भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली में UPI (Unified Payments Interface) ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। साल 2024 में UPI के माध्यम से लेन-देन का कुल मूल्य 246.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पांच साल पहले 18.4 लाख करोड़ रुपये था। यह दर्शाता है कि डिजिटल भुगतान विधि भारतीय वित्तीय लेन-देन का केंद्र बिंदु बन चुकी है।
राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) और भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, UPI की ट्रांजेक्शन वॉल्यूम में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है। 2019 में 1,079 करोड़ ट्रांजेक्शन से बढ़कर, 2024 में यह संख्या 17,221 करोड़ हो गई है। 2025 की पहली छमाही में UPI ट्रांजेक्शन की संख्या और कुल मूल्य दोनों में 20% से अधिक की वृद्धि देखी गई है, जिससे इसका प्रभावी विस्तार साफ झलकता है।
इस बढ़त में UPI की आसानी, क्विक पेमेंट, और चौबीसों घंटे उपलब्धता सबसे बड़े कारण माने जाते हैं। अब UPI केवल लोगों के बीच पैसे ट्रांसफर करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह रिटेल खरीदारी, बिल भुगतान, व्यवसायिक लेनदेन समेत कई क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रही है। इसका व्यापक उपयोग लोगों और कारोबार दोनों के लिए इसे एक भरोसेमंद और सुविधाजनक वित्तीय उपकरण बनाता है।
SBI ने सबसे अधिक रेमिटर बैंक के तौर पर 5.2 बिलियन ट्रांजेक्शन किए, जबकि निजी क्षेत्र के बैंक जैसे येस बैंक ने सर्वाधिक लाभार्थी बैंकों में शीर्ष स्थान हासिल किया। महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में UPI का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे यह गांव-शहर के बीच डिजिटल लेनदेन को जोड़ने में सक्षम हुआ है।
आने वाले समय में UPI Lite, क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स और क्रेडिट ऑन UPI जैसे नवाचार इस प्लेटफॉर्म को और भी व्यापक बनाएंगे। डिजिटल लेनदेन की इस तेजी से बढ़ती हुई दुनिया में UPI न केवल भारत, बल्कि विश्व स्तर पर भी सबसे बड़े और लोकप्रिय रियल टाइम भुगतान सिस्टम के रूप में उभरा है।