2017 के जुलाई में जब देश में पहले से ही नोटबंदी पर गरमागरम बहस चल रही थी, तब सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) लागू कर दिया। यह एक इनडायरेक्ट टैक्स है जिसने सर्विस टैक्स, वैट और एक्साइज टैक्स की जगह ले ली। यानी, जीएसटी के बाद सभी प्रोडक्ट और सर्विस एक छतरी मलतब GST के तहत आ गया। अब हर एक प्रोडक्ट, सर्विस की स्टेज पर टैक्स लगता है।
किराना बिल से लेकर सिनेमा टिकट से लेकर रेस्तरां या होटल के खाने की कॉस्ट सब कुछ जीएसटी के तहत आते हैं। हम यह टैक्स सीधे सरकार को न देकर व्यापारियों के माध्यम से सरकार को देते हैं। लेकिन क्या हर जगह को जीएसटी वसूलने का अधिकार है? क्या आप जानते हैं कि जो रेस्टोरेंट सरकार की जीएसटी कंपोजिशन स्कीम का फायदा उठा रहे हैं, वे बिल पर ग्राहक से जीएसटी नहीं वसूल सकते? सही जानकारी न होने और ज्ञान की कमी के कारण, ये रेस्तरां कभी-कभी हमारी अज्ञानता का फायदा उठाते हैं और हम जीएसटी का पेमेंट करते हैं।
छोटे व्यापारियों पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए कंपोजीशन स्कीम का फायदा दिया जाता है। कंपोजीशन स्कीम अपनाने वाले कारोबारी टैक्स इनवॉयस जारी नहीं कर सकते। क्योंकि उन्हें अपने ग्राहकों से टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं है। इसके बदले कंपोजीशन ट्रेडर्स को अपनी जेब से टैक्स देना पड़ता है।
ऐसे कारोबारी जो अन्य राज्यों के साथ ट्रेड नहीं करते हैं और जिनका सालाना कारोबार 1.50 करोड़ रुपये से कम है, वे जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के लिए अप्लाई करने के पात्र हैं। कंपोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन के बाद डील रिसिप्ट या मंथली रिटर्न जारी करने की आवश्यकता नहीं है। गुड्स ट्रांजेक्शन के लिए सिर्फ 1 फीसदी टैक्स देना पड़ता है। कारोबार जो सर्विस देते हैं, उन्हें 6 फीसदी टैक्स देना होता है। नॉन एल्काहोल वाले रेस्टोरेंट पर ये 5 फीसदी है।
जो भी व्यक्ति जीएसटी कंपोजीशन स्कीम का फायदा उठा रहा है। उन्हें अपने बिल पर कंपोजिशन टैक्सेबल पर्सन, सप्लाई पर टैक्स कलेक्ट करने के पात्र नहीं है, ये लिखना अनिवार्य है। जब ये लिखा होगा तो वह रेस्टोरेंट आपके बिल पर GST चार्ज नहीं ले सकता। आप अपने फूड बिल पर एक्स्ट्रा जीएसटी चार्ज देने से मना कर सकते हैं।
आप जीएसटी पोर्टल के जरिए यह भी पता कर सकते हैं कि जिस रेस्टोरेंट में आपने खाना खाया, वह जीएसटी कंपोजिट स्कीम का फायदा ले रहा है या नहीं।
सर्च टैक्सपेयर पर क्लिक करें।
सर्च कंपोजिशन टैक्सपेयर पर क्लिक करें।
रेस्टोरेंट के बिल पर लिखा जीएसटी नंबर डालें।
ऐसा करने से यह पता चल जाएगा कि रेस्तरोरेट नियमित जीएसटी पेमेंट कर रहा है या नहीं। यदि वह कंपोजिट स्कीम का फायदा उठा रहा है तो जीएसटी का पेमेंट न करें।
अगर रेस्टोरेंट ने बिल में जबरन जीएसटी वसूला है तो आप लिंक पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।