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जोमेटौ, फ्लिपकार्ट, Amazon, Blinkit के डिलिवरी एजेंट्स के लिए खुशखबरी! मिलेगा PF, पेंशन और इंश्योरेंस, सरकार करेगी ऐलान

Big News for Delivery Agents: जोमेटौ, फ्लिपकार्ट, Amazon, Blinkit जैसे तमाम ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले डिलिवरी एजेंटों के लिए बड़ी खबर है। अब जल्द उन्हें भी पेंशन, प्रॉविडेंट फंड, हेल्थ इंश्योरेंस जैसी तमाम सुविधा मिलेंगी

अपडेटेड Oct 18, 2024 पर 2:14 PM
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जोमेटौ, फ्लिपकार्ट, Amazon, Blinkit जैसे तमाम ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले डिलिवरी एजेंटों के लिए बड़ी खबर है।

Big News for Delivery Agents: जोमेटौ, फ्लिपकार्ट, Amazon, Blinkit जैसे तमाम ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले डिलिवरी एजेंटों के लिए बड़ी खबर है। अब जल्द उन्हें भी पेंशन, प्रॉविडेंट फंड, हेल्थ इंश्योरेंस जैसी तमाम सुविधा मिलेंगी। मोदी सरकार जल्द ये नीति लेकर आने वाली है। श्रम मंत्रालय बजट से पहले यानी 1 फरवरी से पहले इस नीति को लाने पर विचार कर रही है। अभी तक ऐसे डिलिवरी एजेंट या गिग वर्कर्स को उनके प्रोजेक्ट या डिलिवरी की संख्या के आधार पर पैसा मिलता है। इस तरह के पार्ट टाइम काम में पेंशन, PF, इंश्योरेंस जैसे फायदे नहीं मिलते। अब सरकार ऐसे गिग वर्कर्स की सोशल सिक्योरिटी के लिए नीति लाने वाली है।

डिलिवरी एजेंट्स को भी मिलेगा PF और पेंशन

केंद्र सरकार देश के गिग वर्कर्स को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक अहम योजना पर काम कर रही है। गिग वर्कर्स आमतौर पर ऐसे कर्मचारी होते हैं जो फुल-टाइम काम करने के बजाय किसी एक तरह के काम या प्रोजेक्ट के आधार पर पेमेंट पाते हैं जैसे डिलिवरी एजेंट। केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार इस नीति के तहत गिग वर्कर्स को पेंशन और हेल्थकेयर जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं दी जाएंगी।


गिग वर्कर्स के लिए अगले साल फरवरी से लागू होगी नई नीति

मनसुख मांडविया ने प बताया कि इस नई नीति का उद्देश्य गिग वर्कर्स की सुरक्षा देना है। ताकि, वे अपनी अधिकारों से वंचित न रह जाएं। उन्होंने कहा कि श्रम मंत्रालय इस नीति को अगले बजट से पहले पेश करने की योजना बना रहा है। इसके तहत गिग वर्कर्स को हेल्थ सर्विस और इंश्योरेंस सहित अन्य सामाजिक सुरक्षा देने की तैयारी हो रही है। इसके लिए अलग-अलग वर्करों के ग्रुप से बातचीत चल रही है।

2 करोड़ पार्ट टाइम कर्मचारियों को होगा फायदा

नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 65 लाख गिग वर्कर्स हैं और इस एरिया में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यह संख्या जल्द ही 2 करोड़ को पार कर सकती है। सरकार गिग और प्लेटफॉर्म आधारित नौकरियों में लगे वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोड स्थापित करने पर काम कर रही है।

पूरे देश में एक साथ और एक जैसी होगी नीति लागू

केंद्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि यह नई नीति देशभर में कानूनी रूप से मानी जाएगी। इससे देशभर के गिग वर्कर्स को एक समान फायदा मिल सकेगा। एक सुझाव यह भी है कि सरकार एक यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर प्रणाली लेकर आने पर विचार कर रही है, जो सामाजिक सुरक्षा फायदों को आसान बनाने में मदद करेगी। इससे सरकारी योजनाओं और सर्विस तक पहुंच आसान हो सकेगी।

नीति से जुड़े हितधारकों से की जा रही है चर्चा

मनसुख मांडविया ने यह भी बताया कि लेबर मिनिस्ट्री को इस नीति को लेकर सभी हितधारकों से सुझाव मिल रहे हैं। मंत्रालय इन सभी विचारों पर गहनता से विचार कर रहा है ताकि नई नीति को जल्द से जल्द लागू किया जा सके और इसका फायदा देशभर के गिग वर्कर्स यानी पार्टटाइम वर्कर्स को मिल सके। सरकार का यह कदम तेजी से बढ़ते गिग इकॉनमी सेक्टर में लगे कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा। इससे उन्हें पेंशन, स्वास्थ्य इंश्योरेंस और अन्य सुरक्षा सुविधाओं का फायदा मिल सकेगा।

MoneyControl News

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First Published: Oct 18, 2024 2:11 PM

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