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बेरोजगारी का सामना करना किसी के लिए भी बहुत तनाव वाला समय हो सकता है, खासकर जब खर्चे लगातार बढ़ते रहें. लेकिन आप थोड़ी सी प्लानिंग और फाइनेंशियल डिसिप्लिन के साथ बिना रेगुलर इनकम के भी अपना क्रेडिट स्कोर ठीक रख सकते हैं. अगर आपके सिर पर लोन है, तो रेग्युलर इनकम की कमी आपके क्रेडिट स्कोर पर असर डाल सकती है. क्योंकि इससे EMI समय पर न चुकाने का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन बेरोजगारी के दौर में तमाम मुश्किलों के बावजूद, अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं.
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कम ब्याज़ दरसीधे तौर पर बेरोजगारी का असर आपके क्रेडिट स्कोर पर नहीं पड़ता, क्योंकि क्रेडिट ब्यूरो आपकी जॉब या इनकम नहीं बल्कि आपके फाइनेंशियल बिहेवियर को देखता है. लेकिन अगर इनकम कम हो जाने से लोन की EMI या क्रेडिट कार्ड बिल चुकाने में देर हो जाए, तो स्कोर पर नेगेटिव असर पड़ सकता है.
क्रेडिट रिपोर्ट जरूर चेक करें: अपनी क्रेडिट रिपोर्ट समय-समय पर चेक करें. कभी-कभी गलती से लेट पेमेंट या कोई गलत एंट्री स्कोर डाउन कर सकती है. अगर कोई गलती मिले तो फौरन क्रेडिट ब्यूरो को इसकी जानकारी दें.
पेमेंट टाइम पर करें: आपके क्रेडिट स्कोर का सबसे बड़ा फैक्टर पेमेंट हिस्ट्री है. भले ही पैसे कम हों, लेकिन हर महीने कम से कम मिनिमम पेमेंट जरूर करें. एक भी EMI या क्रेडिट कार्ड पेमेंट 30 दिन से ज्यादा लेट हो गई तो स्कोर तेजी से गिर सकता है. ऑटो डेबिट सेट करें ताकि ड्यू डेट मिस न हो.
अपने डेट्स की प्राथमिकता तय करें: जब इनकम लिमिटेड हो, तो सबसे जरूरी बिल और लोन पेमेंट पहले करें—जैसे होम लोन, रेंट, यूटिलिटी बिल. उसके बाद क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन. जरूरत पड़े तो लेंडर से EMI डिफरमेंट या रिस्ट्रक्चरिंग की रिक्वेस्ट कर सकते हैं.
नया कर्ज लेने से बचें: नौकरी नहीं है तो नया क्रेडिट कार्ड या लोन लेने से बचें. इससे इंटरेस्ट बढ़ता है और स्कोर डाउन होने का रिस्क रहता है. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी सिर्फ जरूरत पर करें और जितना जल्दी हो सके, बिल चुकाएं.
पॉजिटिव क्रेडिट हिस्ट्री बनाएं: अगर आपका क्रेडिट हिस्ट्री कमजोर है तो सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करें या आप किसी फैमिली मेंबर के क्रेडिट कार्ड पर ऑथराइज्ड यूजर बन सकते हैं. हर महीने कम खर्च और पूरा बिल भरना सही क्रेडिट बिहेवियर दिखाता है.
लेंडर्स से बातचीत में रहें: अगर लगता है कि पेमेंट मिस होने वाली है, तो पहले से लेंडर से बात करें. कई बार बैंक या NBFC फाइनेंशियल हेल्प, जैसे कि डिफर्ड पेमेंट या लो EMI ऑप्शन दे सकते हैं. ट्रांसपेरेंसी रखने से स्कोर बच सकता है.
इमरजेंसी सेविंग्स का इस्तेमाल करें: अगर आपके पास इमरजेंसी फंड है, तो उसे इस्तेमाल करने का अब उसका सही समय है. खर्च सोच-समझकर करें, सबसे जरूरी खर्चों और EMI पर फोकस रखें. दोबारा नौकरी मिलते ही सेविंग्स री-बिल्ड करें.
फ्रीलांस या पार्ट टाइम जॉब्स देखें: टेम्पररी या पार्ट टाइम वर्क से थोड़ी इनकम आ सकती है. इससे EMI और रोजमर्रा के खर्च मैनेज हो सकते हैं.
खर्चों में कटौती करें: सब्सक्रिप्शन, बाहर खाना, गैर जरूरी शॉपिंग—सब घटाएं. जितना हो सके, बजट मिनिमल रखें.
परिवार या दोस्तों से मदद लें: अगर फाइनेंशियल स्ट्रेस ज्यादा है तो टेम्पररी लोन या शेयरिंग में रहना भी विकल्प है. जब दोबारा इनकम शुरू हो, तो सबसे पहले उधारी चुकाएं.
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बेरोजगारी का वक्त जरूर मुश्किल है, लेकिन समझदारी और फाइनेंशियल डिसिप्लिन से क्रेडिट स्कोर सही रखा जा सकता है. टाइम पर पेमेंट, गैर जरूरी कर्ज से बचना, और जरूरत पड़े तो सपोर्ट लेना—इन बेसिक बातों से आप अपने फाइनेंशियल फ्यूचर को सुरक्षित रख सकते हैं. क्रेडिट स्कोर सिर्फ बीते वक्त का हिसाब नहीं है, बल्कि फाइनेंशियल अवसरों की चाबी भी है. इसलिए अपने क्रेडिट स्कोर पर नजर रखें, सही फैसले लें और कॉन्फिडेंस के साथ आगे बढ़ें.
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