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पर्सनल लोन लेते समय इंटरेस्ट रेट का सबसे अहम रोल रहता है. यह आपके लोन की ओवरऑल कॉस्ट को प्रभावित करता है और बताता है कि आपको कितना अमाउंट चुकाना है. लोन अमाउंट, रीपेमेंट टेन्योर, क्रेडिट स्कोर और एम्प्लॉयमेंट स्टेटस जैसे फैक्टर्स आपको ऑफर किए जाने वाले इंटरेस्ट फैक्टर्स को प्रभावित करते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे टिप्स देने जा रहे हैं, जो आपको कम इंटरेस्ट रेट पर पर्सनल लोन दिलाने में मदद कर सकते हैं -
सूची
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कम ब्याज़ दरपर्सनल लोन इंटरेस्ट रेट कुल लोन अमाउंट का कुछ फीसदी हिस्सा होता है, जिसे लेंडर्स उधार लेने की कॉस्ट के रूप में चार्ज करते हैं. पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट आपकी इनकम, क्रेडिट स्कोर, लोन अमाउंट और लोन टेन्योर जैसे फैक्टर्स के आधार पर अलग-अलग हो सकता है. आपको बता दें कि कम इंटरेस्ट रेट पर कुल लोन पेमेंट कम हो जाती है, जबकि ज्यादा इंटरेस्ट रेट के साथ आपको काफी ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं. मौजूदा समय में पर्सनल लोन का इंटरेस्ट रेट लगभग 10% प्रति वर्ष से शुरू होकर 24% प्रति वर्ष तक जा सकता है.
1) क्रेडिट स्कोर : लेंडर्स आपकी लोन लौटाने की क्षमता का आइडिया लेने के लिए आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं. ज्यादा क्रेडिट स्कोर होने पर कम इंटरेस्ट रेट मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. क्योंकि इस मामले में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को कम रिस्क नजर आता है. आइये देखते हैं कि क्रेडिट स्कोर आपको ऑफर होने वाले इंटरेस्ट रेट को कैसे प्रभावित करता है -
ज्यादा क्रेडिट स्कोर : 750 या उससे ज्यादा के क्रेडिट स्कोर को बहुत अच्छा माना जाता है. इस दौरान आपको कम इंटरेस्ट रेट की पेशकश की जा सकती है.
मॉडरेट क्रेडिट स्कोर : 650 से 749 के बीच के क्रेडिट स्कोर को मॉडरेट माना जाता है. इस दौरान आपको सबसे कम तो नहीं फिर भी बेहतर इंटरेस्ट रेट ऑफर किया जा सकता है.
कम क्रेडिट स्कोर : 650 से नीचे के क्रेडिट स्कोर को खराब की केटेगरी में रखा जाता है. इस दौरान आपका लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो सकता है या आपको बहुत ज्यादा इंटरेस्ट रेट का सामना करना पड़ सकता है.
2) इनकम और एम्प्लॉयमेंट स्टेटस : पर्सनल लोन के लिए इंटरेस्ट रेट निर्धारित करते समय लेंडर्स आपकी इनकम और एम्प्लॉयमेंट स्टेटस को भी चेक करते हैं. लेंडर्स को लगता है कि निरंतर इनकम और लंबी वर्किंग हिस्ट्री वाले लोगों को लोन चुकाने में कोई परेशानी नहीं होगी. इसलिए ऐसे एप्लीकेंट्स को कम इंटरेस्ट रेट ऑफर किया जा सकता है.
सैलरी पर काम करने वाले कर्मचारी : फिक्स्ड सैलरी पर काम करने वाले लोगों को आमतौर पर बेहतर इंटरेस्ट रेट ऑफर किया जाता है. उन्हें ज्यादा डाक्यूमेंट्स सबमिट करने की जरुरत भी नहीं पड़ती है.
खुद का काम : लेंडर्स खुद का कुछ काम करने वाले लोगों को कम स्थिर मान सकते हैं. इसके चलते इन्हें ज्यादा इंटरेस्ट रेट का सामना करना पड़ सकता है.
3) लोन अमाउंट और टेन्योर : लोन अमाउंट और टेन्योर भी इंटरेस्ट रेट को प्रभावित करते हैं. लॉन्ग-टर्म लोन में इंटरेस्ट पेमेंट बढ़ सकती है. जबकि छोटे टेन्योर के लिए अक्सर कम इंटरेस्ट रेट ऑफर किया जाता है.
4) लेंडर के साथ संबंध : बैंक या दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस अपने मौजूदा ग्राहक के व्यवहार को देखते हुए कम इंटरेस्ट रेट ऑफर कर सकते हैं.
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ज्यादा क्रेडिट स्कोर मेंटेन करें. इसके लिए समय पर बिल्स और मौजूदा लोन्स की EMI का भुगतान करें और समय-समय पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते रहें.
अलग-अलग लेंडर्स के इंटरेस्ट रेट का पता लगाने और उनकी तुलना करने के लिए मनीकंट्रोल जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से आपको बेहतर इंटरेस्ट रेट चुनने में मदद मिल सकती है.
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पर्सनल लोन इंटरेस्ट रेट कैलकुलेटर एक शानदार टूल है, जो आपको यह समझने में मदद करता है कि अलग-अलग इंटरेस्ट रेट्स, लोन अमाउंट और टेन्योर आपकी मंथली पेमेंट्स और लोन लेने की कुल कॉस्ट को कैसे प्रभावित करता हैं. लोन का अमाउंट, इंटरेस्ट रेट और टेन्योर दर्ज करके, आप चेक कर सकते हैं कि आपको हर महीने कितनी EMI भरनी है. मनीकंट्रोल एक यूजर-फ्रेंडली पर्सनल लोन इंटरेस्ट रेट कैलकुलेटर ऑफर करता है. यह आपकी फाइनेंशियल स्थिति के हिसाब से बेहतर इंटरेस्ट रेट पाने में मदद कर सकता है.
पर्सनल लोन के लिए सबसे कम इंटरेस्ट रेट मिलने पर आप काफी पैसे बचा सकते हैं. पर्सनल लोन के इंटरेस्ट रेट्स को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स को समझकर और पर्सनल लोन इंटरेस्ट रेट कैलकुलेटर जैसे टूल का इस्तेमाल करके आप पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करने के प्रोसेस को आसानी से पूरा कर सकते हैं.
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