ईरान-इजरायल के बीच 10 दिनों से जारी लड़ाई से इनवेस्टर्स को मार्केट गिरने का डर सता रहा है। 22 जून को इस लड़ाई में अमेरिका के सीधे तौर पर कूद जाने से मार्केट को लेकर डर और बढ़ गया है। मनीकंट्रोल ने स्थिति को समझने और इनवेस्टर्स की मदद के लिए जूलियस बेयर इंडिया के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर मिलिंद मुछल से बातचीत की। उन्होंने कहा कि जहां तक ईरान-इजरायल लड़ाई की बात है तो हमें यह देखना होगा कि यह लड़ाई किस तरह का रूप ले रही है। दूसरा, यह लड़ाई कितने दिनों तक जारी रहती है और सप्लाई चेन पर इसका क्या असर पड़ता है। खासकर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज की स्थिति क्या रहती है।
मार्केट में गिरावट निवेश बढ़ाने का बड़ मौका
मुछल ने कहा कि जियोपॉलिटिकल टेंशन (Iran-Israel War) की वजह से शॉर्ट टर्म में करेक्शन आ सकता है। लेकिन, यह शेयरों में निवेश बढ़ाने का इनवेस्टर्स के लिए एक बड़ा मौका होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया बीते तीन सालों से जियोपॉलिटिकल टेंशन का सामना कर रही है। पहले, रूस और यूक्रेन की लड़ाई शुरू हुई जो अब भी चल रही है। उसके बाद इजरायल-हमास के बीच संघर्ष हुआ। अब ईरान और इजरायल लड़ रहे हैं। इस लड़ाई (ईरान-इजरायल) का सबसे बड़ा असर यह है कि क्रू़ड ऑयल 20 फीसदी महंगा हो गया है। इससे पहले बीते एक साल में इसमें गिरावट दिख रही थी।
क्रूड की सप्लाई में नहीं आएगी बड़ी रुकावट
उन्होंने कहा कि ईरान-इजरायल की लड़ाई बढ़ सकती है। लेकिन, क्रू़ड ऑयल का रिजर्व काफी बड़ा है, जिससे इसकी सप्लाई में बड़ी बाधा नहीं आएगी। दूसरा, डिमांड बहुत स्ट्रॉन्ग नहीं होने से ऑयल की कीमतों में नरमी के आसार हैं। इसलिए महंगे क्रूड का इनफ्लेशन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इधर, इंडिया में स्थिति काफी उत्साहजन दिख रही है। इनफ्लेशन काबू में है, जिसमें फूड की कीमतों में नरमी का बड़ा हाथ है। इस वजह से शेयरों को लेकर हमारा नजरिया पॉजिटिव है। मेरा मानना है कि मार्केट की हर गिरावट से इनवेस्टर्स को शेयरों में निवेश बढ़ाने का एक मौका मिलेगा।
शेयर महंगे होने से मार्केट में दिखा कंसॉलिडेशन
क्या अर्निंग्स बढ़ने के बाद ही मार्केट नई ऊंचाई की तरफ बढ़ेगा? इसके जवाब में मुछल ने कहा कि मार्केट लंबी अवधि में अर्निंग्स का गुलाम है। हालांकि, शॉर्ट टर्म में इस पर सेंटिमेंट और टेक्निकल फैक्टर्स का असर पड़ता है। बीते एक साल में मार्केट में ज्यादातर कंसॉलिडेशन दिखा है। बीच-बीच में काफी उतारचढ़ाव भी रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि शेयरों की कीमतें फंडामेंटल्स से काफी आगे निकल गई थीं।
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अर्निंग्स ग्रोथ आने वाली तिमाहियों में बढ़ने की उम्मीद
अर्निंग्स ग्रोथ कई वजहों से सुस्त पड़ती नजर आई। इनमें सरकार के पूजीगत खर्च में कमी, कंजम्प्शन में कमजोरी, सख्त मॉनेटरी स्थितियां शामिल हैं। लेकिन, पिछले 2 महीनों में इनमें से कई चीजें पॉजिटिव हो गई हैं। RBI ने मार्केट को इंटरेस्ट रेट में बड़ी कमी का तोहफा दिया है। मानसून की बारिश अच्छी रहने के आसार हैं। इससे कंजम्प्शन बढ़ेगा। इससे आने वाली तिमाहियों में अर्निंग्स बढ़ेगी। हालांकि, FY26 में अर्निंग्स ग्रोथ सिंगल डिजिट में रहने की उम्मीद है।