टैक्सपेयर कई बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के टैक्स डिमांड नोटिस से सहमत नहीं होता है। वह इसके खिलाफ अपील करता है। ऐसे मामलों में फैसला टैक्सपेयर्स के पक्ष में होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ट्राइब्यूनल या हायर ज्यूडिशियल अथॉरिटी में अपील फाइल करता है। हालांकि, अपील फाइल करने से पहले डिपार्टमेंट के लिए विवादित मामले में टैक्स की मॉनेटरी वैल्यू को देखना जरूरी होता है। अपील की संख्या बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने टैक्स की मॉनेटरी वैल्यू की सीमा तय की है। इसका मतलब है कि विवादित मामले में टैक्स की मॉनेटरी वैल्यू एक सीमा से ज्यादा होने पर ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अपील फाइल कर सकता है।
वित्तमंत्री ने 23 जुलाई को बजट में किया था ऐलान
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, 2024 को पेश बजट में कहा था कि हायर कोर्ट्स में विवादित मामलों (Disputed Cases) की संख्या बढ़ने से रोकने के लिए सरकार टैक्स की मॉनेटरी वैल्यू की सीमा बढ़ाएगी। इसके पीछे मकसद यह है कि हायर ज्यूडिशियल अथॉरिटी के पास सिर्फ ज्यादा टैक्स से जुड़े मामले जाने चाहिए। कम टैक्स के मामलों का निपटारा लोअर लेवल पर हो जाना चाहिए। इससे ज्यूडिशियरी पर बोझ नहीं बढ़ेगा और सिस्टम अच्छी तरह से काम करेगा।
सीबीडीटी ने जारी किया सर्कुलर
अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने टैक्स की मॉनेटरी वैल्यू की नई लिमिट तय कर दी है। इसके लिए 17 सितंबर, 2017 को सर्कुलर जारी कर दिया गया है, जिसका नंबर 09/2024 है। इसके मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तभी हायर कोर्ट में अपील फाइल करेगा, जब विवादित मामले में टैक्स की मॉनेटरी वैल्यू निम्नलिखित सीमा से ज्यादा होगी:
-इनकम टैक्स एपेलेट ट्राइब्यूनल (ITAT) में अपील करने के लिए विवादित मामले में टैक्स अमाउंट 60 लाख रुपये से ज्यादा होना चाहिए।
-हाई कोर्ट में अपील के लिए विवादित मामले में टैक्स अमाउंट 2 करोड़ रुपये से ज्यादा होना चाहिए।
-सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए विवादित मामले में टैक्स अमाउंट 5 करोड़ रुपये से ज्यादा होना चाहिए।
कुछ स्थितियों में अपील का अधिकार
ऊपर बताई गई लिमिट सभी तरह के मामलों पर लागू होगी। इनमें इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत आने वाले TDS और TCS से जुड़े मामले भी शमिल होंगे। हालांकि, कुछ खास स्थितियों में विवादित मामले की मेरिट के आधार पर टैक्स अमाउंट तय सीमा से कम होने के बावजूद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास अपील फाइल करने का अधिकार होगा। उदाहरण के लिए, नियमों के उल्लंघन पर दूसरी कानूनी एजेंसियों या इंटेलिजेंस एजेंसियों या जीएसटी डिपार्टमेंट की तरफ से की गई जांच में में अपील फाइल करने का अधिकार होगा। इससे पहले टैक्स की मॉनेटरी लिमिट में 2018 में बदलाव किया गया था।
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मामले वापस लेने का विकल्प
नई लिमिट ऐसे मामलों पर भी लागू होगी, जो कोर्ट या ट्राइब्यूनल में लंबित हैं। इसका मतलब है कि अगर अगर सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट या ट्राइब्यूनल में कोई मामला पहले से है और ऐसे मामले में टैक्स अमाउंट तय सीमा से कम है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उस मामले को वापस ले सकता है। अनुमान है कि इस प्रावधान से कोर्ट में विवादित मामलों की संख्या में कमी आएगी।
(लेखक सीए हैं। वह पर्सनल फाइनेंस खासकर इनकम टैक्स से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं)