हाल के सालों में सरकारी कंपनियों में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रशांत जैन को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा है। बतातें चलें कि प्रशांत जैन जाने-माने फंड मैनेजर और एचडीएफसी म्यूचुअल फंड के पूर्व चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर हैं। शुरुआत में प्रशांत जैन की आलोचना कुछ सही भी लग रही थी। अपने फंड हाउस में वो जिस पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट करते थे वह पीएसयू कंपनियों में बड़े एक्सपोजर के कारण दूसरे पोर्टफोलियो की तुलना में कमजोर प्रदर्शन करता नजर आ रहा था।
आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी 2018 से अक्टूबर 2020 के बीच बीएसई पीएसयू इंडेक्स में सालाना आधार पर 22.3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। हर किसी का यह मानना था कि पीएसयू स्टॉक सबसे गए गुजरे स्टॉक हैं। लेकिन फाइनली प्रशांत जैन विजेता होकर उभरे और उनके चेहरे पर एक लंबी मुस्कान देखने को मिली।
इस समय पीएसयू स्टॉक सबकी आंखों का तारा बन गए हैं। अक्टूबर 2020 से अब तक बीएसई पीएसयू इंडेक्स में 44.5 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। यही नहीं प्रशांत जैन के मुताबिक अभी तो इनके सबसे अच्छे दिन आने बाकी हैं।
उन्होंने 30 अगस्त को एक नोट में कहा है कि आंकड़ों से साफ है कि पीएसयू स्टॉक्स ने सभी टाइम फ्रेम पर कमजोर प्रदर्शन नहीं किया है । यह भी बताते चलें कि प्रशांत जैन ने अभी पिछले महीने ही दलाल स्ट्रीट को हैरान करते हुए HDFC Mutual Fund में अपनी पोजिशन से त्याग पत्र दे दिया था। प्रशांत जैन को भारत के सबसे सफल फंड मैनेजरों में एक माना जाता है।
प्रशांत जैन का कहना है कि दुर्भाग्य से जनवरी 2018 से अक्टूबर 2020 के बीच का पीएसयू स्टॉक का अंडरपरफॉर्मेंस इतना बड़ा रहा कि लंबे टाइम चार्ट पर भी पीएसयू इंडेक्स अंडरपरफॉर्मर बन गया । जिसके चलते लोगों के दिमाग में यह बात भर गई कि पीएसयू शेयर अच्छे शेयर नहीं है। लेकिन निवेश के मामले में भेड़ चाल की मानसिकता अक्सर गलत साबित होती है।
हाल के दिनों में पीएसयू के शेयरों में आई जोरदार तेजी इसी बात की पुष्टि करती है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ पीएसयू स्टॉक खासकर डिफेंस से जुड़े स्टॉक जैसे Bharat Electronics, Bharat Dynamics and Hindustan Aeronautics ने पिछले 1 साल में 80-120 फीसदी की रिटर्न दिया है। यह रैली हमें पीएसयू बैंकों और एनर्जी स्टॉक्स पर भी देखने को मिली है। जिसके चलते तमाम फंड मैनेजर पीएसयू शेयरों में अपनी खरीदारी बढ़ाते नजर आ रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह देखकर काफी अच्छा लग रहा है, ज्यादा से ज्यादा म्यूचुअल फंड पीएसयू शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर रहे हैं। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि आगे विदेशी संस्थागत निवेशकों के पोर्टफोलियो में भी सरकारी शेयरों का अनुपात बढ़ता नजर आएगा। इसके अलावा डायरेक्ट पोर्टफोलियो में भी सरकारी कंपनियों के शेयर अपनी जगह बनाएंगे।
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