पर्सनल लोन डिफॉल्ट: क्रेडिट स्कोर से लेकर कानूनी कार्रवाई तक, जानिए इसके असर और बचाव के तरीके
16 May, 2025 | 11:00 IST
आज के डिजिटल दौर में पर्सनल लोन लेना बहुत आसान हो गया है. अगर आप सभी क्राइटेरिया पूरे करते हैं, तो चुटकियों में लोन अमाउंट आपके अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है. लेकिन पर्सनल लोन एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ भी आता है और वो है समय पर इसे चुकाना. बिना प्लानिंग के लिया गया लोन या समय पर EMI न भरना आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकता है. इससे ना सिर्फ आपका क्रेडिट स्कोर खराब होता है, बल्कि बैंक या NBFCs की तरफ से कानूनी कार्रवाई तक का सामना करना पड़ सकता है.
आप मनीकंट्रोल ऐप और वेबसाइट पर 100% पेपरलेस प्रोसेस के साथ 50 लाख रुपए तक का लोन ले सकते हैं. यहां ब्याज दर 10.5% प्रति वर्ष से शुरू होती हैं.
जब कोई पर्सनल लोन लेने वाला व्यक्ति अपनी EMI तय समय पर नहीं भर पाता, तो उसे पर्सनल लोन डिफॉल्ट माना जाता है. इसकी वजहें अलग-अलग हो सकती हैं – जैसे नौकरी छूटना, अचानक मेडिकल खर्च, कोई बड़ा हादसा या खराब फाइनेंशियल प्लानिंग. इस डिफॉल्ट से न सिर्फ तनाव बढ़ता है, बल्कि आगे नए लोन लेने में भी दिक्कत आती है.
हालांकि, लेंडर से बातचीत करके रीपेमेंट के नए तरीके निकाले जा सकते हैं. लेकिन पूरी तरह टालने की कोशिश करना काफी नुकसान पहुंचा सकता है.
हर बार EMI मिस करने या देर से भरने पर आपका क्रेडिट स्कोर नीचे गिरता है. लेंडर आपकी रीपेमेंट की जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को भेजता है, जो आपके स्कोर को अपडेट करते हैं. 30 दिन तक की देरी से भी आपका स्कोर 50 से 100 पॉइंट तक गिर सकता है. बार-बार डिफॉल्ट करने से स्कोर को ठीक करना मुश्किल हो जाता है.
बढ़ता कर्ज
अगर EMI समय पर नहीं भरी जाती, तो पूरे लोन का बोझ बढ़ता जाता है. EMI आपको छोटे हिस्सों में लोन चुकाने का मौका देती है, लेकिन एक या ज्यादा महीने की देरी से बाकी पीरियड में आपको ज्यादा पैसा चुकाना पड़ सकता है. ऊपर से बैंक लेट फीस, ज्यादा ब्याज दर और जुर्माना भी जोड़ देते हैं.
कलेक्शन का दबाव
अगर आप लगातार EMI नहीं भरते, तो लेंडर रिकवरी प्रोसेस शुरू कर देता है. इसमें कॉल, मैसेज, ईमेल और लेटर शामिल हो सकते हैं. कई बार मामला थर्ड पार्टी कलेक्शन एजेंसी को भी सौंपा जाता है, जो पैसा वसूलने के लिए लगातार पीछा करती है.
कानूनी कार्रवाई हो सकती है
अगर आप 180 दिनों से ज्यादा समय तक लोन नहीं चुकाते, तो लेंडर आपके खिलाफ सेक्शन 138 ऑफ द नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत केस दर्ज कर सकता है. अगर लेंडर को लगे कि आप जानबूझकर भुगतान नहीं कर रहे हैं, तो आपके खिलाफ आपराधिक मामला भी चल सकता है.
नए लोन मिलना मुश्किल
आपका क्रेडिट स्कोर जितना कम होगा, आगे लोन मिलने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी. लोन देने वाले संस्थान रीपेमेंट हिस्ट्री को सबसे पहले देखते हैं. EMI डिफॉल्ट से भविष्य में आपका लोन अप्रूवल रुक सकता है.
रिश्तों पर भी असर
लोन डिफॉल्ट के बाद जब फाइनेंशियल दबाव बढ़ता है, तो कई बार आपको दोस्तों और परिवार से मदद लेनी पड़ सकती है. इससे आपके निजी रिश्तों पर भी तनाव आ सकता है.
अगर आप आर्थिक मुश्किल में हैं, तो सबसे पहले लेंडर से बात करें. सेटलमेंट या री-स्ट्रक्चरिंग के ऑप्शन खोजें. अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम है और आपको भविष्य में लोन चाहिए, तो सिक्योर्ड लोन या किसी गारंटर की मदद से लोन लिया जा सकता है. लेकिन इनका रीपेमेंट समय पर करना जरूरी है ताकि आपका क्रेडिट प्रोफाइल दोबारा मजबूत हो सके.
अगर आप किसी भरोसेमंद प्लेटफॉर्म से मल्टी-पर्पज लोन लेना चाहते हैं, तो मनीकंट्रोल की ऐप और वेबसाइट पर 50 लाख रुपए तक का इंस्टेंट लोन 100% पेपरलेस प्रोसेस में ले सकते हैं. यहां ब्याज दर सालाना 10.5% से शुरू होती हैं.
निष्कर्ष
पर्सनल लोन डिफॉल्ट सिर्फ आपकी फाइनेंशियल हालत को ही नहीं, बल्कि आपके भविष्य के लक्ष्य और रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है. लेकिन समझदारी से और समय रहते कदम उठाकर इससे बचा जा सकता है.
सारांश
पर्सनल लोन डिफॉल्ट का असर सिर्फ क्रेडिट स्कोर पर ही नहीं पड़ता, बल्कि लीगल मुसीबत का भी कारण बन सकता है. जानिए कैसे करें EMI का मैनेजमेंट और इन जोखिमों से कैसे बचें.
यह अंश/लेख किसी बाहरी पार्टनर द्वारा लिखा गया है और मनीकंट्रोल की संपादकीय टीम के काम को प्रतिबिंबित नहीं करता है। इसमें मनीकंट्रोल द्वारा पेश किए गए उत्पादों और सेवाओं के संदर्भ शामिल हो सकते हैं।
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