अमेरिकी सरकार पर मंडराता डिफॉल्ट का खतरा अब टल गया है। 1 जून को Senate में यह बिल पास हो गया है। सीनेट अमेरिकी संसद (Congress) का ऊपरी सदन है। Congress के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने इस बिल को 31 मई को ही पास कर दिया था। अब यह बिल हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के पास जाएगा। इस बिल का मकसद अमेरिकी सरकार को ज्यादा कर्ज लेने की इजाजत देना है। कर्ज की सीमा बढ़ाने को लेकर अमेरिकी सरकार और रिपब्लिकन के बीच लंबे समय से गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी। कुछ दिन पहले बाइडने और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के स्पीकर केविन मैककार्थी के बीच इस बिल को लेकर सहमति बनी थी। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है।
अब राष्ट्रपति करेंगे हस्ताक्षर
उम्मीद है कि बाइडेन इस बिल पर शुक्रवार (2 जून) को हस्ताक्षर करेंगे। अगर 5 जून तक यह बिल पारित नहीं होता तो अमेरिका डिफॉल्ट कर सकता था। अब तक अमेरिका ने कभी डिफॉल्ट नहीं किया है। सीनेट में बिल पर वोटिंग के बाद बाइडेन ने कहा, "बातचीत में किसी को वह हर चीज नहीं मिलती है, जिसे वह पाना चाहता है, लेकिन कोई गलती नहीं : यह द्विपक्षीय एग्रीमेंट हमारी इकोनॉमी और अमेरिकी लोगों के लिए बड़ी जीत है।"
Senate में इस बिल के पक्ष में 63 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 36 वोट डाले गए। इस बिल के पारित होने के लिए कम से कम 60 वोट इसके पक्ष में जरूरी थे। बताया जाता है कि बिल के पक्ष में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों ने ही वोटिंग की। अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि उनका मानना था कि डेट सीलिंग नहीं बढ़ने की स्थिति में सरकार 5 जून के बाद जरूरी खर्चों के लिए पेमेंट करने की स्थिति में नहीं होती। सीनेट में वोटिंग के बाद येलेन ने कहा कि यह बिल अमेरिकी विश्वास को सुरक्षा देने वाला है।
बिल पारित नहीं होने पर मुश्किल हो सकती थी
ऊपरी सदन में इस बिल के पारित होने के बाद येलेन ने कहा था कि अगर यह पारित नहीं होता है तो फाइनेंशियल मार्केट्स को बड़ा झटका लगेगा। अमेरिका में बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो जाएंगी। लाखों अमेरिकी लोगों को मिलने वाली सरकारी सहायता बंद हो जाएगी। यह अमेरिका के लिए बहुत बड़ा संकट होगा। अमेरिका में अगले साल नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में इस तरह के गतिरोध को टालना दोनों दलों के हित में था।