इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की डेडलाइन नजदीक आ रही है। हर साल 31 जुलाई इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख होती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सभी आईटीआर फॉर्म नोटिफाय कर दिए हैं। कुछ आईटीआर फॉर्म्स में बड़े बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों के बारे में टैक्सपेयर्स को पहले से जान लेने से बाद में आसनी होगी। आइए जानते हैं कि आपको रिटर्न फाइल करने में किन बातों का ध्यान रखना है।
अपने लिए करें सही फॉर्म का चुनाव
सबसे पहले टैक्सपेयर को अपने लिए सही फॉर्म का चुनाव करना जरूरी है। अलग-अलग तरह के टैक्सपेयर्स के लिए अलग-अलग फॉर्म्स हैं। 1 और 4 फॉर्म्स छोटे और मध्यम टैक्सपेयर्स के लिए हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ये फॉर्म्स 29 अप्रैल को नोटिफाय किए थे। आईटीआर फॉर्म 7 ट्रस्ट और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशंस के लिए हैं। इन्हें डिपार्टमेंट ने 11 मई को नोटिफाय किया। अगर टैक्सपेयर्स को अपने लिए सही फॉर्म का चुनाव करने में दिक्कत आ रही है तो वे किसी टैक्स एक्सपर्ट्स की सलाह ले सकते हैं।
कुछ फॉर्म्स में बदलाव किए गए हैं
इस बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR 1 और ITR 4 में एक बड़ा बदलाव कैपिटल गेंस की रिपोर्टिंग के मामले में किया है। अब सैलरीड इंडिविजुअल्स और ऐसे टैक्सपेयर्स जो प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत आते हैं और जिनका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस 1.25 लाख रुपये तक है वे क्रमश: आईटीआर 1 और आईटीआर 4 का इस्तेमाल कर सकेंगे। पहले ऐसे टैक्सपेयर्स को आईटीआर 2 का इस्तेमाल करना होता था।
चेक कर लें नई और पुरानी में से किस रीजीम में फायदा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को नई और पुरानी रीजीम में से किसी एक का इस्तेमाल करने की सुविधा दी है। इसलिए आईटीआर फाइल करने से पहले आपको यह चेक कर लेने की जरूरत है कि आपके लिए कौन सी रीजीम फायदेमंद होगी। नौकरी करने वाले लोगों से तो एंप्लॉयर पहले से ही यह पूछ लेता है कि वे किस रीजीम का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि, रिटर्न फाइलिंग के वक्त वे अपनी रीजीम में बदलाव कर सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर नौकरी करने वाले किसी व्यक्ति ने पहले अपने एंप्लॉयर को बताया है कि वह पुरानी रीजीम का इस्तेमाल करेगा। लेकिन, बाद में उसे पता चलता है कि नई रीजीम उसके लिए फायदेमंद है तो वह आईटीआर फाइलिंग वक्त रीजीम में बदलाव कर सकता है।
छोटी-बड़ी हर इनकम के बारें में जरूर बताएं
रिटर्न फाइल करने के दौरान टैक्सपेयर्स को हर छोटी-बड़ी इनकम के बारे में बताना जरूरी है। कई टैक्सपेयर्स यह सोचते हैं कि बैंक में सेविंग्स अकाउंट से मिलने वाले इंटरेस्ट की जानकारी देना जरूरी नहीं है, क्योंकि यह अमाउंट बड़ा नहीं है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि आपको सेविंग्स अकाउंट में जमा पैसे पर जो भी इंटरेस्ट मिलता है, उसके बारे में इनकम टैक्स रिटर्न में बताना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर आपको बाद में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।