Tata Motors DVR Shares: टाटा मोटर्स डीवीआर के शेयर आज 26 जुलाई को अपने एक साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए। दिन के कारोबार में इसके शेयरों में 18 प्रतिशत की भारी तेजी आई और इसने 440 रुपये का नया रिकॉर्ड स्तर छुआ। कारोबार के अंत में यह करीब 12.42 फीसदी की तेजी के साथ 419.45 रुपये के भाव पर बंद हुआ। कंपनी के शेयरों में यह तेजी टाटा मोटर्स की ओर से किए गए एक ऐलान के चलते आई है। टाटा मोटर्स ने मंगलवार को बाजार बंद होने के बाद एक बयान में कहा कि उसने अपने डीवीआर शेयरों को ऑर्डिनरी शेयरों में बदलने का फैसला किया है। इसी के बाद आज डीवीआर के शेयरों में तेजी आई।
ये डीवीआर शेयर क्या होते हैं? इसका क्या फायदे हैं? टाटा मोटर्स ने इन्हें कब जारी किया था? और निवेशकों को अब क्या करना चाहिए, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
डीवीआर शेयर क्या होते हैं?
अब सवाल आता है कि अगर डीवीआर शेयरों की वोटिंग राइट्स कम है, तो भी कोई शेयरधारक इसे क्यों खरीदेगा। दरअसल इन शेयरों पर आम शेयरों के मुकाबले 5 फीसदी अधिक लाभांश मिलता है। यानी अगर कोई कंपनी अपने आम शेयरधारकों को 100 रुपये डिविडेंड दे रही है, तो वह डीवीआर शेयरधारकों को 5 फीसदी अधिक यानी 105 रुपये डिविडेंड देती है। इसलिए कई छोटे शेयरधारक वोटिंग राइट्स की जगह अधिक डिविडेंड वाला शेयर चुन लते हैं।
टाटा मोटर्स ने इन्हें कब जारी किया था?
टाटा मोटर्स ने पहली बार साल 2008 में डीवीआर शेयरों को जारी किया था। बाद में 2010 और 2015 में भी एक QIP और राइट इश्यू लाकर इन शेयरों की संख्या बढ़ाई गई थी। बाद में सेबी ने डीवीआर शेयरों के जारी करने पर रोक लगा दी, तो अब किसी कंपनी का डीवीआर शेयर आता भी नहीं है। भारत में टाटा मोटर्स इकलौती बड़ी कंपनी है, जिसने ऐसे शेयर जारी किए हैं।
टाटा मोटर्स ने अब कहा है कि वह अपने सभी DVR शेयर को कैंसिल कर सामान्य शेयरों में कन्वर्ट करेगी। DVR शेयरहोल्डर्स को हर 10 शेयर के बदले Tata Motors के 7 शेयर मिलेंगे जोकि अभी करीब 23% प्रीमियम पर हैय़ कंपनी ने कहा है कि इस कैंसिलेशन प्रोसेस में 12-15 महीने का समय लग सकता है। इस के पूरा होने के बाद टाटा मोटर्स के कुल शेयरों की संख्या करीब 4.2 प्रतिशत घट जाएगी।
टाटा मोटर्स इतने सालों के बाद इन शेयरों को क्यों कैंसल कर रही या वापस ले रही?
टाटा मोटर्स के चीफ फाइनेंस ऑफिसर पीएल बालाजी ने इस सवाल पर बताया कि टाटा मोटर्स अपनी कैपिटल स्ट्रक्चर को आसान बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि डीवीआर शेयरों के सामने बड़ी चुनौती यह है कि साल 2010 में SEBI ने इन शेयरों को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद बाजार में इन शेयरों को लेकर दिलचस्पी खत्म हो गई।
टाटा मोटर्स के मुख्य शेयर के मुकाबले इसका भाव करीब 48 फीसदी तक कम हो गया था। पीएल बालाजी ने बताया कि डीवीआर शेयरधारकों ने यह मामला कंपनी के सामने उठाया था, जिसके बाद टाटा मोटर्स ने काफी विचार-विमर्श के बाद इन शेयरों को रद्द करने का फैसला किया।
फिलहाल टाटा मोटर्स के 92 प्रतिशत से अधिक डीवीआर पब्लिक शेयरधारों के पास है। इसमें से 28.82 फीसदी हिस्सेदादी म्यूचुअल फंड धारकों के पास, जबकि 18.6 फीसदी हि्सेदारी विदेशी निवेशकों के पास है। रेखा झुनझुनवाला की भी इस कंपनी में करीब 1.92 फीसदी हिस्सेदारी है।
एक्सपर्ट्स की क्या है राय?
ब्रोकरेज फर्म निर्मल बैंग का कहना है कि इन शेयरों को कैंसल करने से टाटा मोटर्स के कुल शेयरों की संख्या में 4.2 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे टाटा मोटर्स का अर्निंग प्रति शेयर बढ़ जाएगा और कंपनी की वैल्यूएशन आकर्षक बन जाएगी। ICICI सिक्योरिटीज ने भी इस बात से सहमति जताई और उसने टाटा मोटर्स के शेयरों के लिए 699 रुपये का टारगेट प्राइस दिया।
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