Digital payment platform UPI: डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म यूपीआई का इस्तेमाल बीते कई सालों में तेजी से बढ़ा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) अगले कुछ सालों में यूपीआई पेमेंट में 50 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद कर रहा है। RBI को उम्मीद है कि डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन 2025 तक तीन गुना होगी। RBI, यूपीआई पेमेंट के साथ क्रेडिट कार्ड को भी जोड़ने की योजना बना रही है।
बढ़ने लगी है ऑनलाइन पेमेंट
ग्राहक पहले से अधिक ऑनलाइन यूपीआई पेमेंट करने लगे है। ऑनलाइन बिजनेस करने वाले लोगों को मर्चेंट डिस्काउंट रेट (Merchant Discount Rates -MDR) का भी ध्यान रखना होगा। ताकि, वह अपनी कॉस्ट को कम कर सके। अगर वह सही प्लेटफॉर्म को चुनते हैं तो मर्चेंट डिस्काउंट रेट में अच्छी सेविंग कर सकते हैं।
क्या होता है मर्चेंट डिस्काउंट रेट (Merchant Discount Rates -MDR)
मर्चेंट डिस्काउंट रेट (Merchant Discount Rates -MDR) एक कारोबार द्वारा अपने ग्राहक से डिजिटल मोड के माध्यम से किये पेमेंट पर दिया गया चार्ज है। MDR पेमेंट राशि का एक निश्चित प्रतिशत होता है और ये डिजिटल पेमेंट के तरीके के अनुसार बदलता रहता है।
ऐसे चार्ज किया जाता है MDR
एक उदाहरण के लिए जब कोई कारोबार ऑनलाइन या डिजिटल रूप से की गई खरीदारी के लिए ग्राहक से 1,000 रुपये का पेमेंट लेता है। उस ,000 रुपये में एमडीआर की लागत शामिल होती है। जैसे अगर पेटीएम के पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल पेमेंट के लिए किया जाता है तो उसमें उसका एमडीआर का हिस्सा होता है। पेमेंट के तरीके जैसे कि पेटीएम वॉलेट, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, आदि में एमडीआर का हिस्सा अलग-अलग होता हैष डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और वॉलेट का इस्तेमाल होने पर एमडीआर आमतौर पर लगभग 2% है। इसका मतलब है कि इन माध्यमों से प्राप्त 1,000 रुपये के भुगतान पर 20 रुपये पेमेंट गेटवे को जाएंगे और कारोबारी को सिर्फ 980 रुपये मिलेंगे।
अभी कंपनियां इतना करती है चार्ज
कंपनियां पेमेंट पर इतना करती हैं MDR चार्ज।
Paytm की अन्य के MDR से तुलना
पेटीएम पीजी में यूपीआई पर 0% एमडीआर है। ये देश के कुछ पेमेंट गेटवे में से एक है जो कारोबारियों को यूपीआई और रुपे पेमेंट को शून्य चार्ज के साथ पेमेंटकी इजाजत देता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कारोबारी ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार करने के लिए पेटीएम पीजी का उपयोग कर रहा है, तो यूपीआई के माध्यम से 1,000 रुपये की खरीदारी के लिए, व्यवसाय को बिना किसी लेनदेन शुल्क के 1,000 पूरे पा सकता है। ऑनलाइन कारोबार में एक करोड़ रुपये की सेल पर करीब डेढ़ लाख रुपये तक बचा सकते हैं। इसमें इसे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूपीआई और वॉलेट के माध्यम से मिली पेमेंट शामिल होगी।