महाराष्ट्र में महायुति की महाजीत पर ब्रोकरेज भी बुलिश हैं। उनका मानना है कि महाराष्ट्र की जीत से बाजार को एक बड़ा सेंटिमेंटल बूस्टर डोज मिला है। इस 'महा' जीत से कई सेक्टरों और शेयरों में तेजी आ सकती है। महायुति की इस महाजीत पर ब्रोकरेज कितने बुलिश हैं और क्या कहती है कोटक, मोतीलाल और मैक्ववायरी की रिपोर्ट आइए इस पर डालते हैं एक नजर।
महायुति की महाजीत पर कोटक सिक्योरिटी
कोटक का कहना है कि हरियाणा के बाद महाराष्ट्र की जीत से सेटिंमेंट सुधरेंगे। अब मोदी सरकार का डेवलपमेंट एजेंडा आगे बढ़ेगा। इससे फिस्कल कंसोलिडेशन पर खास असर नहीं होगा। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सरकारी खर्च बढ़ने की उम्मीद है। अब नए रिफॉर्म के बजाय नीतियों को लागू करने पर फोकस होगा। बाजार के वैल्युएशन अब भी ज्यादा हैं। आगे अर्निंग ग्रोथ में और कटौती संभव है। सुस्त ग्रोथ, कमजोर कंज्प्शन और महंगाई बाजार के लिए बड़े रिस्क हैं। चुनावी जीत से थोड़े वक्त के लिए ही सही सेंटिमेंट पर सुधार मुमकिन है।
महायुति की महाजीत पर मैक्वायरी
मैक्वायरी का कहना कि सरकार हर महीने 1500 रुपए महिलाओं के खातों में डालती है। अब हर महीने 2100 रुपए महिलाओं के खातों में डालने का वादा किया गया है। 2019 के 59.3 फीसदी की तुलना में इस बार 65.2 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया है। इसके चलते महाराष्ट्र का वित्तीय घाटा 3 फीसदी के लक्ष्य ऊपर जा सकता है। वित्तीय लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार को कैपेक्स घटाना होगा।
महायुति की जीत पर मोतीलाल ओसवाल
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि हरियाणा और महाराष्ट्र इलेक्शन से BJP को बूस्ट मिला है। अब सरकार का फोकस कैपेक्स पर हो सकता है। पहली छमाही में सरकारी खर्च सालाना आधार पर फ्लैट रहे थे। चुनाव और रुरल स्पेंडिंग में रिकवरी से डिमांड सुधरेगा। शादियों के सीजन से भी डिमांड रिकवरी को बूस्ट मिलेगा। पिछले साल की तुलना में इस साल 30 फीसदी ज्यादा शादियां हैं।
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