स्टॉक मार्केट्स का मूड 27 जनवरी से बदला है। इस दौरान निफ्टी 4 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है। 4 फरवरी को मार्केट में जबर्दस्त तेजी देखने को मिली। 5 जनवरी को भी मार्केट के प्रमुख सूचकांक हरे निशान में दिखे। इस बार का मार्केट करेक्शन 126 दिन का रहा। बीते 10 सालों में यह दूसरा सबसे लंबा मार्केट करेक्शन है। बीते 10 साल में मार्केट में 10 करेक्शन देखने को मिला है। हालिया करेक्शन के बाद निफ्टी में 1 साल के फारवर्ड पीई के 18.8 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह निफ्टी के 10 साल के औसत से अब भी 3-4 फीसदी ज्यादा है। लेकिन, निफ्टी की वैल्यूएशन सितंबर 2024 के हाई से नीचे आई है।
इधर, डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये में कमजोरी जारी है। इसकी बड़ी वजह डॉलर इंडेक्स में मजबूती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का असर मार्केट पर पड़ चुका है। अब दुनियाभर के बाजारों में तेजी लौट आई है। 1 फरवरी को यूनियन बजट में वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman के ऐलान का पॉजिटिव असर कई सेक्टर पर दिखेगा। इस बीच, नजरें RBI की मॉनेटरी पॉलिसी पर लगी हैं। 7 फरवरी को RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा इंटरेस्ट रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो बीते पांच साल में रेपो रेट में यह पहली कटौती होगी। इसका पॉजिटिव असर स्टॉक मार्केट पर पड़ेगा।
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एशियन पेंट्स के शेयरों में 5 फरवरी को 4.32 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। 4 फरवरी को Asian Paints का स्टॉक 2.7 फीसदी चढ़ा था। इसकी तीसरी तिमाही में कंपनी का बेहतर प्रदर्शन है। दिसंबर तिमाही में कंपनी का प्रॉफिट 1,128 करोड़ रुपये रहा। मार्जिन और वॉल्यूम दोनों उम्मीद से बेहतर रहे। मैनेजमेंट ने आने वाली तिमाहियों में रेवेन्यू की ग्रोथ अच्छी रहने की उम्मीद जताई है। इससे संकेत मिलता है कि कंपनी स्लोडाउन के असर से बाहर निकल रही है। हालांकि, रेवेन्यू में लगातार चौथी तिमाही गिरावट चिंता की बात है। पेंट्स मार्केट में डिमांड कमजोर है, जबकि प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है। ऐसे में एशियन पेंट्स के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है।