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अगर आपका क्रेडिट स्कोर 600 है, तो पर्सनल लोन लेना थोड़ा मुश्किल जरूर हो सकता है, लेकिन नामुमकिन नहीं. आजकल डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स और इंस्टेंट लोन ऐप्स ने लोन का प्रोसेस काफी आसान कर दिया है. ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर्सनल लोन के लिए फ्लेक्सिबल ऑप्शन ऑफर करते हैं, जिससे कम स्कोर वाले लोगों के लिए भी लोन पाने की संभावना बनी रहती है.
ज्यादातर लेंडर्स लोन देने से पहले आपके क्रेडिट स्कोर और इनकम का ध्यान रखते हैं. यानी क्रेडिट हिस्ट्री अब भी पर्सनल लोन अप्रूवल में एक अहम रोल निभाती है. वैसे तो लेंडर्स हमेशा हाई स्कोर वाले कस्टमर्स को तवज्जो देते हैं, लेकिन 600 के स्कोर पर भी पर्सनल लोन मिल सकता है. बस इसमें इंटरेस्ट रेट ज्यादा हो सकता है और रीपेमेंट की शर्तें थोड़ी सख्त हो सकती हैं.
पर्सनल लोन का इस्तेमाल शादी, हॉलीडे, मेडिकल इमरजेंसी या किसी भी अचानक आने वाले खर्च के लिए किया जा सकता है. मनीकंट्रोल जैसे प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स लोन की तुलना करके अप्लाई भी कर सकते हैं. मनीकंट्रोल की ऐप और वेबसाइट पर 8 लेंडर्स से 50 लाख रुपए तक का पर्सनल लोन लिया जा सकता है.
पर्सनल लोन बिना किसी सिक्योरिटी के मिलता है, यानी इसके लिए कोई गारंटी या कोलैटरल नहीं देना पड़ता. ऐसे में क्रेडिट स्कोर की अहमियत और बढ़ जाती है. लेंडर्स आमतौर पर 650 या उससे ऊपर के स्कोर को बेहतर मानते हैं. इसलिए 600 के स्कोर पर लोन मिलना थोड़ा चैलेंजिंग हो सकता है.
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क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. 900 सबसे अच्छा स्कोर माना जाता है. नीचे समझिए कि किस रेंज का क्या मतलब होता है:
300-599 (Poor): इस रेंज के स्कोर को बहुत रिस्की माना जाता है. लोन मिलने की संभावना काफी कम होती है.
600-649 (Fair): इस रेंज में लोन मिल सकता है, लेकिन इंटरेस्ट रेट हाई होगा और शर्तें सख्त हो सकती हैं.
650-749 (Good): लोन मिलने की अच्छी संभावना होती है, लेकिन रेट थोड़ा ज्यादा हो सकता है.
750-900 (Excellent): इस रेंज में लोन आसानी से मिल जाता है और टर्म्स भी बेहतर होते हैं.
अलग-अलग क्रेडिट एजेंसियों के हिसाब से रेंज में थोड़ा फर्क हो सकता है. इसलिए ये समझना जरूरी है कि आप किस रेंज में आते हैं और आपकी पोजीशन क्या है.
अगर आप 600 स्कोर पर लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो कई बार एप्लिकेशन रिजेक्ट भी हो सकता है. इसका असर आपके क्रेडिट स्कोर पर और पड़ सकता है और आगे लोन लेना और मुश्किल हो जाएगा. कुछ लेंडर्स ऐसे कस्टमर्स को लोन देने के लिए गारंटी या कोलैटरल की भी डिमांड कर सकते हैं.
कम स्कोर वालों को प्रोसेसिंग फीस और दूसरे चार्ज भी ज्यादा देने पड़ सकते हैं, जिससे ओवरऑल कॉस्ट बढ़ जाती है. इसलिए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर क्रेडिट स्कोर कम है तो पर्सनल लोन की बजाय गोल्ड लोन या प्रॉपर्टी लोन जैसे सिक्योर लोन के ऑप्शन पर विचार करना बेहतर हो सकता है. इस बीच अगर फंड्स की जरूरत तुरंत नहीं है, तो पहले स्कोर सुधारने की कोशिश करें.
क्रेडिट स्कोर 600 पर इंस्टेंट लोन मिलना मुमकिन है, लेकिन इसके साथ कुछ कॉम्प्रोमाइज करने पड़ सकते हैं जैसे हाई इंटरेस्ट रेट. मनीकंट्रोल जैसे प्लेटफॉर्म्स इस प्रोसेस को आसान बना सकते हैं जहां आप टॉप लेंडर्स के ऑफर एक साथ देख सकते हैं. यहां 50 लाख रुपए तक का पर्सनल लोन 10.5% की शुरुआती ब्याज दर पर उपलब्ध है.
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