स के जरिए पॉजिशन ऑफसेट करने शुरू किए। जिन ट्रेडर्स ने Soonya पर ghost trades (जो उन्होंने नहीं किए थे) स्कावयर ऑफ करने में सफल हो गए उन्होंने दिन के अंत में अपने अकाउंट में एक नया ट्रांजेक्शन देखा।

ज्यादातर क्लाइंट्स को लॉस

कई क्लाइंट्स को कुछ हजार से लेकर कुछ लाख रुपये का लॉस हो चुका है। कुछ को ट्रेड रिवर्सल की वजह से अपना प्रॉफिट कम दिख रहा है। जयपुर के हर्ष खंडेलवाल जैसे कुछ किस्मत वाले ट्रेडर्स भी है, जिन्हें दूसरे प्लेटफॉर्म पर लिए गए पॉजिशन (गलत ट्रेड को ऑफसेट करने के लिए) के चलते स्मॉल प्रॉफिट हुआ है। उन्होंने मनीकंट्रोल को बताया, "घटना के वक्त चीजें डरावनी लग रही थीं, लेकिन मेरे मामले में नतीजा पॉजिटिव रहा है।" उन्होंने बताया कि उनके कुछ दोस्तों को ऐसे ही ट्रेड पर ज्यादा प्रॉफिट हुआ है।


Shoonya ने जारी किया स्टेटमेंट

Shoonya ने एक स्टेटमेंट जारी किया। इसमें क्लाइंट्स से किसी तरह के गलत ट्रेड्स के कॉन्ट्रैक्ट नोट्स चेक करने के लिए कहा गया था। साथ ही 17 अप्रैल को सुबह 9:30 बजे से पहले ओपन पॉजिशन क्लोज करने को भी कहा गया था। उसके बाद क्लाइंट्स को अपना मामला Shoonya की रिस्क एसेसमेंट टीम को सब्मिट करने को कहा गया है। टीम मामले को रिव्यू करने के बाद उसका सॉल्यूशन बताएगी।

क्या है वजह?

यह एक ब्रोकर और उसके क्लाइंट्स के बीच विवाद का रूप ले सकता है। यह ब्रोकर के सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से ट्रेडर्स को लॉस होने का पहला मामला नहीं है और न ही यह आखिरी होगा। लेकिन, इस मामले पर दुनियाभर में रेगुलेटर्स के बीच तेजी से बढ़ते इक्विटी ऑप्शन ट्रेडिंग को लेकर चिंता के नजरिए से देखना होगा। पिछले दो साल में इक्विटी ऑप्शन ट्रेडिंग तेजी से बढ़ा है, जिसमें नए रिटेल इनवेस्टर्स का बड़ा हाथ रहा है। सिर्फ इंडिया में ऑप्शन ट्रेडिंग ने बड़ा आकार नहीं लिया है बल्कि अमेरिकी मार्केट में भी ऐसा दिख रहा है।

हेजिंग टूल लॉटरी टिकट का रूप ले चुका है

ऑप्शंस का मतलब ऐसे इंस्ट्रूमेंट से है जिसका इस्तेमाल रिस्क को घटाने (hedge) के लिए होता है। लेकिन, अब इसका इस्तेमाल कोरोना की महामारी के बाद मार्केट में दाखिल नए निवेशकों की तरफ से लॉटरी टिकट के रूप में किया जा रहा है। यह और कुछ दूसरे कारणों की वजह से ऐसी स्थिति देखने को मिली।

पहला, पेऑफ: अगर आप ऑप्शन खरीदते हैं और कीमत की दिशा आपके पक्ष में होती है तो थोड़े शुरुआती इनवेस्टमेंट पर आपको बड़ा प्रॉफिट होता है। स्टॉक्स और फ्यूचर्स के मामले में ऐसा नहीं है, जिसमें शुरुआती निवेश बहुत ज्यादा होता है।

दूसरा, सेबी के मार्जिन मनी को ब्रोकर्स के पास अपफ्रंट डिपॉजिट करने जैसे सख्त नियमों की वजह से रिटेल इनवेस्टर्स तेजी से ऑप्शंस ट्रेडिंग का रुख कर रहे हैं, जिसमें थोड़ी कॉस्ट चुकाकर पॉजिशन को ऑफसेट कर मार्जिन ऑब्लिगेशंस को मैनेज किया जा सकता है।

तीसरा, मार्च 2020 से अक्टूबर 2021 के बीच मार्केट में करीब एक-तरफा तेजी की वजह से कई ट्रेडर्स ने कॉल ऑप्शंस (मार्केट के चढ़ने पर दांव) खरीदने और पुट ऑप्शंस बेचने (मार्केट नहीं गिरने पर दांव) जैसी बेसिक स्ट्रेटेजी के जरिए बड़ा मुनाफा कमाए हैं।

विस्फोटक ग्रोथ

FY20 और FY23 के बीच इंडेक्स ऑप्शंस में एवरेज डेली टर्नओवर 10 गुना बढ़कर करीब 45,000 करोड़ रुपये हो गया है। स्टॉक ऑप्शंस का एवरेज डेली टर्नओवर करीब पांच गुना बढ़कर 3,800 करोड़ रुपये हो गया है। इसी दौरान स्टॉक और इंडेक्स फ्यूचर्स में एवरेज डेली टर्नओवर 50 फीसदी भी नहीं बढ़ा है।

कैश मार्केट में भी ग्रोथ बहुत कम रही है। कैश मार्केट टर्नओवर और इक्विटी डेरिवेटिव टर्नओवर के बीच का फर्क बहुत ज्यादा बढ़ गया है। मजेदार बात यह है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग में दिलचस्पी इस सामान्य धारणा के बावजूद बढ़ रही है कि इसमें ज्यादातर ट्रेडर्स को लॉस होता है।

सेबी की हाल की एक स्टडी ने पाया है कि 10 में से 9 डेरिवेटिव ट्रेडर्स पैसे गंवाते हैं। जो पैसे बनाते हैं उनमें भी कुछ ही अच्छी कमाई कर पाते हैं।

MoneyControl News

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First Published: Apr 17, 2023 1:36 PM

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