सोने की चमक हाल फिलहाल फीकी नहीं पड़ने वाली है। आउटलुक मजबूत बना हुआ है और इस साल धनतेरस पर यह नए रिकॉर्ड बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चल रहे वैश्विक आर्थिक बदलाव और ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदें सोने की रफ्तार को कायम रख रही हैं। साल 2025 में सोना लगभग 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देख चुका है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर, दिसंबर में डिलीवरी वाले गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट के लिए सोने की कीमतें बीते सप्ताह 1,22,284 रुपये प्रति 10 ग्राम तक चली गईं। इसकी वजह डोमेस्टिक फैक्टर्स के साथ-साथ ग्लोबल फैक्टर्स भी रहे। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा के अनुसार, "यह तेजी वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों से प्रेरित है। कमजोर अमेरिकी डॉलर ने अन्य मुद्राओं में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए सोना अधिक किफायती बना दिया, जिससे मांग को और बढ़ावा मिला।"
एक फैक्टर यह भी है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सोने को लगातार खरीद रहे हैं। कई देश अपने रिजर्व में विविधता ला रहे हैं। इसके चलते सोने की आधिकारिक खरीद कई दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च की हेड वंदना भारती के मुताबिक, "रिकॉर्ड हाई कीमतों पर भी केंद्रीय बैंकों और ईटीएफ की ओर से मजबूत खरीद, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें और फिएट करेंसी में घटते भरोसे से सोने की कीमतें हाई बनी रहेंगी।" फिएट करेंसी मतलब वह करेंसी, जिसे सरकार वैध मुद्रा यानि लीगल टेंडर घोषित करती है। जैसे- भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर।
भले ही सोने को लेकर आशावाद मजबूत बना हुआ है, लेकिन विशेषज्ञ इस त्योहारी सीजन में 1.5 लाख रुपये के आंकड़े के पार होने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। भारती को उम्मीद है कि इस धनतेरस पर सोना 1,20,000 रुपये से 1,30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच कारोबार करेगा। संभावित लक्ष्य 4,150-4,250 डॉलर प्रति औंस है।" अजीत मिश्रा का कहना है, "लगातार महंगाई की चिंता निवेशकों को सोने को वैल्यू के एक भरोसेमंद भंडार के रूप में देखने के लिए प्रेरित कर रही है। हालांकि, जब तक मुद्रा संकट या गंभीर भू-राजनीतिक उथल-पुथल जैसा कोई बड़ा झटका न लगे, इस धनतेरस सोने के 1,50,000 रुपये के स्तर को पार करने की संभावना नहीं है।" निकट भविष्य में सोना 1,26,000 रुपये से 1,28,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच ट्रेड कर सकता है।
2026 में जा सकता है 1.5 लाख रुपये तक
एनालिस्ट्स का अनुमान है कि सोने की कीमतों में तेजी 2026 तक जारी रहेगी, खासकर अगर वैश्विक ब्याज दरें गिरने लगें और महंगाई स्थिर बनी रहे। केंद्रीय बैंकों की पॉलिसीज, भू-राजनीतिक जोखिम और मुद्रा की चाल सोने की आगे की दिशा तय करने वाले प्रमुख फैक्टर बने रहेंगे। ऑग्मोंट की रिसर्च हेड रेनिशा चैनानी कहती हैं, "अगर मौजूदा व्यापक रुझान जारी रहे तो 2026 के मध्य से अंत तक सोना संभावित रूप से 1.5 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। यह तेजी केंद्रीय बैंकों की ओर से लगातार खरीद, लगातार जारी भू-राजनीतिक तनाव और प्रमुख केंद्रीय बैंकों की ओर से दरों में कटौती के कारण कमजोर वैश्विक विकास से प्रेरित होगी।"
कमजोर अमेरिकी डॉलर और महंगाई के लगातार दबाव से सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों को लेकर निवेशकों की मांग और बढ़ेगी। भारत में, सीजनल डिमांड और शादी-ब्याह से जुड़ी मांग, कमजोर रुपया और हाई इंपोर्ट ड्यूटी, सोने के डोमेस्टिक प्राइस में तेजी लाएंगे। चैनानी के मुताबिक, सोने पर बेस्ड निवेश साधनों की ओर लॉन्ग टर्म स्ट्रक्चरल शिफ्ट भी इस तेजी को बढ़ावा देगा। वंदना भारती का भी मानना है कि 2026 की शुरुआत में सोना 1,50,000 रुपये तक पहुंच सकता है।
अस्थिर शेयर बाजारों और अस्थिर बॉन्ड यील्ड के बीच निवेशक सेफ एसेट माने जाने वाले गोल्ड में एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs) के जरिए नए सिरे से निवेश कर रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, सितंबर 2025 में भारतीय गोल्ड ETFs में 90.2 करोड़ डॉलर का शुद्ध निवेश हुआ, जो अगस्त के मुकाबले 285 प्रतिशत की वृद्धि है। पूरी दुनिया में गोल्ड ETFs में 17.3 अरब डॉलर का निवेश हुआ। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में गोल्ड ETF में निवेश 8363 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह अगस्त में आए निवेश 2190 करोड़ रुपये से 282 प्रतिशत ज्यादा है। भारत में गोल्ड ETFs के तहत एसेट्स अंडर मैनेजमेंट अब 90,000 करोड़ रुपये से अधिक के हैं।