सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी है। दोनों टेलीकॉम कंपनियों ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के बकाया अमाउंट के कैलकुलेशन में गड़बड़ी ठीक करने के लिए रिव्यू पिटीशन फाइल की थी। लेकिन, देश की सबसे बड़ी अदालत ने पिटीशन खारिज करते हुए कोर्ट के 2021 के फैसले को बहाल रखा। अब दोनों कंपनियों के लिए कोई दूसरा कानूनी विकल्प नहीं रह गया है। अब सिर्फ सरकार के हस्तक्षेप से उन्हें राहत मिल सकती है। 14 फरवरी को वोडोफोन आइडिया के शेयर 5 फीसदी से ज्यादा फिसले, जबकि भारती एयरटेल के शेयर हल्की तेजी के साथ बंद हुए।
वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल ने कैलकुलेशन में गड़बड़ी की दलील दी थी
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि 23 जुलाई, 2021 के फैसले को रिव्यू करने की कोई जरूरत नहीं है। बेंच ने यह भी कहा कि इसके साथ ही अगर कोई लंबित याचिका होगी तो उसे भी खारिज मान लिया जाएगा। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने कहा था कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) से एजीआर ड्यूज के कैलकुलेशन में बड़ी गड़बड़ हुई है। कैलकुलेशन में पहले किए पेमेंट को भी ध्यान में नहीं रखा गया है। इसके अलावा कैलकुलेशन में नॉन-कोर रेवेन्यू को भी जोड़ा गया है।
कैलकुलेशन में गड़बड़ी से 25000 करोड़ का अनुचित बोझ
वोडाफोन आइडिया ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि एजीआर ड्यूज के कैलकुलेशन में गड़बड़ी की वजह से करीब 25,000 करोड़ रुपये का अनुचित वित्तीय बोझ पड़ा है। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट के याचिका खारिज कर देने के बाद अब वोडाफोन आइडिया के लिए कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा है। वोडाफोन आइडिया ने इस बारे में जारी बयान में कहा है कि याचिका खारिज होने के बाद एजीआर से जुड़े सभी मसले बंद हो गए हैं। कंपनी ने इस बारे में कई अप्लिकेशंस, रिव्यू पिटीशंस और क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी।
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दोनों कंपनियों की नजरें अब सरकार पर
भारती एयरटेल ने भी स्टॉक एक्सचेंजों को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के 28 जनवरी, 2025 के आदेश को 13 फरवरी, 2025 को अपलोड किया गया है। इसमें रिव्यू पिटीशंस खारिज कर दी गई हैं। 2021 के आदेश को सही माना गया है। अब कानूनी रास्ता खत्म हो जाने के बाद दोनों टेलीकॉम कंपनियां अब सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रही हैं। खबरों में कहा गया है कि सरकार एजीआर ड्यूज पर 100 फीसदी पेनाल्टी और 50 फीसदी इंटरेस्ट माफ करने पर विचार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो दोनों टेलीकॉम कंपनियों पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ कम हो जाएगा।