वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधित याचिका फाइल की है। इसमें कंपनी ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर इंटरेस्ट और पेनाल्टी माफ करने की गुजारिश की है। उसने एजीआर लायबिलिटीज के दोबारा कैलकुलेशन का भी अनुरोध किया है। उसने पहले के मामलों का हवाला दिया है, जिनमें ऐसी मांग मान ली गई थी।
पहले की याचिका और नई याचिका में एक बड़ा फर्क
Vodafone Idea (VIL) की इस नई याचिका में उसकी पहले की याचिका से फर्क है, जिसमें उसने सिर्फ एजीआर लायबिलिटीजी के दोबारा कैलकुलेशन पर जोर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को कंपनी की याचिक सुनवाई के लिए 6 अक्टूबर तक टाल दी थी। इस बारे में कंपनी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
केंद्र ने कहा कि वह वोडोफोन के अनुरोध का विरोध नहीं करती
पिछले हफ्ते Vodafone Idea की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह एडजस्टेड एडीआर बकाया पर कंपनी की याचिका का विरोध नहीं करती। लेकिन, इस समस्या का समाधान निकलना चाहिए, क्योंकि सरकार भी कंपनी की शेयरहोल्डर है। चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और एनवी अंजरिया की बेंच वोडाफोन आइडिया की याचिका पर सुनवाई की थी। यह याचिका डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) के FY17 में 5,606 करोड़ रुयये के डिमांड के खिलाफ फाइल की गई है।
कंपनी की दलील-बकाया अमाउंट में बदलाव नहीं किया जा सकता
VIL की दलील है कि बकाया का अमाउंट 2019 में एजीआर पर फैसले के बाद पहले से ही स्पष्ट है। इसके फिर से कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार का पक्ष रखने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामला 6 अक्टूबर तक टालने का अनुरोध किया था। अपनी संशोधित याचिका में वोडाफोन आइडिया पहले के फैसलों का भी हवाला दिया, जिनमें माफी दी गई है। कंपनी ने एक अतिरिक्त राहत भी मांगी है। उसने कहा है कि कोर्ट यह निर्देश दे कि एजीआर ड्यूज के प्रिंसिपल पर
पेनाल्टी और इंटरेस्ट से उसे राहत दी जाए।
वोडाफोन ने पहले के एक मामले का हवाला दिया
वोडाफोन आइडिया ने इस अतिरिक्त राहत के लिए मिनरल एरिया डेवलपमें अथॉरिटी बनाम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मामले के पैरा 25 (सी) का हवाला दिया है। वोडाफोन आइडिया से जुड़े एजीआर बकाया के इस मामले में कोर्ट ने 18 मार्च, 2020 को फैसला दिया था। इसमें कोर्ट ने DoT की तरफ से कैलकुलेट किए गए FY17 तक के बकाया को सही माना था। उसने ऑपरेटर्स को इसके रिएसेसमेंट से रोक दिया था। इसके बावजूद DoT ने FY18 और FY19 के लिए नया क्लेम किया।
वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी 49%
वोडाफोन आइडिया की दलील है कि DoT की नई डिमांड में ज्यादातर उस पीरियड से जुड़ी है, जिसे कोर्ट पहले ही सेटल कर चुका है। सरकार की वोडाफोन आइडिया में 48.99 फीसदी हिस्सेदारी पहुंच गई है। सरकार ने बकाया 53,083 करोड़ रुपये के बकाया को दो बार इक्विटी में बदला है। पहली बार उसने फरवरी 2023 में और दूसरी बार 2025 में बकाया को इक्विटी में कनवर्ट किया। DoT ने 9,450 करोड़ रुपये की नई डिमांड भेजी है, जिसमें से 2,774 करोड़ रुपये आइडिया ग्रुप और वोडाफोन आइडिया (मर्जर के बाद) से जुड़े हैं, जबकि 6,675 करोड़ रुपये का संबंध मर्जर से पहले की अवधि में वोडाफोन ग्रुप से है।
VIL पर एजीआर का 83,400 करोड़ रुपये बकाया
VIL पर एजीआर का करीब 83,400 करोड़ रुपये बकाया है। पेमेंट की 18000 करोड़ रुपये की सालाना किस्त का पेमेंट मार्च में शुरू होना है। पेनाल्टी और इंटरेस्ट मिलाकर कंपनी पर सरकार का करीब 2 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। वोडाफोन आइडिया ने संशोधित याचिका में कोर्ट से FY17 और इसके पहले के लिए नए क्लेम को रद्द करने की गुजारिश की है। साथ ही एजीआर बकाया के फुल रिकॉन्सिलेशन की मांग की है, क्योंकि इन पीरियड्स का मामला 2020 के आदेश में पहले ही सेटल हो चुका है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के निपटारे पर जोर देते हुए सुनवाई के लिए याचिका 26 सितंबर तक टाल दी थी।