Sovereign Gold Bond: 28 SGB को मैच्योरिटी से पहले भुनाने का मौका, RBI ने जारी कीं डेट्स

Sovereign Gold Bond: केंद्रीय बैंक ने बयान में यह भी कहा है कि अनिर्धारित छुट्टियों की स्थिति में प्रीमैच्योर रिडेंप्शन की इन तारीखों में बदलाव हो सकता है। SGB का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है।

अपडेटेड Aug 24, 2025 पर 9:17 AM
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ये गोल्ड बॉन्ड मई 2018 से लेकर मार्च 2021 के बीच जारी किए गए थे।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 3 सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) सीरीज के 28 राउंड के प्रीमैच्योर रिडेंप्शन यानि मैच्योरिटी से पहले विद्ड्रॉल के लिए शेड्यूल जारी किया है। यह शेड्यूल अक्टूबर 2025 से लेकर मार्च 2026 तक है। ये गोल्ड बॉन्ड मई 2018 से लेकर मार्च 2021 के बीच जारी किए गए थे। जो भी निवेशक मैच्योरिटी से पहले अपनी होल्डिंग्स को भुनाना चाहते हैं, वे RBI द्वारा घोषित शेड्यूल के तहत अपनी रिक्वेस्ट डाल सकते हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड गवर्मेंट सिक्योरिटीज हैं, जिन्हें RBI, सरकार की ओर से जारी करता है। इन्हें भारत के निवासियों, अविभाजित हिंदू परिवार (HUF), ट्रस्ट्स, यूनिवर्सिटीज और धर्मार्थ संस्थाओं को ही बेचा जा सकता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), नामित डाकघरों और NSE और BSE के जरिए की जाती है।

SGB का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है। लेकिन इन्हें जारी किए जाने की तारीख से 5 साल पूरे होने के बाद इन्हें मैच्योरिटी से पहले भुनाया जा सकता है। RBI की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक, 1 अक्टूबर, 2025 से 31 मार्च, 2026 की अवधि के दौरान जिन SGB को प्रीमैच्योरली भुनाया जा सकता है, उनकी डिटेल इस तरह है...


sgb

केंद्रीय बैंक ने बयान में यह भी कहा है कि अनिर्धारित छुट्टियों की स्थिति में प्रीमैच्योर रिडेंप्शन की इन तारीखों में बदलाव हो सकता है। सरकार ने फरवरी 2024 के बाद से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की नई किश्त जारी नहीं की है। न ही औपचारिक रूप से इस स्कीम को बंद करने का ऐलान किया है। सरकार ने 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की शुरुआत की थी।

कैसे कैलकुलेट होता है रिडेंप्शन प्राइस

SGB के लिए रिडेंप्शन वैल्यू की कैलकुलेशन, इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की ओर से पिछले 3 वर्किंग डेज के लिए पब्लिश 999 शुद्धता वाले सोने के सिंपल एवरेज क्लोजिंग प्राइस के बेसिस पर की जाएगी।

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हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज 

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम 1 ग्राम सोने के लिए निवेश करना होता है। कोई भी व्यक्ति और HUF मैक्सिमम 4 किलोग्राम मूल्य तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है। ट्रस्ट और इसके जैसी समान संस्थाओं के लिए खरीद की मैक्सिमम लिमिट 20 किलोग्राम है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को जॉइंट में या फिर नाबालिग के नाम पर भी खरीद सकते हैं। इस बॉन्ड पर हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है। यह ब्याज इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्सेबल होता है। एक वित्त वर्ष में गोल्ड बॉन्ड पर हासिल ब्याज, करदाता की अन्य सोर्स से इनकम में काउंट होता है। इसलिए इस पर टैक्स इस बेसिस पर लगता है कि करदाता किस इनकम टैक्स स्लैब में आता है।

 

Ritika Singh

Ritika Singh

First Published: Aug 24, 2025 8:52 AM

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