RBI New Gold Loan Rules: आरबीआई गोल्ड लोन के नियमों में बदलाव करेगा, जानिए आप पर इसका क्या असर पड़ेगा

Gold Loan: RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि गोल्ड लोन के नियमों पर केंद्रीय बैंक फिर से विचार करेगा। इसका मकसद गोल्ड लोन के मौजूदा नियमों की खामियां दूर करना है। दरअसल, केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन के नियमों में कई तरह की कमियां पाई हैं। वह उन कमियों को दूर करना चाहता है

अपडेटेड Apr 09, 2025 पर 1:27 PM
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अभी बैंक गोल्ड लोन पर 9 से 27 फीसदी के बीच इंटरेस्ट वसूलते हैं।

रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि वह गोल्ड लोन के लिए नई गाइडलाइंस पेश करेगा। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 9 अप्रैल को मॉनेटरी पॉलिसी पेश करते वक्त यह कहा। इसका सीधा असर गोल्ड लोन कंपनियों के स्टॉक्स पर पड़ा। इन कंपनियों के शेयर 10 फीसदी तक गिर गए। गोल्ड लोन ग्राहक भी केंद्रीय बैंक के इस ऐलान से थोड़े चिंतित हैं। सवाल है कि क्या आरबीआई के गोल्ड लोन के नियमों में बदलाव करने से ग्राहकों के लिए गोल्ड लेना मुश्किल हो जाएगा? क्या नियमों में बदलाव से गोल्ड लोन कंपनियां और बैंक ग्राहकों को गोल्ड लोन देने में आनाकानी करेंगे?

ग्राहकों को गोल्ड लेने में दिक्कत आएगी?

RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि गोल्ड लोन के नियमों पर केंद्रीय बैंक फिर से विचार करेगा। इसका मकसद गोल्ड लोन के मौजूदा नियमों की खामियां दूर करना है। दरअसल, केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन के नियमों में कई तरह की कमियां पाई हैं। वह उन कमियों को दूर करना चाहता है। आरबीआई के नए नियमों से ग्राहकों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। उन्हें पहले की तरह गोल्ड लोन मिलता रहेगा। यह भी हो सकता है कि नियमों में बदलाव के बाद बैंक और गोल्ड लोन कंपनियों की दिलचस्पी गोल्ड लोन में बढ़ जाए।


गोल्ड लोन देने का प्रोसेस क्या है?

मल्होत्रा ने 9 अप्रैल को कहा कि केंद्रीय बैंक जल्द गोल्ड लोन के नए नियम पेश करेगा। इसका मकसद गोल्ड लोन के नियमों को चुस्त बनाना है। सबसे पहले यह समझ लेना जरूरी है कि गोल्ड लोन का प्रोसेस क्या है। ग्राहक घर में रखी गोल्ड ज्वैलरी, गोल्ड कॉइन आदि को गोल्ड लोन कंपनियों या बैंक के पास गिरवी रखकर गोल्ड लोन लेता है। गोल्ड लोन कंपनी ग्राह की गोल्ड ज्वैलरी की वैल्यू तय करती है। वह उस वैल्यू के 75 फीसदी तक लोन ग्राहक को देती है। ग्राहक इस लोन को हर महीने EMI में बैंक को वापस करता है। इसमें इंटरेस्ट भी शामिल होता है। गोल्ड लोन कंपनियां ग्राहक को बुलेट पेमेंट का भी ऑप्शन देती हैं। इसमें ग्राहक को लोन की अवधि पूरा होने पर एकमुश्त इंटरेस्ट और लोन का पैसा वापस करना पड़ता है।

गोल्ड लोन पर कितना इंटरेस्ट रेट वसूलते हैं बैंक?

अभी बैंक गोल्ड लोन पर 9 से 27 फीसदी के बीच इंटरेस्ट वसूलते हैं। बैंकों का इंटरेस्ट रेट गोल्ड लोन कंपनियों के मुकाबले कम है। चूंकि, गोल्ड लोन कंपनियां और बैंक ग्राहक को उनके गोल्ड (गोल्ड ज्वैलरी) के एवज में लोन देते हैं, जिससे उनका पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहता है। इसका मतलब यह है कि उन्हें अपना पैसा डूबने का डर नहीं होता है। इसकी वजह यह है कि किसी वजह से अगर ग्राहक गोल्ड लोन का पैसा नहीं चुका पाता है तो बैंक और गोल्ड लोन कंपनियां उसकी गोल्ड ज्वैलरी बेचकर अपना पैसा वसूल लेती हैं। इसलिए गोल्ड लोन कंपनियों के लिए यह बिजनेस काफी फायदेमंद रहा है।

गोल्ड लोन में क्यों आ रहा है उछाल?

पिछले कुछ सालों में गोल्ड लोन में बैंकों की दिलचस्पी भी बढ़ी है। उन्हें यह कमाई का अच्छा जरिया लगता है। इसमें उन्हें अपना पैसा डूबने का डर नहीं होता, जबकि इंटरेस्ट रेट काफी अट्रैक्टिव है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने खुलकर ग्राहकों को गोल्ड लोन देना शुरू किया है। पहले गोल्ड लोन बिजनेस में गोल्ड लोन कंपनियों की बादशाहत थी। लेकिन, अब स्थिति बदल गई है। गोल्ड लोन बैंकों के लिए कमाई का अच्छा रास्ता बन गया है।

गोल्ड लोन के नए नियम कब से लागू होंगे?

ध्यान देने वाली बात है यह कि आरबीआई गोल्ड लोन के नियमों का ड्राफ्ट पहले पेश करेगा। वह इस पर आम लोगों और एक्सपर्ट्स की राय मांगेगा। राय मिलने के बाद केंद्रीय बैंक उस पर विचार करेगा। फिर वह नए नियम पेश करेगा, जिसका पालन बैंकों और गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों को करना होगा। इसका मतलब है कि इस प्रक्रिया में समय लगेगा। अगर ग्राहकों को ऐसा लगता है कि गोल्ड लोन के नियम कल से बदल जाएंगे तो ऐसा नहीं है।

आरबीआई को नए नियम बनाने की जरूरत क्या है?

अभी गोल्ड लोन के नियम एक समान नहीं हैं। बैंकों और गोल्ड लोन कंपनियों को एक ही तरह के प्रोडक्ट पर अलग-अलग नियमों का पालन करना पड़ता है। आरबीआई चाहता है कि सभी रेगुलेटेड एंटिटीज के लिए एक जैसे नियम होने चाहिए। केंद्रीय बैंक नए नियमों में इस फर्क को खत्म कर देगा। दरअसल आरबीआई को गोल्ड लोन देने में कई तरह की गड़बड़ियों का पता चला था। गोल्ड लोन देने में बैंक और गोल्ड लोन कंपनियां जल्दबाजी करती हैं। वे ड्यू डिलिजेंस यानी ग्राहक के बैकग्राउंड जानने पर ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं।

अभी गोल्ड लोन के नियमों में क्या कमी है?

अभी गोल्ड लोन देने के लिए बैंक और गोल्ड लोन कंपनियां एक जैसे लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो का पालन नहीं करते हैं। यहां तक कि कुछ गोल्ड लोन कंपनियां ग्राहकों की तरफ से गिरवी रखी गए गोल्ड ज्वैलरी के स्टोरेज के लिए फिनटेक एजेंट्स और थर्ड पार्टी कंपनियों की सेवाएं ले रही हैं। पहले गोल्ड लोन कंपनियां ये काम खुद करती थीं। गोल्ड लोन स्टोरेज में फिनटेक और थर्ड पार्टी कंपनियों की भूमिका को आरबीआई ठीक नहीं मानता है। इसके अलावा ग्राहक को गोल्ड लोन नहीं चुकाने पर गोल्ड लोन कंपनियां गोल्ड ज्वैलरी की नीलामी की जो प्रक्रिया अपनाती हैं, उसमें भी कमियां पाई गई हैं। आरबीआई का मानना है कि नियमों में इन कंपनियों से सबसे ज्यादा नुकसान ग्राहकों को होने का डर है।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Apr 09, 2025 1:14 PM

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