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पर्सनल लोन आजकल बड़ी आसानी से मिल जाता है. घर की मरम्मत से लेकर शादी, ट्रैवल या किसी बड़े खर्च के लिए लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए कुछ ही मिनटों में लोन ले रहे हैं. लेकिन जहां लोन लेना आसान हुआ है, वहीं इसे सही से मैनेज करना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है. क्योंकि अगर समझदारी से इस्तेमाल नहीं किया गया तो यही लोन बाद में सिरदर्द बन सकता है.
पर्सनल लोन का सही इस्तेमाल आपकी फाइनेंशियल दिक्कतों को कम कर सकता है. लेकिन उसके लिए जरूरी है कि आप इसे मैनेज करना सीखें. अगर आप पहली बार लोन ले रहे हैं, तो कुछ बेसिक बातें हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है.
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सबसे पहली बात ये कि किसी भी पर्सनल लोन को लेने से पहले उसके टर्म्स एंड कंडीशंस को ठीक से पढ़ना जरूरी है. जैसे - कितना इंटरेस्ट लगेगा, किस टेन्योर में चुकाना है, हर महीने कितना EMI देना होगा– ये सब पहले ही समझ लो.
Moneycontrol जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर आप 50 लाख रुपए तक का इंस्टेंट पर्सनल लोन पा सकते हो, जिसमें 8 अलग-अलग लेंडर्स से ऑफर मिलते हैं और ब्याज 10.5% सालाना से शुरू होता है.
लोन लेने से पहले ये भी पता कर लो कि टोटल रीपेमेंट कितना होगा और आपकी मंथली इनकम के हिसाब से वो कितना सही बैठता है.
पर्सनल लोन लेने के बाद सबसे जरूरी चीज होती है बजट बनाना. अपने महीने के सारे खर्च और इनकम को लिस्ट करो और पहले ही तय कर लो कि हर महीने EMI के लिए कितनी रकम साइड में रखनी है. आजकल ऐसे बहुत सारे ऐप्स और बजटिंग टूल्स हैं, जो खर्च पर नजर रखने में मदद करते हैं.
EMI मिस न हो इसके लिए बैंक से ऑटो पेमेंट सेट कर दो. ऐसा करने से लेट फीस से बचा जा सकता है और क्रेडिट स्कोर पर भी पॉजिटिव असर पड़ता है.
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आपका क्रेडिट स्कोर ये तय करता है कि आपको आगे चलकर कितना अच्छा लोन ऑफर मिलेगा. अगर आप EMI समय पर भरते हो तो स्कोर अच्छा बना रहता है. अपने स्कोर को समय-समय पर चेक करते रहो, ताकि अगर कोई गड़बड़ी दिखे तो उसे तुरंत सुधारा जा सके. Moneycontrol की वेबसाइट या ऐप पर आप फ्री में क्रेडिट स्कोर चेक कर सकते हो.
अगर आप एक से ज्यादा लोन को मैनेज नहीं कर पा रहे, तो ;डेट कंसॉलिडेशन; लोन एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. इसमें आप सारे पुराने लोन को मिलाकर एक नया लोन ले सकते हो, जिसमें ब्याज कम हो सकता है और EMI भी एक ही जगह से कटेगी. इससे रीपेमेंट का झंझट थोड़ा आसान हो जाता है.
पर्सनल लोन में कई बार ऐसे चार्ज होते हैं जो शुरुआत में समझ नहीं आते– जैसे प्रीपेमेंट फीस या फोरक्लोजर चार्ज. अगर आप लोन जल्दी चुकाना चाहते हो, तो पहले ही देख लो कि इस पर एक्स्ट्रा चार्ज तो नहीं लगेगा. EMI के साथ ये चार्ज भी जोड़कर देखो ताकि कोई सरप्राइज न मिले.
अगर कभी ऐसा लगे कि लोन चुकाना मुश्किल हो रहा है तो डरने की जगह अपने लेंडर से बात करो. कई बार लेंडर्स कुछ राहत दे सकते हैं या टेन्योर को बढ़ाकर EMI कम करने में मदद कर सकते हैं. बस ये बात वक्त रहते बता दो.
पर्सनल लोन सिर्फ आज की जरूरत नहीं, ये फ्यूचर को भी प्रभावित करता है. इसलिए नई उधारी लेने से पहले सोचो कि EMI आपके बजट में फिट बैठ रही है या नहीं. साथ ही एक इमरजेंसी फंड भी बनाओ, ताकि अचानक जरूरत पड़ने पर फिर से लोन लेने की नौबत न आए.
आज के डिजिटल दौर में लोन मैनेज करने के लिए कई टूल्स मौजूद हैं. EMI कैलकुलेटर से लेकर प्रीपेमेंट का असर समझने वाले टूल्स तक– सब कुछ ऑनलाइन मिल जाता है. Moneycontrol जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोन ट्रैक करने और ऑफर कम्पेयर करने की सुविधा भी है.
आखिर में बात वही है– पर्सनल लोन तभी लो जब वाकई में पैसों की जरूरत हो और उसके बाद पूरी जिम्मेदारी से उसे मैनेज करो. तभी ये लोन आपकी मदद करेगा, वरना परेशानी बढ़ा देगा.
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