Medicine Prices Hike: देश भर में आज (1 अप्रैल) से नया वित्त वर्ष लागू हो गया है। इस बीच आज से ही दवाओं की कीमतों को लेकर हलचल मची हुई है। कई ऐसी दवाएं हैं जो अब महंगाई की लिस्ट में पहुंच गई है। इसमें करीब 800 से ज्यादा दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं की लिस्ट में पेनकिलर, एंटीबायोटिक और एंटी-इंफेक्शन जैसी दवाएं शामिल हैं। दवाओं की कीमतों में करीब 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अब आम लोगों को दवाएं खरीदने के लिए कुछ ज्यादा ही जेब ढीली करनी पड़ेगी।
राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची (National List of Essential Medicines -NLEM) में शामिल दवाओं की कीमतों में 1 अप्रैल से बढ़तोरी लागी हो गई है। इस लिस्ट में शामिल दवाओं की कीमतों में कंपनियां 0.0055 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है। दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए साल में एक बार मंजूरी मिलती है।
WPI डेटा के बेस पर निकाले गए दवाओं के दाम
दरअसल, सरकार ने दवा कंपनियों को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के अनुसार दवाइयों के रेट बढ़ाने की परमिशन दी है। हालांकि नियमानुसार दवा कंपनियां एक साल में 10 फीसदी का इजाफा ही कर सकती है। लेकिन इस बार 2 फीसदी ज्यादा यानी 12 फीसदी ज्यादा रेट बढ़ाए गए हैं। कैंसर, दिल की बीमारी, एनीमिया, मलेरिया, एंटी-सेप्टिक को मिलाकर सभी दवाइयां आज से नए रेट पर मिलेंगी। इससे पहले साल 2022 में दवाओं की कीमत 12 फीसदी और 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। पिछले कुछ सालों में दवा में इस्तेमाल की जाने वाली चीजों की कीमत भी बढ़ी है। इसमें भी 15 से 130 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पैरासिटामोल में 130 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दवा इंडस्ट्री के ग्रुप वालों का कहना है कि दवा बनने में लागत काफी ज्यादा बढ़ गई है। लिहाजा कीमतों में इजाफा करना बेहद जरूरी था। अब दाम बढ़ने से थोड़ी राहत मिली है। दवाएं ऐसी चीज है जो ज्यादातर लोगों के काम होती है। बढ़ी हुई दवाओं की लिस्ट में पेरासिटामोल, एज़िथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक्स, एनीमिया की दवाएं, विटामिन और आयरन शामिल हैं। कोविड-19 की बीमारी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं और स्टेरॉयड भी इस लिस्ट में हैं।