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Trump Tariff: ट्रंप ने आखिकार इंडिया पर लगाया टैरिफ, जानिए उन कंपनियों को जिन पर ज्यादा असर पड़ेगा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया है, जिसके दायरे में इंडिया सहित दुनिया के 180 देश आ गए हैं। हालांकि, इंडिया पर अमेरिका ने चीन और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले कम टैरिफ लगाया है। इस टैरिफ का असर कई सेक्टर की कंपनियों पर पड़ेगा

अपडेटेड Apr 03, 2025 पर 10:13 AM
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ट्रंप के इस फैसले से दुनियाभर में डर का माहौल बना है। दुनियाभर के स्टॉक मार्केट्स पर इसका बड़ा असर पड़ता दिख रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया है। इंडियन प्रोडक्ट्स पर उन्होंने 25 फीसदी टैरिफ लगाया है। उन्होंने दुनिया के करीब 180 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है। हालांकि, कनाडा और मैक्सिको को इससे छूट दी गई है। ट्रंप के इस फैसले से दुनियाभर में डर का माहौल बना है। दुनियाभर के स्टॉक मार्केट्स पर इसका बड़ा असर पड़ता दिख रहा है। इंडिया सहित एशियाई मार्केट्स में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। सवाल है कि आखिर इस रेसिप्रोकल टैरिफ का इंडिया पर कितना असर पड़ेगा? क्या इंडिया की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इससे तबाही हो जाएंगी?

इंडिया की जीडीपी पर 1 फीसदी से कम असर

ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंडिया की जीडीपी पर अमेरिका के Reciprocal Tariff पर 31 अरब डॉलर का असर पड़ सकता है। इंडिया की जीडीपी करीब 4 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर की है। IMF का अनुमान है कि 2025 के अंत तक इंडिया की GDP बढ़कर 4.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। इसका मतलब है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ का इंडिया की GDP पर करीब 0.72 फीसदी का असर पड़ सकता है।


फार्मा कंपनियां रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे से बाहर

इंडिया के लिए अच्छी खबर यह है कि अमेरिका ने फार्मा को इस रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखा है। यह अमेरिकी मार्केट में मौजूदगी रखने वाली इंडियन फार्मा कंपनियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। Sun Pharma, Dr Reddy's Lab और Aurobindo Pharma ऐसी फार्मा कंपनियां हैं, जिनके रेवेन्यू में अमेरिका को एक्सपोर्ट की बड़ी हिस्सेदारी है। Sun Pharma का 33 फीसदी रेवेन्यू अमेरिका से आता है। डॉ रेड्डीज का 48.5 फीसदी रेवेन्यू अमेरिका से आता है, जबकि Aurobindo Pharma का 48.3 फीसदी रेवेन्यू अमेरिकी बाजार से आता है। फार्मा को रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखने के ट्रंप के फैसले का असर 3 अप्रैल को इंडियन फार्मा कंपनियों के शेयरों पर देखने को मिला।

ये सेक्टर पर भी रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे

ध्यान में रखने वाली बात है कि ट्रंप ने 2 अप्रैल को अपने फैसले में स्टील, कॉपर, सोना-चांदी, एनर्जी सहित कुछ खास मिनरल्स को रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे से बाहर रखा है। इसका मतलब है कि इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियां राहत की सांस ले सकेंगी। रेसिप्रोकल टैरिफ का असर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर भी पड़ेगा। इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स के कुल एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी मार्च 2024 के फाइनेंशियल ईयर के अंत में 32 फीसदी थी। इन कंपनियों के रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है।

इंडियन अपैरल इंडस्ट्री को हो सकता है फायदा

अमेरिका ने चीन और वियतनाम पर इंडिया के मुकाबले ज्यादा टैरिफ लगाया है। इससे इंडिया को फायदा हो सकता है। इसकी वजह यह है कि इंडिया का अमेरिका का अपैरल एक्सपोर्ट 9.6 अरब डॉलर का है। लेकिन, अमेरिकी अपैरल मार्केट में इंडिया की हिस्सेदारी सिर्फ 6 फीसदी है। इसके मुकाबले चीन की हिस्सेदारी 21 फीसदी और वियतनाम की हिस्सेदारी 19 फीसदी है।

इंडियन अपैरल की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी

चूंकि अमेरिका ने चीन और वियतनाम पर ज्यादा टैरिफ लगाया है, जिससे इन दोनों देशों के प्रोडक्ट्स अमेरिकी मार्केट में महंगे हो जाएंगे। इससे इंडियन अपैरल की प्रतिस्पर्धी क्षमता अमेरिकी बाजार में बढ़ेगी। आपको Welspun, Trident, Arvind Limited, KPR Mills, Vardhman और Page Industries के शेयरों पर नजर रखनी होगी।

इन कंपनियों पर भी पड़ेगा असर

अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ का असर ट्रक बनाने वाली इंडियन कंपनियों पर पड़ेगा। इनमें Bharat Forge का नाम सबसे पहले है, जिसके रेवेन्यू में अमेरिकी एक्सपोर्ट की करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा Samvardhan Motherson पर भी असर पड़ेगा, जिसके रेवेन्यू में अमेरिकी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 18.6 फीसदी है। Suprajit Engineering के रेवेन्यू में अमेरिकी एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 21.78 फीसदी है। कंस्ट्रक्शन कंपनियों में Larsen and Toubro पर यूस रेसिप्रोकल टैरिफ का असर पड़ेगा, क्योंकि FY24 में इसके रेवेन्यू में अमेरिका की हिस्सेदारी 14 फीसदी थी।

बुलियन भी रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे से बाहर

बुलियन को रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे से बाहर रखा गया है। टैरिफ बढ़ने के डर से पहले से ही गोल्ड की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। ऐसे में आपको Muthoot Finance, Manappurmam Finance, Titan, PC Jewller और Rajesh Exports के शेयरों पर नजर रखनी होगी।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट पर पड़ेगा ज्यादा असर

यूएस रेसिप्रोकल टैरिफ का असर कट और पॉलिश्ड डायमंड्स के एक्सपोर्ट पर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि इंडिया के जेम्स एंड ज्वैलरी के कुल एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी 57 फीसदी है। अभी इस सेक्टर की इंडियन कंपनियों को अमेरिकी बाजार में एक्सपोर्ट करने के लिए किसी तरह की ड्यूटी नहीं चुकानी पड़ती है। लेकिन, अब उन्हें 26 फीसदी ड्यूटी चुकानी होगी। इससे उनके प्रोडक्ट्स काफी महंगे हो जाएंगे, जिसका असर उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता पर पड़ेगा।

IT कंपनियों पर अमेरिका में मंदी की आशंका से दबाव

यूएस टैरिफ के ऐलान का असर इंडियन आईटी कंपनियों पर 3 अप्रैल को देखने को मिला। इंडियन आईटी सर्विसेज के एक्सपोर्ट पर रेसिप्रोकल टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ट्रंप ने सिर्फ गुड्स पर टैरिफ लगाया है। उन्होंने सर्विसेज पर टैरिफ नहीं लगाया है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ से यूएस इकोनॉमी मंदी में जा सकती है। यह इंडियन आईटी कंपनियों के लिए खराब होगा। इस वजह से 3 अप्रैल को Infosys, TCS सहित आईटी कंपनियों के शेयर पर दबाव दिखा।

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