Business Idea: भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। ऐसे में अगर आप खेती किसानी के जरिए मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपके लिए एक बेहतर आइडिया लेकर आए हैं। यहां किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नए-नए बदलाव किए जा रहे हैं। किसानों को भी महंगी, दुर्लभ और नकदी फसलों की खेती (Advanced Farming) के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसी ही दुर्लभ और मंहगी फसल में शामिल है काला अमरूद (Black Guava Farming) की खेती। पिछले कुछ सालों से काले अमरूद की खेती का चलन तेजी से बढ़ा है।
काले अमरूद में ढेर सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें जरूरी पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये बुढापे के लक्षणों को रोकने में मददगार है। इस काम के लिए काले अमरूद में एंटी एजिंग गुण भी मौजूद है। ऐसे में किसान चाहें तो कम लागत में इसकी खेती (Black Guava Cultivation) करके मोटी कमाई कर सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काले अमरूद की किस्म बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बनाई है। जिसके बाद देशभर के ज्यादातर किसानों ने इसकी बागवानी शुरू कर दी है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के कोलर क्षेत्र में काले अमरूद की खेती शुरू हुई है। यहां उत्तर प्रदेश की सहारनपुर (Saharanpur, Uttar Pradesh) नर्सरी से पौधों को खरीदकर रोपाई का काम किया गया है। उत्तर प्रदेश और बिहार में कई जगह इसकी खेती की जा रही है।
यह अमरूद किसी अजूबे से कम नहीं है। इसकी पत्तियां और अंदर गूदे का रंग भी गहरा लाल या महरूम होता है। काले अमरूद के फल का वजन लगभग 100 ग्राम तक होता है। ये दिखने में सामान्य अमरूदों के मुकाबले ज्यादा आकर्षक लगते हैं। इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं आती है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि इसकी खेती ठंड प्रदेशों में ही की जाती है। और इसके फलों में कीट-रोगों की भी अधिक संभावना नहीं रहती है।
देशभर के बाजारों में अभी तक सिर्फ पीले अमरूद (Yellow Guava) और हरे अमरूद (Green Guava)का ही दबदबा बना हुआ है। ऐसे में काले अमरूद की व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Guava) के जरिए एक नया बाजार खड़ा कर सकते हैं। इससे बंपर कमाई कर सकते हैं।