आजकल कई बीमा कंपनियां ‘मेटीरियल चेंज’ क्लॉज का इस्तेमाल करती हैं, जिसमें ग्राहकों से हर साल उनकी सेहत या जीवनशैली में हुए किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव की जानकारी मांगी जाती है। इसका उद्देश्य होता है पॉलिसी को सही और न्यायसंगत बनाए रखना, लेकिन इससे ग्राहकों में चिंता भी पैदा हो जाती है कि कहीं उनकी प्रीमियम बढ़ाए न जाएं या दावा खारिज न हो जाए।
दावा और नवीनीकरण पर बीमारी के असर
कई बार लोग नई बीमारियों की जानकारी न देकर बचते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि IRDA के नियमों के अंतर्गत बीमा लेने के बाद हुई बीमारियां भी कवर की जानी चाहिए। नवीनीकरण पर कोई नया वेटिंग पीरियड नहीं लगाया जा सकता है। दावा खारिज तभी हो सकता है जब फर्जीवाड़ा या जानबूझकर गलत जानकारी दी गई हो।
प्रीमियम बढ़ाने का अधिकार नहीं
विशेषज्ञ मानते हैं कि बीमा कंपनी व्यक्तिगत ग्राहकों के लिए प्रीमियम नहीं बढ़ा सकतीं जब तक कि यह सभी ग्राहकों पर समान रूप से लागू न हो। नवीनीकरण के दौरान कवरेज में बदलाव सिर्फ तब किया जा सकता है जब समरी इंश्योरेंस बढ़ाई जाए।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
किसी भी बीमारी या बदलाव की जानकारी देते समय पारदर्शिता रखें। मामूली बदलाव का प्रीमियम पर प्रभाव कम होता है और छिपाने से अधिक परेशानी हो सकती है। ग्राहक यह जानें कि ऐसी जानकारी क्यों मांगी जा रही है और जरूरत नहीं होने पर अनावश्यक जानकारी साझा न करें। समस्या होने पर बीमा बरोसा या ओम्बड्समैन से शिकायत की जा सकती है।
स्वास्थ्य बीमा की नवीनीकरण प्रक्रिया में सही जानकारी देना और नियमों को समझना जरूरी है। इससे न केवल आपकी पॉलिसी निरंतर सुरक्षित रहती है, बल्कि आपको भविष्य में बेहतर सेवा और कवर मिलता है।