आजकल हर व्यक्ति के पास एक से ज्यादा बैंक खाते होना आम बात हो गई है। सैलरी, बिल भुगतान या ऑनलाइन शॉपिंग के लिए नया खाता खुलवाना आसान है, लेकिन पुराने खाते जो महीनों-वर्षों से बंद पड़े हैं, वे चुपके से कई परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। इन निष्क्रिय खातों से आर्थिक नुकसान ही नहीं, बल्कि साइबर फ्रॉड और कानूनी झंझट का खतरा भी मंडराता रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप ऐसे खाते इस्तेमाल नहीं कर रहे, तो इन्हें तुरंत बंद कराना ही समझदारी है।
सबसे पहली मुसीबत न्यूनतम बैलेंस की है। ज्यादातर बैंक बचत खाते में मासिक औसत बैलेंस (MAB) बनाए रखने की शर्त रखते हैं, जो शहर के हिसाब से 500 से 15,000 रुपये तक हो सकता है। उदाहरण के लिए, ICICI बैंक जैसे निजी बैंकों में मेट्रो क्षेत्रों में 15,000 रुपये का MAB जरूरी है, वरना 6% पेनल्टी या न्यूनतम 500 रुपये कट जाते हैं। जीरो बैलेंस खाते भी लंबे समय बिना ट्रांजेक्शन के सामान्य खाते में बदल सकते हैं, जिससे जुर्माना चालू हो जाता है।
दूसरी समस्या अनावश्यक शुल्कों की है। भले ही खाता निष्क्रिय हो, बैंक सालाना डेबिट कार्ड फीस (100-1000 रुपये) और SMS अलर्ट चार्ज वसूलते रहते हैं। ये छोटे-छोटे खर्च साल भर में अच्छी खासी रकम बन जाते हैं, जो बिना नोटिस के आपके बैलेंस से कटते रहते हैं।
तीसरा झंझट ITR फाइलिंग के समय आता है। टैक्स देने वालों को सभी सक्रिय और निष्क्रिय खातों की डिटेल देनी पड़ती है, जिसमें पुराने खाते की स्टेटमेंट निकालनी पड़ती है। यह अतिरिक्त मेहनत और समय बर्बाद करता है।
सबसे खतरनाक चौथा जोखिम साइबर फ्रॉड का है। निष्क्रिय खाते हैकर्स के आसान शिकार बनते हैं, क्योंकि मॉनिटरिंग न होने से अनधिकृत ट्रांजेक्शन या आइडेंटिटी थेफ्ट हो जाता है। RBI नियमों के तहत दो साल बिना गतिविधि पर खाता 'डॉर्मेंट' घोषित हो जाता है, जिससे सुविधाएं बंद हो जाती हैं और क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ता है। कई केसों में फ्रॉडर्स ने ऐसे खातों से अवैध लेनदेन किए।