प्लंबर-इलेक्ट्रिशियन-मैकेनिक को मिल रही है 1 करोड़ रुपये की सैलरी, फिर भी कोई काम करने को नहीं है तैयार

प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन और मैकेनिक को सालाना 1 करोड़ रुपये की सैलरी मिल रही है लकिन कोई नौकरी करने को तैयार नहीं है। फोर्ड मोटर कंपनी में मैकेनिक की 5000 पोस्ट खाली है। लेकिन 1 करोड़ रुपये सालाना सैलरी ऑफर करने पर भी प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन और मैकेनिक नहीं मिल रहे हैं

अपडेटेड Nov 14, 2025 पर 5:23 PM
Story continues below Advertisement
प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन और मैकेनिक को सालाना 1 करोड़ रुपये की सैलरी मिल रही है लकिन कोई नौकरी करने को तैयार नहीं है।

प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन और मैकेनिक को सालाना 1 करोड़ रुपये की सैलरी मिल रही है लकिन कोई नौकरी करने को तैयार नहीं है। फोर्ड मोटर कंपनी में मैकेनिक की 5000 पोस्ट खाली है। लेकिन 1 करोड़ रुपये सालाना सैलरी ऑफर करने पर भी प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन और मैकेनिक नहीं मिल रहे हैं। अमेरिका जैसे डेवलप कंट्री को स्किल्ड वर्कर्स नहीं मिल रहे हैं। उन्हें वर्कर्स की कमी इस स्तर पर झेलनी पड़ रही है कि अच्छा पैकेज देने के बाद भी बेसिक सी नौकरी के लिए वर्कर्स नहीं मिल रहे हैं।

Ford कंपनी को 1 करोड़ सैलरी ऑफर करने पर भी नहीं मिल रहे वर्कर्स

Ford Motor Company के CEO जिम फार्ले ने बताया कि कंपनी 5,000 मैकेनिक नहीं ढूंढ पा रही, जबकि उनकी सैलरी करोड़ों में है। उन्होंने साफ कहा कि यह समस्या केवल Ford की नहीं, बल्कि पूरे देश में है। अमेरिका भर में 10 लाख से ज्यादा नौकरियां हैं लेकिन कोई करने वाला नहीं है। इन जॉब्स में जैसे प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, ट्रक ड्राइवर, फैक्टरी वर्कर शामिल हैं, जो खाली पड़ी है।

समस्या कहां है? शिक्षा और ट्रेनिंग में बड़ी कमी

एक पॉडकास्ट पर फार्ले ने बताया कि आज का युवा तकनीकी कामों से दूर होता जा रहा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि एक Ford Super Duty ट्रक का डीजल इंजन निकालना सीखने में 5 साल लगते हैं, लेकिन आज बच्चों को ऐसी टेक्निकल ट्रेनिंग दी ही नहीं जा रही। उन्होंने कहा कि हम अपनी नई पीढ़ी को वह शिक्षा नहीं दे रहे जो हमारे दादा-दादी को मिली थी। फार्ले याद करते हैं कि उनके दादा Ford के शुरुआती कर्मचारी थे और उसी नौकरी ने परिवार को मिडिल क्लास बनाया था।


यंग जेनरेशन का AI, रोबोटिक्स पर फोकस

आज अमेरिका AI, रोबोटिक्स और हाई-टेक प्रोडक्ट्स बनाने में दुनिया में आगे है, लेकिन मैनुअल स्किल्स की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहा। इसका असर कार फैक्ट्रियों, सर्विस सेंटर्स और ट्रकिंग नेटवर्क पर साफ दिख रहा है।

H-1B पर ट्रम्प का यू-टर्न

इसी बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने Fox News पर कबूल किया कि देश में स्किल्ड वर्कर्स नहीं हैं, इसलिए H-1B वीजा जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें बाहर से टैलेंट लाना होगा क्योंकि हमारे पास कुछ स्किल्स नहीं हैं। यह बयान उस समय आया है जब उनकी ही सरकार ने H-1B के लिए $100,000 की भारी फीस लगा दी है, जिससे टेक कंपनियों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं।

1 करोड़ रुपये की सैलरी पर भी नहीं मिल रहे मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन

Ford जैसी कंपनियों में हजारों कारें असेंबली लाइन पर अधूरी पड़ी हैं, क्योंकि उन्हें पूरा करने वाले मैकेनिक नहीं मिल रहे। कुछ अमेरिकी शहरों में प्लंबर और इलेक्ट्रिशियन की सैलरी $120,000 करीब 1 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है, फिर भी वर्कर्स नहीं मिल रहे हैं।

स्किल्ड मैनपावर है असली कैपिटल

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की मिडिल क्लास की रीढ़ ये स्किल्ड ट्रेड्स ही हैं। AI, सॉफ्टवेयर या हाई-टेक अकेले देश नहीं चलाते। मैकेनिक, ड्राइवर और इलेक्ट्रिशियन भी उतने ही जरूरी हैं। यदि अमेरिका ने एजुकेशन और स्किल ट्रेनिंग में निवेश नहीं बढ़ाया, तो अगले पांच साल में प्रोडक्शन और सर्विस सेक्टर दोनों में बड़ा संकट आ सकता है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।