शेयर बाजार की हालत खराब! जिम्बाब्वे से भी ज्यादा निवेशकों का भारत में डूबा पैसा

ब्लूमबर्ग ने दुनिया भर के शेयर बाजारों को लेकर एक रिपोर्ट निकाली है, जिसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2025 में अब तक दुनिया भर के शेयर बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन भारत का रहा है, जो दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा बाजार है। भारत के मार्केट कैप में इस साल सबसे अधिक 18.33 फीसदी की गिरावट आई है।

अपडेटेड Feb 14, 2025 पर 5:38 PM
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Stock Market Woes: 2025 की शुरुआत से ही सेंसेक्स और निफ्टी अब तक करीब 2.6% नीचे आ चुके हैं

क्या आपको यकीन होगा कि 2025 में भारत का शेयर बाजार इतना गिर चुका है कि उसने जिम्बाब्वे और आइसलैंड को भी पीछे छोड़ दिया है? जी हां! भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैप इस समय 4 ट्रिलियन डॉलर यानी 4 लाख करोड़ डॉलर के नीचे आ गया है, और यह पिछले 14 महीनों का सबसे निचला स्तर है। विदेशी निवेशकों के बाजार से पैसे निकालने का साफ असर देखा जा रहा है। आखिर शेयर बाजार में यह गिरावट क्यों आ रही है? बाकी देशों का मुकाबला भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

ब्लूमबर्ग ने दुनिया भर के शेयर बाजारों को लेकर एक रिपोर्ट निकाली है, जिसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2025 में अब तक दुनिया भर के शेयर बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन भारत का रहा है, जो दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा बाजार है। भारत के मार्केट कैप में इस साल सबसे अधिक 18.33 फीसदी की गिरावट आई है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, दूसरे नंबर पर जिम्बाब्वे हैं। यहां 18.3 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि आइसलैंड 18 फीसदी की गिरावट के साथ तीसरे स्थान पर है।

इसकी तुलना में दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक मार्केट अमेरिका का मार्केट कैप इस साल अब तक 3 फीसदी बढ़ा है। वहीं चीन और जापान के मार्केट कैप में भी 2.2 फीसदी का इजाफा देखा गया। सबसे अधिक तेजी फ्रांस में देखने को मिली, जहां का मार्केट कैप इस साल अबतक 9.9 फीसदी बढ़ा है।


शेयर बाजार में क्यों आ रही इतनी गिरावट?

2025 की शुरुआत से ही सेंसेक्स और निफ्टी अब तक करीब 2.6% नीचे आ चुके हैं। वहीं, BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 12% और 15% तक लुढ़क चुके हैं। भारतीय बाजारों का कुल मार्केट कैप अब 3.99 ट्रिलियन डॉलर है, जो 4 दिसंबर, 2023 के बाद से सबसे कम है। उस वक्त भारत का मार्केट कैप 5.14 ट्रिलियन डॉलर था। तब से अब तक इसमें 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की गिरावट आ चुकी है।

शेयर बाजार के सामने इस समय कई तरह की चिंताएं हैं। भारतीय रुपया इस साल अब तक 1.5% कमजोर हो चुका है। इंडोनेशिया के बाद यह एशिया में दूसरी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी है। इसके अलावा विदेशी निवेशक इस साल अब तक करीब 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस बीच अपनी टैरिफ नीतियों से व्यापारिक तनाव बढ़ाने की धमकी दे रहे हैं, जिससे ग्लोबल ट्रेड वार शुरू होने का खतरा बना हुआ है। इसके अलावा भारतीय शेयरों का ऊंचा वैल्यूएशन भी मार्केट एक्सपर्ट्स के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। वैल्यूएशन गुरु कहे जाने वाले अस्वथ दामोदरन ने हाल ही में भारत को दुनिया का सबसे महंगा बाजार बताया था।

निवेशकों को आगे क्या करना चाहिए?

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल AMC के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर एस नरेन और वैल्यूएशन गुरु अश्वथ दामोदरन का कहना है कि निवेशकों को मिडकैप और स्मॉल-कैप शेयरों का वैल्यूएशन खासतौर से काफी ऊंचा है और निवेशकों को इनसे दूर रहना चाहिए। उन्होंने निवेशकों को कम वैल्यूएशन वाले ब्लूचिप स्टॉक्स पर फोकस करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बाजार में हालिया गिरावट के बावजूद भारत का लॉन्ग टर्म आउटलुक मजबूत है। भारतीय करेंसी में स्थिरता के बाद विदेशी निवेशकों की बाजार में वापसी हो सकती है। भारतीय कंपनियों की आगामी तिमाही नतीजों भी बाजार की चाल तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

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