फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) हमेशा से भारतीय निवेशकों के बीच लोकप्रिय निवेश साधन रहा है, खासकर तब जब बाजार में अस्थिरता और जोखिम बढ़ जाते हैं। लेकिन बदलती ब्याज दरों के दौर में FD में हुआ निवेश भी कई जोखिम लेकर आता है। इन जोखिमों से बचने और बेहतर रिटर्न व लिक्विडिटी हासिल करने के लिए "FD लैडरिंग" रणनीति निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
क्या है FD लैडरिंग रणनीति?
FD लैडरिंग रणनीति के तहत, निवेशक अपनी पूरी रकम एक ही FD में डालने की बजाय उसे अलग-अलग अवधि की FD में बांट देते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपके पास 5 लाख रुपये हैं, तो आप उसे 1-1 लाख रुपये के पांच हिस्सों में बांटकर, अलग-अलग परिपक्वता (जैसे 1, 2, 3, 4 और 5 साल) की FD में निवेश कर सकते हैं। इसका फायदा ये है कि हर साल कोई न कोई FD मैच्योर होती रहती है और आपको सालाना लिक्विडिटी भी मिलती रहती है।
FD लैडरिंग के क्या फायदे हैं?
- ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करना: जब बाजार की ब्याज दरें गिरती हैं, तो कुछ FD पुरानी दरों पर बनी रहती हैं। वहीं, जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो मैच्योर होने वाली FD को आप नई, अधिक दरों पर रिन्यू कर सकते हैं।
- जरूरत पड़ने पर लिक्विडिटी: साल-दर-साल FD मैच्योर होने से पैसा हाथ में आता रहता है और आपको अचानक जरूरत पड़ने पर अपने FD तोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
- टैक्स प्लानिंग में मदद: एक बार में एक बड़ी रकम हाथ में आने की बजाय छोटे-छोटे अमाउंट मैच्योर होने से टैक्स का दबाव कम हो जाता है।
किसके लिए है यह रणनीति फायदेमंद?
यह रणनीति उन लोगों के लिए बेहद उपयुक्त है जिन्हें फिक्स्ड इनकम के साथ-साथ पैसों की सालाना जरूरत पड़ती है जैसे सेवानिवृत्त कर्मचारी, गृहिणियां या वे लोग जिन्हें फंड को किसी खास समय के बाद इस्तेमाल करना होता है। FD लैडरिंग से निवेशक अपने पैसे का सही इस्तेमाल करके, ब्याज दरों के जोखिम से बच सकते हैं और जरूरत के वक्त बिना जुर्माना चुकाए अपनी राशि निकाल सकते हैं।
- FD लैडरिंग को अपनाते समय बैंक द्वारा दी जा रही ब्याज दरों और अलग-अलग FD की परिपक्वता जरूर जांच लें।
- सभी FD को नेटबैंकिंग या एक प्लेटफॉर्म से ट्रैक करना आसान होगा।
- मैच्योर होते ही अगली FD में निवेश की प्लानिंग पहले से कर लें।