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Vodafone idea: 6 महीने में 80% चढ़ा शेयर, लेकिन मुसीबत में फंस गई कंपनी

Vodafone Idea Shares: वोडाफोन आइडिया के शेयर पिछले 6 महीने में करीब 80% चढ़े हैं। मार्च के बाद से तो इसने 130% का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। इससे वोडाफोन आइडिया के स्टॉक में पैसा लगाने वाले निवेशक काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें तो जबरदस्त मुनाफा मिला है। लेकिन दूसरी तरफ कंपनी के मैनेजमेंट के लिए इस तेजी ने सी परेशानी बढ़ा दी है

अपडेटेड Dec 28, 2023 पर 9:19 PM
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Vodafone Idea Shares: सितंबर में इसके करीब 7.5 लाख ग्राहक घटे हैं

Vodafone idea Shares: शेयर 80% चढ़ गया, लेकिन इससे कंपनी खुश होने की जगह परेशान हो गई। यह मामला है वोडाफोन आइडिया का, जिसके शेयर पिछले 6 महीने में करीब 80% चढ़े हैं। मार्च के बाद से तो इसने 130% का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। इससे वोडाफोन आइडिया के स्टॉक में पैसा लगाने वाले निवेशक काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें तो जबरदस्त मुनाफा मिला है। लेकिन दूसरी तरफ कंपनी के मैनेजमेंट के लिए इस तेजी ने सी परेशानी बढ़ा दी है और अब वह इस समस्या की काट खोजने में लग गए हैं। यह समस्या हैं फंडिंग की।

वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति कमजोर है और उसे अपना कारोबार चलाने के लिए, खुद को टेलीकॉम इंडस्ट्री में बने रहने के लिए फंडिंग यानी पैसों की जरूरत है। कंपनी इसको जुटाने प्रयास भी कर रही थी, लेकिन इसी बीच शेयर की कीमत बढ़ने से अब उसकी यह योजना रूक गई है।

वोडाफोन आइडिया लंबे समय से फंडिंग जुटाने की कोशिश कर रही है। लेकिन मनीकंट्रोल को यह जानकारी मिली है कि कंपनी के शेयरों में तेजी के बाद अब उसकी फंडिंग को लेकर जारी बातचीत रूक गई है। इस फंडिंग को जुटाने के लिए दिसंबर की समयसीमा तय की गई थी।


सूत्रों ने बताया कि वोडाफोन कनवर्टिबल स्ट्रक्चर के जरिए फंडिंग जुटा रही थी। लेकिन शेयर की कीमत 6 महीनों में लगभग 80 प्रतिशत बढ़ी है, इसके चलते कनवर्टिबल स्ट्रक्चर के जरिए पैसे जुटाना असंभव नहीं तो मुश्किल बना दिया है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि वोडाफोन के शेयरों में यह तेजी इसी उम्मीद से आई थी कि कंपनी फंड जुटाने जा रही है। लेकिन अब यह तेजी ही फंड जुटाने के रास्ते में बाधा बन गई है।

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अब यह जान लेते हैं कि आखिर यह कनवर्टिबल स्ट्रक्चर क्या होता है। कनवर्टिबल स्ट्रक्चर में आमतौर पर इक्विटी और डेट दोनों तरीके की फंडिंग शामिल होती है। अक्सर इस तरह के निवेश पर निवेशकों को एक फिक्स पेमेंट दिया जाता है। साथ ही जो डेट फंडिंग होती है, उसको पहले से तय भाव पर इक्विटी में कनवर्ट करने, बदलने का भी विकल्प होता है। यह भाव जो होता है, उसे पहले से शेयरों में संभावित तेजी का अनुमान लगाकर, उसके हिसाब से तय किया जाता है। इस तरह के निवेश स्ट्रक्चर में प्राइवेट क्रेडिट फंड और स्पेशल सिचुएशनल फंड्स भाग लेते हैं और आमतौर 2 से 3 साल की अवधि में रिपेमेंट करना होता है।

मनीकंट्रोल को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक कुछ निवेशकों का यह मानना है कि शेयर 80% चढ़ने के बाद अब उनके पास डेट को इक्विटी में बदलने पर बहुत अधिक रिटर्न मिलने की संभावना नहीं है। इसके अलावा निवेशकों का इसलिए भी मूड खराब हुआ है क्योंकि वोडाफोन के दोनों प्रमोटर- आदित्या बिड़ला ग्रुप और यूके की वोडाफोन ग्रुप, दोनों ने निवेशकों को कॉरपोरेट गांरटी जैसा कोई अतिरिक्त कोलैटरल देने से मना कर दिया है।

कंपनी की अभी निवेशकों के साथ बातचीत चल रही है, लेकिन यह बातचीत इस पर निर्भर करेगी कि कंपनी का प्रदर्शन कैसा रहता है। खासतौर से इसके ग्राहकों की कम होती संख्या पर नजर होगी, जिसके चलते कंपनी का मार्केट शेयर काफी कम हुआ है। इसके अलावा टेलीकॉम इंडस्ट्री में अगर एक और टैरिफ बढ़ोतरी दिखती है, तो वोडाफोन के पक्ष में जा सकता है।

इस साल वोडाफोन आइडिया के ग्राहकों की संख्या लगातार 9 महीने घटी है। सितंबर में इसके करीब 7.5 लाख ग्राहक घटे हैं। TRAI के आंकड़े बताते हैं कि इसी दौरान रिलायंस जियो के 34.7 लाख और एयरटेल ने 13.2 लाख मोबाइल सब्सक्राइबर जोड़े हैं।

वोडाफोन ने अपने कारोबार में जान फूंकने के लिए कंपनी में 14,000 करोड़ रुपये डालने का प्रस्ताव रखा था। इसके तहत 7,000 करोड़ दोनों प्रमोटरों को डालना था। जबकि बाकी 7,000 करोड़ रुपये को बाहरी निवेशकों से इक्विटी या कनवर्टिबल स्ट्रक्चर के जरिए जुटाने का प्रस्ताव था। वोडाफोन को पूंजी इसलिए भी चाहिए, क्योंकि यह लगातार घाटे में चल रही है। हालांकि सितंबर तिमाही में कंपनी को 8,737.9 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी को 7595.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। वहीं इसका रेवेन्यू करीब 1% बढ़कर 10,716.3 करोड़ रुपये रहा था।

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