टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज में मतभेद बढ़ने की बड़ी वजह टाटा इंटरनेशनल (टीआईएल) का फंडिंग प्लान है। टाटा समूह की यह कंपनी लॉस में है। नोएल टाटा इसके चेयरमैन हैं। आरोप है कि इस कंपनी के लिए 1,000 करोड़ रुपये के फंडिंग प्लान पर व्यापक विचार नहीं हुआ। इसमें टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के आर्टिकल 121ए का भी उल्लंघन हुआ। इस आर्टिकल के मुताबिक, बड़े फाइनेंशियल फैसलों पर ट्रस्ट्स का एप्रूवल जरूरी है।
टाटा इंटरनेशनल की मौजूदगी 27 देशों में
Noel Tata 2010 से ही Tata International के चेयरमैन हैं। वह इसे टाटा समूह के घरेलू और विदेशी कारोबार के बीच जरूरी पुल (Bridge) मानते रहे हैं। टीआईएल की मौजूदगी 27 देशों में है। ऑटो डिस्ट्रिब्यूशन, लेदर एक्सपोर्ट्स, एग्री ट्रेडिंग और इंडस्ट्रियल सप्लाई चेन में इसकी दिलचस्पी है। इस कंपनी पर काफी कर्ज है। इसे काफी फॉरेक्स लॉस उठाना पड़ा है। इसका ग्रोथ मॉडल भी कमजोर है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि टाटा इंटरनेशनल के फंडिंग प्लान को जिस तरह एप्रूवल मिला, उस पर कई ट्रस्टीज ने सवाल उठाए हैं।
कई ट्रस्टीज ने फंडिंग के प्लान पर उठाए सवाल
बताया जाता है कि टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज परमीत झावेरी, मेहिल मिस्त्री, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा 11 सितंबर को टाटा ट्रस्ट्स की बोर्ड मीटिंग में फंडिंग के प्लान को जिस तरह से एप्रूव किया गया, उससे खुश नहीं हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, "मसला यह नहीं है कि टीआईएल को फंड की जरूरत है या नहीं, बल्कि फंडिंग के फैसले के तरीके को लेकर सवाल पैदा होते हैं। ट्रस्टीज का मानना है कि इतने बड़े फंड जुटाने के प्लान पर पूरी तरह के विचार होना चाहिए था और इसके बारे में पहले से जानकारी दी जानी चाहिए थी।"
टाटा मोटर्स के हालिया अधिग्रहण पर भी सवाल
इन ट्रस्टीज ने टाटा मोटर्स के हाल में Iveco Group के नॉन-डिफेंस कमर्शियल व्हीकल बिजनेस के अधिग्रहण पर भी सवाल उठाए हैं। टाटा मोटर्स ने जुलाई में यह अधिग्रहण 38,000 करोड़ रुपये (3.8 अरब पौंड) में किया था। ट्रस्टीज का कहना है कि इस ट्रांजेक्शन के बारे में भी उन्हें काफी बाद में जानकारी दी गई।
टाटा इंटरनेशनल पर 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज
टाटा संस के बोर्ड की मीटिंग 8 अगस्त को हुई थी। मनीकंट्रोल ने इसके मिनट्स देखे हैं। इससे पता चलता है कि TIL के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव सिंघल ने कंपनी की फाइनेंशियल मदद और रिस्ट्रक्चरिंग को सपोर्ट देने के लिए फंडिंग का प्रस्ताव पेश किया। TIL का टर्नओवर FY2020 के मुकाबले दोगुना हो गया है। इसके बावजूद इसकी बैलेंशीट पर दबाव है। इसने FY2023-24 में करीब 28,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया था। लेकिन, इसका ऑपेरटिंग मार्जिन सिर्फ 1 फीसदी था। सितंबर 2024 में कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़कर 4,100 करोड़ रुपये पहुंच गया।
टाटा इंटरनेशनल के प्रदर्शन को लेकर भी सवाल
टाटा इंटरनेशनल का उसकी अफ्रीकी डिस्ट्रिब्यूशन इकाई के लिए मित्सीबिशी कॉर्पोरेशन मोबिलिटी ग्रुप के साथ ज्वाइंट वेंचर है। इसके अलावा इसने अपने ग्लोबल ट्रेडिंग बिजनेस के लिए Mercuria Group के साथ भी समझौता किया है। बोर्ड के कई सदस्य टीआईएल की लगातार मदद के खिलाफ हैं। हरीश मानवानी का मानना है कि TIL के लिए एक स्पष्ट बिजनेस मॉडल जरूरी है। इसके बगैर कंपनी के लिए रिस्क बना रहेगा। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी कह चुके हैं कि प्रस्तावित फंडिंग से फिलहाल टीआईएल को राहत मिलेगी, लेकिन कंपनी के साथ स्ट्रक्चरल प्रॉबलम्स हैं।