निवेशकों को करोड़पति बनाने वाले म्यूचुअल फंडों में कोटक इक्विटी हाइब्रिड फंड शामिल है। इस फंड ने 25 साल पूरे किए हैं। अगर आपने इस स्कीम की शुरुआत से हर महीने 10,000 रुपये का निवेश अब तक किया होता तो आपके पास आज 2.65 लाख करोड़ रुपये होते। अगर आपने इस स्कीम की शुरुआत में 1 लाख रुपये का निवेश किया होता तो 25 नवंबर, 2024 को आपका पैसा बढ़कर 31 लाख रुपये हो गया होता।
हर टाइम-फ्रेम में शानदार रिटर्न
कोटक इक्विटी हाइब्रिड फंड (Kotak Equity Hybrid Fund) का मैनेजमेंट फंड मैनेजर अतुल भोले करते हैं। वह बॉटम-अप स्टॉक पिकिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करते हैं।  शुरुआत से लेकर अब तक इसका CAGR 14.7 फीसदी रहा है। इस फंड ने करीब हर टाइम-फ्रेम में अपने बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न दिया है। इनमें तीन साल, पांच साल, 10 साल, 15 साल और 25 साल शामिल है।
अभी 75% निवेश इक्विटी में
इस प्लान के रेगुलेटर प्लान का नेट एसेट वैल्यू (NAV) 4 फरवरी, 2025 को 33.89 रुपये थी। इस फंड के फंड मैनेजर अतुल भोले ने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को काफी डायवर्सिफायड रखा है। उन्होंने अलग-अलग मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश किया है। इससे रिस्क मैनेज करने के साथ ही उन्हें अल्फा रिटर्न देने में मदद मिली है। 31 दिसंबर, 2024 को इस फंड ने अपना 75.07 फीसदी निवेश इक्विटी में किया था। 20.94 फीसदी निवेश डेट में किया था। 3.6 फीसदी कैश इक्विलेंट था। 0.4 फीसदी निवेश रियल एस्टेट में किया था।
सरकारी सिक्योरिटीज में भी निवेश
कोटक इक्विटी हाइब्रिड फंड के डेट पोर्टफोलियो में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की सिक्योरिटीज हैं। इनकी मैच्योरिटी 2037, 2053, 2064, 2030 और 2063 में है। इनमें फंड का कुल निवेश 4.31 से 1.75 फीसदी के बीच है। एक साल में इस फंड ने 13.59 फीसदी रिटर्न दिया है। तीन साल में इसका रिटर्न 12.68 फीसदी रहा है। 5 साल में 16.61 फीसदी रहा है। 7 साल में 12.91 फीसदी रहा है। 10 साल में 11.90 फीसदी रहा है। इस फंड का एक्सपेंस रेशियो 1.76 फीसदी है।
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निवेश से पहले रिस्क समझ लें
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिटर्न के मामले में इस फंड का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। लेकिन, निवेशकों को निवेश करने में किसी फंड के पिछले रिटर्न के आधार पर फैसला नहीं लेना चाहिए। हाइब्रिड फंड का मतलब ऐसे फंड से है, जो निवेशक के पैसे का निवेश शेयर और डेट दोनों में करता है। इससे स्टॉक मार्केट में गिरावट की स्थिति में डेट में निवेश की वजह से उसका कुल रिटर्न ज्यादा नही गिरता है। हालांकि, निवेशकों को किसी फंड में निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय लेनी चाहिए।