आज बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों पर खासा दबाव है। दरअसल,फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में RBI ने बैंकों और NBFCs की असेट क्वालिटी को लेकर चिंता जताई है। उसका कहना है कि अगले वित्त वर्ष में NPA थोड़े बढ़ सकते हैं। बेसलाइन केस में भी ग्रॉस NPA 4 फीसदी पर रहना संभव है। सितंबर 2024 में बैंकों का ग्रॉस NPA 2.6 फीसदी पर था। सितंबर में 51.9 फीसदी रिटेल स्लिपेज अनसिक्योर्ड लोन में आए। खासकर निजी बैंकों में रिटेल राइट-ऑफ तेजी से बढ़े हैं।
माइक्रो फाइनेंस में स्ट्रेस बढ़ा है। सितंबर 2024 में इनका स्ट्रेस्ड असेट्स लेवल 4.3 फीसदी पर पहुंच गया जो मार्च मार्च 2024 में 2.15 फीसदी के स्तर पर था। RBI मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों पर नजर डालें तो 162 NBFCs के GNPA सितंबर 2024 में 2.9 फीसदी पर थे। इनमें से 3.4 फीसदी बेसलाइन पर 4.7 फीसदी मीडियम रिस्क पर और 6 फीसदी हाई रिस्क पर थे।
RBI रिपोर्ट पर कोटक का कहना है कि असेट क्वॉलिटी अभी भी कंफर्टेबल जोन में है। असेट क्वॉलिटी को लेकर ज्यादा चिंता नहीं है। चेतावनी के शुरुआती संकेत अभी चिंताजनक नहीं हैं। ज्यादातर स्ट्रेस माइक्रोफाइनेंस में आ रहा रहा है। लोन डिमांड धीमी पड़ी है,लेकिन डिपॉजिट ग्रोथ सुधर रही है। RBI रिपोर्ट उतनी डराने वाली नहीं जितनी आशंका थी। बैंकों के क्रेडिट कॉस्ट में बहुत ज्यादा बढ़त नहीं हुई है।
माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर UBS
इस बीच यूबीएस ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर अपनी राय देते हुए कहा है कि नवंबर में ओवरड्यू रकम महीने दर महीने 110 बेसिस प्वाइंट बढ़ी है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में भी ऊंचे स्लिपेजेज जारी रह सकते हैं। स्ट्रेस के चलते वित्त वर्ष 2025 में सुस्त ग्रोथ संभव है। माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री में डिस्बर्समेंट नियम सख्त हो रहा है। डिस्बर्समेंट नियम में सख्ती छोटी अवधि के लिए पॉजिटिव है। डिस्बर्समेंट नियम में सख्ती से लिक्विडिटी घटेगी।
UBS ने Bandhan Bank, IndusInd और AU Bank पर न्यूट्रल रेटिंग दी है। वहीं, उसने HDFC बैंक, ICICI बैंक और फेडरल बैंक में खरीदारी की सलाह दी है। जबकि SBI और SBI CARDS पर बिकवाली की राय है।
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