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Wipro Shares: विप्रो का शेयर 6% टूटा, इस वजह से बेचने की लग गई होड़, अभी 20% और गिर सकता है भाव?

Wipro shares: देश की चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो लिमिटेड (Wipro Ltd) के शेयर आज 17 अप्रैल को बाजार खुलते ही 6% तक गिर गए। कंपनी ने एक दिन पहले अपनी वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए थे, जो बाजार की उम्मीदों से कम रहे थे। इसी के बाद इसके शेयरों में यह गिरावट आई

अपडेटेड Apr 17, 2025 पर 9:59 AM
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Wipro shares: कई ब्रोकरेज हाउसों ने कमजोर गाइडेंस के चलते विप्रो के शेयरों की रेटिंग घटा दी है

Wipro shares: देश की चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो लिमिटेड (Wipro Ltd) के शेयर आज 17 अप्रैल को बाजार खुलते ही 6% तक गिर गए। कंपनी ने एक दिन पहले अपनी वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए थे, जो बाजार की उम्मीदों से कम रहे थे। इसी के बाद इसके शेयरों में यह गिरावट आई। कई ब्रोकरेज हाउसों ने अगले वित्त वर्ष के कमजोर ग्रोथ अनुमानों और ग्लोबल अनिश्चतताों को देखते विप्रो के शेयरों की रेटिंग घटा दी है और इसके प्रदर्शन को लेकर चिंता जताई है।

सुबह 9.25 बजे के करीब, विप्रो के शेयर एनएसई पर 5.39 फीसदी की गिरावट के साथ 233.80 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे। इस साल अब तक कंपनी के शेयरों में करीब 22 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।

कैसे रहे तिमाही नतीजे?

विप्रो ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 की मार्च तिमाही में उसका शुद्ध मुनाफा 6.4% बढ़कर ₹3,569.6 करोड़ रहा। वहीं उसके ग्रॉस रेवेन्यू में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 22,504.2 करोड़ रुपये रहा। डॉलर टर्म्स में रेवेन्यू 2.60 अरब डॉलर रहा, जो तिमाही आधार पर 1.2% और सालाना आधार पर 2.3% की गिरावट है।


कंपनी का कहना है कि टैरिफ से जुड़ी वैश्विक अनिश्चितताओं और क्लाइंट्स की ओर से खर्च में देरी के चलते कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स रोक दिए गए हैं, जिससे कंज्यूमर और मैन्युफैक्चरिंग वर्टिकल्स पर असर पड़ा है।

हालांकि बाजार को सबसे अधिक निराशा तब हुई, जब कंपनी ने मौजूदा वित्त वर्ष में भी अपनी रेवेन्यू ग्रोथ कमजोर रहने के संकेत दिए। विप्रो ने मौजूदा तिमाही (Q1FY26) के दौरान अपनी आईटी सर्विसेज कारोबार का रेवेन्यू 250.5 करोड़ डॉलर से लेकर 255.7 करोड़ डॉलर के बीच रहने का अनुमान जताया है, जो 1.5 फीसदी से 3.5 फीसदी की गिरावट को दिखाता है।

कंपनी का कहना है कि टैरिफ से जुड़ी ग्लोबल अनिश्चितताओं और क्लाइंट्स की ओर से खर्च में देरी के चलते कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स रोक दिए गए हैं, जिससे कंज्यूमर और मैन्युफैक्चरिंग वर्टिकल्स पर असर पड़ा है। हालांकि विप्रो ने उम्मीद जताई है कि FY26 की दूसरी छमाही में ग्रोथ की रफ्तार दोबारा रफ्तार पकड़ सकती है, क्योंकि उस समय कई बड़े सौदे चालू हो जाएंगे।

ब्रोकरेज फर्मों की क्या है राय?

घरेलू ब्रोकरेज नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने विप्रो के शेयरों की रेटिंग को 'बाय' से घटाकर 'होल्ड' कर दिया। साथ ही उसके टारगेट प्राइस को भी कम करके 260 रुपये कर दिया, जो पहले 300 रुपये था। ब्रोकरेज ने कहा कि टैरिफ की वजह से FY26 में पॉजिटिव ग्रोथ मुश्किल दिख रही है, जिससे कंपनी की टर्नअराउंड थ्योरी कमजोर हो रही है।

चॉइस ब्रोकिंग ने भी विप्रो के शेयरों की रेटिंग को घटाकर 'रिड्यूस' कर दिया है और इसके लिए 252 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है। ब्रोकरेज ने कहा कि FY26 में ग्रोथ के लिए कंपनी को AI और कंसल्टिंग ताकत का बेहतर इस्तेमाल करना होगा।

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन ने विप्रो के शेयरों पर अपनी 'अंडरपरफॉर्म' रेटिंग को बरकरार रखा है, लेकिन इसका टारगेट प्राइस कम करके 200 रुपये कर दिया है। यह पिछले बंद भाव से विप्रो के शेयरों में करीब 20 प्रतिशत गिरावट का संकेत देता है।

हालांकि जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने इसके शेयर पर खरीदारी की सलाह बरकरार रखी है। लेकिन उसने इसका टारगेट प्राइस 300 रुपये से कम करके 280 रुपये कर दिया है। ब्रोकरेज ने कहा कि उसने मैक्रो रिस्क को ध्यान में रखते हुए इसका टारगेट कम किया गया है।

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