Stock Exchange: BSE पर फीस के मामले में भेदभाव बरतने का आरोप, जानिए क्या है यह पूरा मामला

Stock Exchange: BSE पर आरोप लगा है कि वह ग्रुप ए और ग्रुप बी में आने वाले हाई-वैल्यू स्टॉक्स पर प्रति एक करोड़ के ट्रेड पर सिर्फ 375 रुपये (0.00375%) की ट्रांजेक्शन फीस ले रहा है। दूसरी तरफ वह ग्रुप X और XT में आने वाले लो-वॉल्यूम स्टॉक्स के लिए प्रति 1 करोड़ के ट्रेड पर 10,000 रुपये (0.1%) की फीस ले रहा है

अपडेटेड Jun 10, 2025 पर 10:03 AM
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X और XT ग्रुप में आने वाली कंपनियों के स्टॉक्स सिर्फ BSE पर लिस्टेड हैं।

क्या बीएसई सेबी के सर्कुलर की अनदेखी कर रहा है? कुछ मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने बीएसई पर यह आरोप लगाया है। बीएसई ने इस आरोप को खारिज किया है। बीएसई पर आरोप यह है कि वह हाई-वैल्यू ब्लू-चिप स्टॉक्स के लिए कम फीस ले रहा है, जबकि दूसरे स्टॉक्स में कम वॉल्यूम ट्रेड पर ज्यादा फीस ले रहा है। इसका मतलब यह है कि बीएसई वॉल्यूम और स्टॉक्स की कैटेगरी के आधार पर फीस वसूल रहा है। आइए इस पूरे मामले को समझते हैं।

हाई वैल्यू स्टॉक्स के लिए कम ट्रांजेक्शन फीस

BSE पर आरोप लगा है कि वह ग्रुप ए और ग्रुप बी में आने वाले हाई-वैल्यू स्टॉक्स पर प्रति एक करोड़ के ट्रेड पर सिर्फ 375 रुपये (0.00375%) की ट्रांजेक्शन फीस ले रहा है। दूसरी तरफ वह  ग्रुप X और XT में आने वाले लो-वॉल्यूम स्टॉक्स के लिए प्रति 1 करोड़ के ट्रेड पर 10,000 रुपये (0.1%) की फीस ले रहा है। मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि बीएसई का यह व्यवहार भेदभाव वाला है, क्योंकि वह वॉल्यूम के आधार पर ट्रांजेक्शन फीस में डिस्काउंट दे रहा है।


एक्स और एक्सटी ग्रुप वाले स्टॉक्स की ट्रेडिंग सिर्फ BSE में

यह ध्यान में रखना जरूरी है कि X और XT ग्रुप में आने वाले स्टॉक्स का सेटलमेंट सेम डे (जिस दिन ट्रेड होता है) हो जाता है और इनका आंशिक पेमेंट होता है। इन स्टॉक्स की ट्रेडिंग सिर्फ BSE पर होती है। बीएसई ने इस मामले पर अपने जबाव में इन आरोपों को खारिज किया है। उसने कहा है, "True to Label सर्कुलर में यह कहा गया है कि मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MIIs) को फीस में पारदर्शिता का पालन करना होगा। बीएसई की फीस पारदर्शी है और यह ट्रू टू लेबल की शर्त का पालन करती है। यह ध्यान रखा जाता है कि उसके मेंबर्स पर लेवी को बगैर किसी छिपे हुए डिस्काउंट या रिबेट के सीधे एंड-क्लाइंट को पास कर दिया जाए।"

बीएसई ने बताई ज्यादा फीस लेने की वजह

BSE ने X और XT ग्रुप के शेयरों के लिए ज्यादा फीस लेने की वजह बताई है। उसने कहा है कि एक्स और एक्सटी ग्रुप में आने वाले स्टॉक्स सिर्फ बीएसई पर लिस्टेड हैं और इनमें ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होता है। निवेशकों के हितों की रक्षा और इनवेस्टर्स को बहुत ज्यादा ट्रेडिंग करने से रोकने के लिए इन ग्रुप के शेयरों पर 2016 से ही अलग फीस लगाई जा रही है।

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मेंबर्स को किसी तरह का डिस्काउंट या रिबेट नहीं

बीएसई ने यह भी कहा है कि वह सेबी के सर्कुलर का पालन करता है और उसकी ट्रांजेक्शन फीस पूरी तरह से पारदर्शी और एकसमान है, जिसमें मेंबर्स को किसी तरह का डिस्काउंट या रिबेट नहीं दिया जाता है। बीएसई एशिया का सबसे पुराना स्टॉक्स एक्सचेंज है। इसका मुकाबला एनएसई से है, जो ट्रेडिंग वॉल्यूम के लिहाज से इंडिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।

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