भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने हाल में ही अपने नेट बैंकिंग यूजर्स के लिए एक वर्चुअल कार्ड पेश किया है। यह कार्ड केवल आपकी इंटरनेट शॉपिंग के लिए है। इसके जरिए यूजर्स ई-कॉमर्स (फ्लिपकार्ट, एमेजॉन वगैरह) और मर्चेंट्स वेबसाइट्स पर कार्ड का ब्योरा डाले बगैर शॉपिंग कर सकते हैं। दरअसल, यह कोई फिजिकल कार्ड नहीं है, इसे इसके नंबर से पहचाना जा जाता है।
यह वर्चुअल कार्ड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की नई गाइडलाइंस के मुताबिक है। आरबीआई ने ये नई गाइडलाइंस अपनी दिसंबर 2019 की मॉनेटरी पॉलिसी में जारी की थीं। इनका मकसद बैंक के कार्ड होल्डर्स को ज्यादा सिक्योरिटी देना और नए प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (PPI) जारी करना था।
क्या है ऑफर?
SBI का वर्चुअल कार्ड एक लिमिट वाले डेबिट कार्ड की तरह है। कोई भी यूजर बैंक की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा के जरिए इस कार्ड के लिए एप्लाई कर सकता है। वर्चुअल कार्ड क्रिएट करने के लिए ट्रांजैक्शन की न्यूनतम रकम 100 रुपये है और इसके जरिए अधिकतम 50,000 रुपये खर्च कर सकते हैं। यह कार्ड ट्रांजैक्शन पूरा होने या 48 घंटे की अवधि तक वैध रहेगा। यह एक सिंगल-यूज कार्ड है। यानी एक बार ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल हो जाने के बाद इसे दोबारा यूज नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में अगर मान लीजिए किसी एक ट्रांजैक्शन के लिए आप वर्चुअल कार्ड का केवल एक हिस्सा इस्तेमाल करते हैं तो बिना इस्तेमाल हुआ पैसा आपके बैंक खाते में चला जाएगा। इस कार्ड की कोई फीस नहीं है और साथ ही आप दिन भर में कितने भी वर्चुअल कार्ड के लिए एप्लाई कर सकते हैं। वर्चुअल कार्ड का इस्तेमाल भारतीय रुपयों में ऑनलाइन पेमेंट के लिए भारत, नेपाल और भूटान में किया जा सकता है।
आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजे गए वन-टाइम पासवर्ड (OTP) के सफलतापूर्वक वैलिडेट हो जाने के बाद ही आप वर्चुअल कार्ड तैयार कर सकते हैं और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर पाते हैं। सफलतापूर्वक वैलिडेशन के बाद नाम, कार्ड नंबर, एक्सपाइरी डेट के साथ कार्ड की इमेज स्क्रीन पर दिखाई देती है।
क्या फायदे हैं?
चूंकि यह एक वर्चुअल कार्ड है, ऐसे में इसके खोने का कोई खतरा नहीं है क्योंकि कार्ड आपके मोबाइल फोन पर होता है। इस कार्ड के साथ कोई फ्रॉड होने का भी खतरा नहीं है क्योंकि फर्जीवाड़ा करने वाला एटीएम मशीन या किसी अन्य जगह से आपके कार्ड के ब्योरे को हासिल नहीं कर सकता है। इसके अलावा, आप कार्ड पर लिमिट तय कर सकते हैं। इससे आपका जोखिम लिमिट में रहता है। वर्चुअल कार्ड आपके खाते में एक सीमा तय करके तैयार किया जाता है, ऐसे में आपको मिलने वाले ब्याज पर कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ता है।
दूसरे शब्दों में, अमाउंट केवल तभी डेबिट होता है जबकि वर्चुअल कार्ड के जरिए किसी रकम का लेनदेन पूरा होता है। अगर यूजर वर्चुअल कार्ड को कैंसिल कर देता है या यह एक्सपायर हो जाता है तो यह तय की गई सीमा हट जाती है।
क्या नुकसान हैं?
एक्सपर्टस को लगता है कि वर्चुअल कार्ड को फिजिकल टच-पॉइंट ट्रांजैक्शंस के लिए भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। रुपीविज इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स की को-फाउंडर और सीओओ सपना तिवारी के मुताबिक, ‘वर्चुअल कार्ड के इस्तेमाल की इजाजत रिटेल दुकानों, रेस्टोरेंट्स वगैरह की पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीनों पर भी होनी चाहिए। इसके अलावा रेगुलर यूटिलिटी बिलों को ऑनलाइन भरने और एटीएम मशीनों से पैसे निकालने के लिए इसके इस्तेमाल की इजाजत होनी चाहिए।’
साथ ही मल्टीपल ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस के लिए यूजर को कई वर्चुअल कार्ड्स बनाने पड़ते हैं। एक वर्चुअल कार्ड को ही मल्टीपल ट्रांजैक्शंस के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत देना ग्राहकों के लिए काफी सहूलियत भरा होगा।
केवल इंटरनेट बैंकिंग के कस्टमर्स ही इस वर्चुअल कार्ड के लिए एप्लाई कर सकते हैं। बैंक को यह सुविधा इंटरनेशनल ई-कॉमर्स और मर्चेंट वेबसाइट्स पर होने वाले फॉरेन ट्रांजैक्शंस के लिए बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
मनीकंट्रोल की राय
नियमित तौर पर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले यूजर्स को इस कार्ड का चुनाव करना चाहिए क्योंकि यह फ्रॉड करने वालों से उन्हें बचाता है। यह कार्ड ओटीपी के जरिए ट्रांजैक्शन करने देता है जो कि यूजर्स के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है। ऐसे में धोखाधड़ी के आसार कम हो जाते हैं। हालांकि, यूजर्स को इसके बावजूद सावधानी बरतनी चाहिए और अपनी कार्ड डिटेल्स और ओटीपी को किसी के भी साथ साझा नहीं करना चाहिए।
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