क्रेडिट कार्ड या लोन की क्रेडिट लिमिट बढ़ाने से आपके क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो यानी उपयोग की गई क्रेडिट और उपलब्ध क्रेडिट का अनुपात कम होता है। अगर आपकी लिमिट बढ़ती है और खर्च समान रहता है, तो यह रेशियो कम हो जाएगा, जिससे क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है। बढ़ी हुई लिमिट फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करती है, जिससे आप जरूरी खर्च समय पर कर सकते हैं।
हालांकि, लिमिट बढ़ने के बाद खर्च बढ़ा देना क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो को बढ़ा सकता है, जिससे क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही, समय पर बिल का भुगतान करना बेहद जरूरी होता है; यदि बिल समय पर नहीं चुकाया गया तो स्कोर और भी गिर सकता है। कुछ मामलों में नई लिमिट की स्वीकृति के समय अस्थायी स्कोर गिरावट भी हो सकती है, जो सामान्यतः अल्पकालिक होती है।
यदि आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत है और आप खर्चों को नियंत्रित रख सकते हैं, तो लिमिट बढ़ाने के ऑफर को स्वीकार करना सही रहेगा। लेकिन यदि आपको लगता है कि इससे आपकी खर्च करने की आदत खराब हो सकती है या आप बिल समय पर नहीं जोड़ सकते, तो ऑफर को टालना बेहतर होता है। साथ ही, बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी से समय-समय पर मिलने वाले लिमिट बढ़ोतरी के ऑफर्स पर ध्यान दें।
क्रेडिट लिमिट बढ़ाने से जुड़ी सावधानियां
क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के बाद अपनी खर्च की आदतों पर कड़ी नजर रखें और लगातार अपने क्रेडिट स्कोर की जांच करते रहें। आवश्यकतानुसार नए क्रेडिट कार्ड लेने या सेक्योरड क्रेडिट कार्ड का विकल्प अपनाने से भी आपकी कुल क्रेडिट लिमिट बढ़ सकती है, जिससे आपको बेहतर वित्तीय विकल्प मिल सकते हैं।
इस तरह, जिम्मेदारी से क्रेडिट लिमिट बढ़ाना आपके क्रेडिट स्कोर के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसके सही इस्तेमाल और प्रबंधन के बिना इससे नुकसान भी हो सकता है।