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बाजार अब नहीं रहा गिरावट में खरीदारी वाला बाजार, बल्कि ये उछाल में बिकवाली वाला बाजार बना -अभय अग्रवाल

बाजार पर बात करते हुए अभय अग्रवाल ने कहा कि ये बाजार अब गिरावट में खरीदारी वाला मार्केट नहीं रह गया है। यह बड़ी तेजी से उछाल पर बिकवाली वाला मार्केट बन रहा है। शॉर्ट टर्म में बाजार का वैल्यूशन काफी ज्यादा बढ़ गया था। इसको बनाए रखने के लिए बाजार में अच्छी खबरों की बहुत ज्यादा जरूरत थी जिनका अब अभाव है

अपडेटेड Oct 04, 2024 पर 1:22 PM
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अभय अग्रवाल को केमिकल शेयरों में भी अब तेजी की संभावना दिख रही है। उनका कहना है कि केमिकल सेक्टर के मार्जिन में अब सुधार दिख है। इस समय उन केमिकल खास कर एग्रो केमिकल शेयरों पर फोकस करने की जरूरत है

बिग मार्केट वाइसेज में आज सीएनबीसी-आवाज़ के साथ रहे Piper Serica के फाउंडर & फंड मैनेजर अभय अग्रवाल, जिनके पास इन्वेस्टिंग की दुनिया में तीन दशक का अनुभव है। अभय जी जेपी मॉर्गन के साथ काम कर चुके हैं और खास तौर से मल्टी बैगर शेयर तलाशने के लिए जाने जाते हैं। इन्होंनो 2004 में Piper Serica की स्थापना की। ये जेपी मॉर्गन के साथ भी काम कर चुके हैं। अभय ने 1993-1997 के बीच सिटी बैंक के साथ काम किया।

बाजार में ओवर एलोकेशन से बचें

बाजार पर बात करते हुए अभय अग्रवाल ने कहा कि ये बाजार अब गिरावट में खरीदारी वाला मार्केट नहीं रह गया है। यह बड़ी तेजी से उछाल पर बिकवाली वाला मार्केट बन रहा है। शॉर्ट टर्म में बाजार का वैल्यूशन काफी ज्यादा बढ़ गया था। इसको बनाए रखने के लिए बाजार में अच्छी खबरों की बहुत ज्यादा जरूरत थी। अभय का कहना है कि बाजार में अच्छी खबरों का अभाव देखने को मिल रहा है। बाजार में वैल्यूएशन महंगे हैं, बिगड़ती जियोपोलिटिकल स्थितियां बाजार पर भारी पड़ रही हैं। ऐसे में निवेशकों को बाजार से अपनी उम्मीद पर नियंत्रण रखना चाहिए। बाजार में अभी ओवर एलोकेशन नहीं करना चाहिए।


पूरे बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर पर अंडरवेट

एचडीएफसी बैंक पर बात करते हुए अभय ने कहा कि वे पूरे बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर पर बहुत अंडरवेट हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब उनके पोर्टफोलियो में कोई भी बैंक या एनबीएफसी नहीं है। इसकी वजह ये है कि ये पूरा सेक्टर एक लॉन्ग टर्म गिरावट के चक्र से गुजर रहा है। अभय का मानना है कि इस सेक्टर के लिए ये स्ट्रक्चरल इश्यू न हो कर सिक्लिकल इश्यू है। बैंकों का डिपॉजिट घट रहा है। कॉस्ट टू इनकम रेशियो बढ़ रहा है। इसकी वजह से बैंकिंग सेक्टर के ग्रोथ और मार्जिन दोनों पर दबाव दिख रहा है। इसमें अगले 12 महीने में किसी सुधार की भी उम्मीद नहीं है। ये समस्या सभी बैंको की है। अभय ने आगे कहा कि एचडीएफसी बैंक के साथ-साथ दूसरे सभी बैंकों को अपनी इन समस्याओं से निपटने के लिए 3-6 महीने लगेंगे।

एनबीएफसी और बड़े बैंक का फोकस लोन बढ़ाने के बजाय लोन रिकवरी पर

बजाज फाइनेंस पर बात करते हुए अभय ने कहा कि पूरे फाइनेंशियल सेक्टर की स्थिति अभी और खराब हो रही है। क्रेडिट कॉर्ड के जरिए होने वाले खर्च, पर्सनल लोन, दूसरे अनसिक्योर्ड लोन को लेकर स्थितियां बहुत खराब हैं। इस समय सारी बड़ी एनबीएफसी और बड़े बैंक का फोकस लोन बढ़ाने के बजाय रिकवरी पर है। इसके चलते 2 और तीसरी तिमाही में भी इनको लोन बुक के विस्तार में काफी नरमी दिखेगी। अब तक 20 फीसदी की दर से बढ़ने वाली लोन बुक ग्रोथ सिंगल डिजिट में आ सकती है। ऐसी स्थिति में इन बैंकों को एनबीएफसी को वापस ग्रोथ के फेज में वापस आने के लिए अगले 3-6 महीनें मेहनत करनी होगी।

डाइग्नोस्टिक शेयरों मे आएगी तेजी

डाइग्नोस्टिक शेयरों की बात करते हुए भय अग्रवाल ने कहा कि देश में हेल्थ को लेकर होने वाला खर्च और जागरुकता दोनों बढ़ रही है। अगले 5-10 साल में इस सेक्टर में तेज ग्रोथ देखने को मिलेगी। इस सेक्टर में हाल के दिनों में अच्छा करेक्शन भी आया है। इसके अलावा टीयर टू और टियर थ्री शहरों में हेल्थ इश्योरेंस के प्रसार के साथ ही छोटे शहरों में भी डाइग्नोस्टिक कंपनियों की पैठ बढ़ी है। अभय का मानना है अब सेक्टर का बॉटम बन गया है। ऐसे में निवेशक इनमें से जो लीडिंग स्टॉक्स हैं उनमें निवेश कर सकते है।

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केमिकल शेयरों में भी अब तेजी की संभावना

अभय अग्रवाल को केमिकल शेयरों में भी अब तेजी की संभावना दिख रही है। उनका कहना है कि केमिकल सेक्टर के मार्जिन में अब सुधार दिख है। इस समय उन केमिकल खास कर एग्रो केमिकल शेयरों पर फोकस करने की जरूरत है जिनकी अब तक काफी पिटाई हो चुकी है। अभय ने बताया कि हाल के दिनों में उन्होंने अपने पोर्टफोलियो में यूपीएल, धानुका और शारदा क्रॉपकेम को जोड़ा है। इसक अलावा स्पेशियलिटी केमिकल्स में भी अभय को अच्छी रिकवरी होने की उम्मीद दिख रही है।

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